दिल्ली में कांग्रेस का प्रदर्शन सुधरा तो मुश्किल में पड़ेगी 'आप', 15% वोट शेयर पर टिका सियासी समीकरण
कांग्रेस पार्टी एक बार फिर दिल्ली में अपनी खोई हुई सियासी जमीन वापस पाने की कोशिश में जुटी है। अगर 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ऐसा करने में सफल रही तो इससे दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
कांग्रेस पार्टी एक बार फिर दिल्ली में अपनी खोई हुई सियासी जमीन वापस पाने की कोशिश में जुटी है। अगर 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ऐसा करने में सफल रही तो इससे दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दिल्ली में कांग्रेस की स्थिति बीते एक दशक में कमजोर होती दिखाई दी थी। ‘आप’ के उदय से पहले दिल्ली की सत्ता में लगातार तीन बार काबिज रही कांग्रेस इस बार अपने खोए हुए जनाधार को वापस पाने के हरसंभव प्रयास कर रही है।
2015 के चुनाव में मत प्रतिशत 54.34 फीसदी
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के अनुसार, 2013 से 2020 के बीच वर्ष 2015 में ‘आप’ के चुनाव परिणाम सबसे बेहतर रहा। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में ‘आप’ का मत प्रतिशत 29.5 फीसदी था। वहीं, 2015 के विधानसभा चुनाव में यह मत प्रतिशत 54.34 फीसदी तक पहुंच गया। उस दौरान 70 में से 67 सीट पर जीत हासिल की थी। वर्ष 2020 विधानसभा चुनाव में जरूर थोड़ी कमी आई थी। ‘आप’ को मत प्रतिशत 50 फीसदी से अधिक था, लेकिन 2015 की तुलना में कम था।
हर सीट पर 50 फीसदी से अधिक मत प्रतिशत
‘आप’ का पिछले चुनाव में 48 से अधिक सीटों पर 50 फीसदी से अधिक मत प्रतिशत मिला। हालांकि, वर्ष 2015 की तुलना में यह संख्या कम है। 2015 में आम आदमी पार्टी को 54 सीट पर 50 फीसदी से अधिक मत प्रतिशत मिला था। मगर वर्ष 2020 में 50 फीसदी मत प्रतिशत घटी तो इनकी संख्या भी घटकर 67 से 62 रह गई। हालांकि, इस बार जिस तरह छोटे-छोटे दल चुनाव में ताल ठोक रहे हैं, अगर ‘आप’ का 15 फीसदी वोट शेयर खिसका तो दिल्ली की सियासत का चेहरा बदल सकता है।
2020 में मत और सीटें दोनों कम हुई थीं
वर्ष 2020 में सीधी लड़ाई आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच थी। दोनों दलों को वर्ष 2020 के चुनाव में कुल पड़े वोट में से 92.1 फीसदी वोट मिले। कांग्रेस का वोट शेयर घटकर 4.26 फीसदी पर पहुंच गया। भाजपा को पिछले चुनाव में 38.51 फीसदी वोट मिले, ‘आप’ को 53.57 फीसदी वोट मिले थे। वर्ष 2015 की तुलना में ‘आप’ का तीन फीसदी वोट घट गया था। इस बार जिस तरह छोटे-छोटे दल चुनाव में ताल ठोक रहे हैं। उससे जीत के समीकरण बदलने के आसार हैं।