Hindi Newsदेश न्यूज़What are tardigrades ISRO focusing on this, Shubhanshu Shukla will do 7 experiments on space station in 14 days

क्या है टार्डिग्रेड्स? जिस पर है इसरो का फोकस, अंतरिक्ष स्टेशन पर 7 प्रयोग करेंगे शुभांशु शुक्ला

14 दिनों की अवधि में नासा और वॉयेजर के साथ साझेदारी में इसरो अंतरिक्ष में सूक्ष्म जीव ‘टार्डिग्रेड्स’ के बारे में अध्ययन करेगा। इसमें टार्डिग्रेड्स के पुनरुत्थान, अस्तित्व और प्रजनन की जांच की जाएगी।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 21 April 2025 09:00 PM
share Share
Follow Us on
क्या है टार्डिग्रेड्स? जिस पर है इसरो का फोकस, अंतरिक्ष स्टेशन पर 7 प्रयोग करेंगे शुभांशु शुक्ला

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अगले महीने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 14 दिन के प्रवास के दौरान कम से कम सात प्रयोग करेंगे, जिसमें फसल उगाना और अंतरिक्ष में सूक्ष्मजीव (वॉटर बीयर्स) के बारे में अध्ययन करना भी शामिल है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के सहयोग से मई के अंत में निर्धारित एक्सिओम मिशन-4 (एक्स-4) के दौरान सात प्रयोग करेगा। इस यात्रा के दौरान अमेरिका, हंगरी और पोलैंड के अंतरिक्ष यात्री भी शामिल होंगे। इस यात्रा के दौरान नासा और वॉयेजर के साथ साझेदारी में इसरो अंतरिक्ष में सूक्ष्म जीव ‘टार्डिग्रेड्स’ के बारे में अध्ययन करेगा।

क्या हैं टार्डिग्रेड्स?

टार्डिग्रेड्स जल में रहने वाला आठ-टाँगों वाला एक सूक्ष्मप्राणी है। इसे वॉटर बियर या मॉस पिगलेट के नाम से भी जाना जाता है। ‘टार्डिग्रेड्स’ सूक्ष्म जीव होते हैं और यह चरम स्थितियों में जीवित रहने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। ‘टार्डिग्रेड्स’ लगभग 60 करोड़ वर्ष से पृथ्वी पर मौजूद हैं और निकट भविष्य में भी वे दुनिया की जलवायु में होने वाले किसी भी बड़े बदलाव को झेलने में सक्षम होंगे। अपनी बनावट की वजह से इसे जल भालु भी कहा जाता है।

टार्डिग्रेड्स की खोज 1773 में जर्मन प्राणी विज्ञानी जोहान ऑगस्ट एप्रैम गोएज ने की थी, जिन्होंने इसे 'पानी के छोटे भालू' का उपनाम दिया था। तीन साल बाद, इतालवी जीवविज्ञानी लाज़ारो स्पैलनज़ानी ने उनके चलने के तरीके के कारण इस समूह का नाम "टार्डिग्रेडा" या धीमी गति से चलने वाला रखा था।

ये भी पढ़ें:ISRO का गजब प्रयोग, अजीब प्राणी को एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला के साथ भेजेगा स्पेस
ये भी पढ़ें:अंतरिक्ष में फिर इतिहास रचेगा भारत, मई में स्पेस स्टेशन रवाना होंगे शुभांशु
ये भी पढ़ें:40 साल बाद अंतरिक्ष में जाएगा कोई भारतीय, जानिए कौन हैं शुभांशु शुक्ला..

टार्डिग्रेड्स की 1300 प्रजातियों

वैज्ञानिकों ने लगभग 1,300 टार्डिग्रेड प्रजातियों की पहचान की है । वे कठोर गर्मी, बर्फीली ठंड, पराबैंगनी विकिरण और यहां तक ​​कि बाहरी अंतरिक्ष में भी जीवित रह सकते हैं। वे ऐसा सूखी हुई छोटी गेंद बनकर करते हैं, जिन्हें ट्यून कहा जाता है, और लगभग अपना चयापचय (जिस तरह से वे भोजन से ऊर्जा प्राप्त करते हैं) बंद कर देते हैं, केवल तभी पुनर्जीवित होते हैं जब परिस्थितियाँ बेहतर होती हैं। वास्तव में, ये कठोर छोटे जल भालू संभवतः मानवता के चले जाने के बाद भी लंबे समय तक जीवित रहेंगे ऐसा शोध में पाया गया है।

इस प्रयोग के दौरान अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर टार्डिग्रेड्स के पुनरुत्थान, अस्तित्व और प्रजनन की जांच की जाएगी। एक्सिओम स्पेस ने कहा कि टार्डिग्रेड्स के बारे में अध्ययन करने से उनके आणविक तंत्र को समझने से भविष्य में अंतरिक्ष अन्वेषण में मदद मिल सकती है और पृथ्वी पर जैव प्रौद्योगिकी के नवीन अनुप्रयोगों को बढ़ावा मिल सकता है। (भाषा इनपुट्स के साथ)

अगला लेखऐप पर पढ़ें