5 देशों को मदद की पेशकश, पाक-चीन पर कटाक्ष; कजाकिस्तान में बरसे अजीत डोभाल
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने यह भी कहा कि भारत मध्य एशियाई देशों को ‘यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस’ (यूपीआई) से संबंधित तकनीक उनके स्वतंत्र उपयोग के लिए नि:शुल्क उपलब्ध कराने के लिए तैयार है।
भारत ने मंगलवार को 5 देशों को आतंकवाद से लड़ने में मदद की पेशकश की। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने मंगलवार को कहा कि आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए सबसे गंभीर खतरा बना हुआ है और यह कृत्य किसी भी रूप में ‘‘अनुचित’’ है। कजाकिस्तान में भारत और मध्य एशियाई देशों के एनएसए के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए डोभाल ने भागीदार देशों के लिए विभिन्न क्षेत्रों में नयी दिल्ली द्वारा वित्त पोषित क्षमता निर्माण कार्यक्रमों की भी पेशकश की। यह देखते हुए कि भारत और मध्य एशिया को समान सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, डोभाल ने कहा कि "परस्पर जुड़े नेटवर्क के घातक तत्व" साझा पड़ोस के लिए खतरा हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने यह भी कहा कि भारत मध्य एशियाई देशों को ‘यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस’ (यूपीआई) से संबंधित तकनीक उनके स्वतंत्र उपयोग के लिए नि:शुल्क उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। सूत्रों के अनुसार, डोभाल ने कहा कि संप्रभु डिजिटल भुगतान प्रणाली स्थापित करने से भारत और मध्य एशिया के बीच वाणिज्यिक संबंधों में इजाफा होगा और उन लोगों को विशेषतौर पर लाभ होगा, जिन्हें चिकित्सा उपचार के लिए भारत की यात्रा करनी पड़ सकती है।
एनएसए ने कहा कि मध्य एशियाई देशों के साथ कनेक्टिविटी और आर्थिक एकीकरण भारत के लिए प्राथमिकता है। उन्होंने कहा, हालांकि, कनेक्टिविटी को बढ़ावा देते समय, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि कनेक्टिविटी पहल पारदर्शी और भागीदारीपूर्ण हो। डोभाल ने कहा कि कनेक्टिविटी पहल को सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए और उन्हें पर्यावरणीय मापदंडों का भी पालन करना चाहिए, वित्तीय व्यवहार्यता सुनिश्चित करनी चाहिए और कर्ज का बोझ नहीं बनना चाहिए।
चीन की ‘बेल्ट एंड रोड पहल’ (बीआरआई) की बढ़ती आलोचना के बीच यह टिप्पणी आई है। उन्होंने कहा, इस संदर्भ में, मध्य एशिया और भारत के बीच सीधी भूमि पहुंच का अभाव एक विसंगति है। उन्होंने पाकिस्तान के अप्रत्यक्ष संदर्भ में कहा कि सीधी कनेक्टिविटी की यह अनुपस्थिति एक विशेष देश द्वारा इनकार करने की ‘‘सचेत नीति’’ का परिणाम है।
डोभाल ने कहा कि यह स्थिति न केवल इस देश के लिए खुद की पराजय है बल्कि यह पूरे क्षेत्र की सामूहिक भलाई को भी कम करती है। उन्होंने चाबहार बंदरगाह को अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) में शामिल करने के फायदों को भी रेखांकित किया। डोभाल ने मध्य एशियाई पड़ोसियों को समुद्री व्यापार के लिए चाबहार बंदरगाह के साथ-साथ एक भारतीय कंपनी द्वारा संचालित इसके शहीद बेहिश्ती टर्मिनल का उपयोग करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने चाबहार बंदरगाह को आईएनएसटीसी के ढांचे में शामिल करने के लिए समर्थन का आग्रह किया। उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान दोनों जल्द ही आईएनएसटीसी में शामिल होंगे। इसके साथ ही सभी पांच मध्य एशियाई देश आईएनएसटीसी के सदस्य होंगे।