पहले लद्दाख में शांति लाओ... जोहानिसबर्ग में अजीत डोभाल की चीन को दो टूक
सूत्रों का कहना है कि अजीत डोभाल ने चीन को दो टूक शब्दों में कहा है कि सीमा पर शांति के बिना रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते। उन्होंने लद्दाख में स्थिति को पूरी तरह से हल करने पर जोर दिया।
तीन साल पहले एलएसी पर चीनी सैनिकों की कायरना हरकत की कड़वी यादें अभी भी ताजा हैं। भारत और चीन के बीच रिश्ते साल 2020 से खराब चल रहे हैं। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल को लेकर दोनों देशों में चल रहे तनाव के बीच दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का चीनी समकक्ष वांग यी से आमना-सामना हुआ। मौका था- ब्रिक्स देशों के सम्मेलन का। सूत्रों का कहना है कि अजीत डोभाल ने चीन को दो टूक शब्दों में कहा है कि सीमा पर शांति के बिना रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते। उन्होंने लद्दाख में स्थिति को पूरी तरह से हल करने और शांति बहाल के लिए निरंतर प्रयासों के महत्व पर जोर दिया।
2020 में एलएसी पर झड़प के बाद से भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर भारत और चीन से संबंधों के सार्वजनिक और राजनीतिक आधार को कमजोर कर दिया है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने सोमवार को दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में फ्रेंड्स ऑफ ब्रिक्स की बैठक के मौके पर द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा करते हुए शीर्ष चीनी राजनयिक वांग यी से मुलाकात की। सूत्रों ने कहा कि एनएसए डोभाल ने स्थिति को पूरी तरह से हल करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए निरंतर प्रयासों के महत्व पर जोर दिया, ताकि द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सके।
शी जिनपिंग के करीबी हैं वांग यी
वांग यी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य और सीपीसी विदेश मामलों के आयोग के कार्यालय के निदेशक हैं। उन्हें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के करीबी नेताओं में गिना जाता है। वह और डोभाल सीमा वार्ता पर अपने देश के विशेष प्रतिनिधि भी हैं। भारत और चीन के बीच सीमा पर आखिरी विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता 2019 में हुई थी।
चीनी मीडिया क्या बोला
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बताया कि वांग यी ने कहा कि दोनों पक्षों को रणनीतिक आपसी विश्वास बढ़ाना चाहिए। दोनों देशों को आम सहमति और सहयोग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, आपसी बाधाओं को दूर करना चाहिए और द्विपक्षीय संबंधों को जल्द से जल्द मजबूत और स्थिर करना चाहिए। उन्होंने कथित तौर पर इस बात पर भी जोर दिया कि चीन कभी भी अतिक्रमण की नीति पर नहीं चलेगा और लोकतंत्रीकरण का समर्थन करने और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने के लिए भारत के साथ काम करने को तैयार है।
इंडोनेशिया में वांग यी से जयशंकर भी मिले थे
दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि भारत-चीन द्विपक्षीय संबंध न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि क्षेत्र और दुनिया के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। यह बैठक विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में श्री वांग से मुलाकात के कुछ दिनों बाद हुई और उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति से संबंधित बकाया मुद्दों पर चर्चा की थी। भारत और चीन के बीच तीन साल से अधिक समय से सैन्य गतिरोध चल रहा है। जयशंकर इसे अपने लंबे राजनयिक करियर की सबसे जटिल चुनौती बता चुके हैं। भारत का कहना है कि जब तक सीमा क्षेत्र में शांति नहीं होगी तब तक द्विपक्षीय संबंध सामान्य नहीं हो सकते।
इससे पहले सोमवार को अजित डोभाल ने फ्रेंड्स ऑफ ब्रिक्स बैठक में साइबर सुरक्षा से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया था। एनएसए ने ब्रिक्स देशों के अपने समकक्षों और मित्रों के साथ कई द्विपक्षीय बैठकें भी कीं। गौरतलब है कि दक्षिण अफ्रीका अगले महीने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। ब्रिक्स ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का एक समूह है।