हमारे परिवार के सदस्य की मृत्यु हुई है; पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के निधन पर पाकिस्तान में भी दुख
- Former PM Manmohan Singh: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर भारत ही नहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी शोक की लहर है। उनके पैतृक गांव गाह में भी लोगों ने शोक सभा आयोजित कर अपने गांव के लड़के को अपनी श्रद्धांजलि दी।
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भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कल इस दुनिया को अलविदा कह दिया। पूरा देश उनके जाने से दुखी है लेकिन पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी उनके जाने पर दुख मनाया जा रहा है। ऐसे में डॉक्टर मनमोहन सिंह के पैतृक गांव के लोगों ने भी उनके निधन पर अपना दुख व्यक्त किया। उनका यह गांव आज भी अपने स्कूल में उनकी स्मृतियों को समेटे हुए है।
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक गांव के निवासियों ने मनमोहन सिंह की मृत्यु की खबर सुन शोक व्यक्त करने के लिए एक बैठक आयोजित की। इस बैठक में बहुत सारे लोगों ने हिस्सा लिया। मनमोहन सिंह के पैतृक गांव गाह के स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक हुसैन ने बताया कि हमारे गांव के स्कूल में ही भारत के प्रधानमंत्री बनने वाले मनमोहन सिंह कक्षा 4 तक पढ़े थे। उनके पिता गुरमुख सिंह एक कपड़ा व्यापारी थे, जबकि उनकी मां अमृत कौर एक गृहिणी थीं। उस समय पर जो उनके दोस्त थे वह प्यार से उन्हें मोहना कहते थे।
पाकिस्तान का यह गांव राजधानी इस्लामाबाद से करीब 100 किलोमीटर दूर स्थित है। मनमोहन सिंह के जन्म के समय यह गांव झेलम जिले का हिस्सा था। ग्रामीणों की तरफ से आयोजित की गई इस बैठक को मनमोहन सिंह के सहपाठी और राजा मुहम्मद अली के भतीजे राजा आशिक अली ने संबोधित किया। वह एक बार मनमोहन सिंह से मिलने के लिए दिल्ली भी आए थे। एजेंसी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह की मृत्यु की बात सुनकर सभी ग्रामीण दुखी हैं। वे भारत में उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए उत्सुक थे लेकिन बॉर्डर के कारण ऐसा संभव नहीं है इसलिए वह शोक मनाने के लिए यहां आए हैं।
राजा ने कहा कि मनमोहन सिंह के कई सहपाठी जो इसी गांव में रहते थे। 2004 में उनके प्रधानमंत्री बनने पर खूब उनके किस्से सुनाया करते थे। लेकिन उम्र की वजह से वह सब मर चुके हैं। लेकिन उनके परिवार के लोग अब भी यहां रहते हैं और मनमोहन से संबंधों को संजोते हैं। उन्होंने कहा कि हम आज भी 2004 का वो दिन याद करके फूले नहीं समाते थे, जब हमें पता चला था कि हमारे गांव का एक लड़का भारत का प्रधानमंत्री बन गया।
आज भी गांव के स्कूल में उनकी यादों को संजोकर रखा गया है। गाँव में सबसे प्रतिष्ठित स्थान शायद वह स्कूल है जहाँ सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। रजिस्टर में उनकी प्रवेश संख्या 187 है, और प्रवेश की तारीख 17 अप्रैल, 1937 है। उनकी जन्मतिथि 4 फरवरी, 1932 दर्ज की गई है, उनकी जाति 'कोहली' है।
गांव के लोगों का मानना है कि गांव के स्कूल के नवीनीकरण के पीछे मनमोहन सिंह का गांव से होना एक बड़ा कारण है। जब वह भारत के प्रधानमंत्री बने तो यह गांव सुर्खियों में आ गया। इसी कारण आसपास के अधिकारियों ने इस गांव पर अपना ध्यान दिया। स्थानीय लोगों के अनुसार, उनके पिता कपड़ा व्यापारी थे। ऐसे में कक्षा 4 तक की पढ़ाई के बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए गांव से चले गए और बाद में विभाजन से कुछ समय पहले ही वह अमृतसर में रहने लगे।