PM मोदी ने बताया किन लोगों की नहीं चमकती राजनीति, क्या है सफलता का सीक्रेट
- बातचीत के दौरान जब सवाल किया गया कि राजनेता में कौनसा टैलेंट होता है। इसपर पीएम मोदी ने कहा, 'मैं मानता हूं कि उसके लिए आपका एक डेडिकेशन चाहिए, कमिटमेंट चाहिए, जनता के सुख-दुख के आप साथी होने चाहिए।
Nikhil Kamath Podcast: मंच पर भाषण और मन की बात के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पॉडकास्ट में डेब्यू कर लिया है। उन्होंने शुक्रवार को जेरोधा के को-फाउंडर निखिल कामथ से मुलाकात की। पहली ही चर्चा में उन्होंने किसी राजनेता के सफल होने का सीक्रेट भी बताया है। इस दौरान उन्होंने राजनीति में एंट्री से लेकर सफल होने तक पर बात की। उन्होंने कहा है कि एक अच्छा टीम प्लेयर ही अच्छा राजनेता बन सकता है।
बातचीत के दौरान जब सवाल किया गया कि राजनेता में कौनसा टैलेंट होता है। इसपर पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं मानता हूं कि उसके लिए आपका एक डेडिकेशन चाहिए, कमिटमेंट चाहिए, जनता के सुख-दुख के आप साथी होने चाहिए। आप अच्छे टीम प्लेयर होने चाहिए। आप कहें कि मैं तो तीसमार खां हूं, सबको चलाऊंगा, दौड़ाऊंगा, सब मेरा हुक्म मानेंगे तो हो सकता है कि उसकी राजनीति चल जाए या चुनाव जीत जाए, लेकिन वो सफल राजनेता बनेगा यह गारंटी नहीं है।’
उन्होंने कहा, 'जब आजादी का आंदोलन चला, उसमें समाज के सभी वर्ग के लोग जुड़े। सभी राजनीति में नहीं आए...। लेकिन देशभक्ति से प्रेरित आंदोलन था, हर एक के मन में एक जज्बा था कि भारत को आजाद कराने के लिए मुझसे जो होगा मैं करूंगा। तब एक लॉट राजनीत में आए। आजादी के बाद देश में जितने भी बड़े नेता थे, सभी आजादी के आंदोलन से निकले थे, तो उनकी सोच, मेच्योरिटी एकदम अलग है। समाज के प्रति समर्पण भाव।'
पीएम ने कहा, 'इसलिए मेरा मत है कि राजनीति में निरंतर अच्छे लोग आते रहने चाहिए। लोग मिशन लेकर आए एम्बिशन लेकर नहीं। मिशन लेकर निकले हो तो कहीं न कहीं स्थान मिल जाएगा।'
उन्होंने महात्मा गांधी का उदाहरण दिया, पीएम ने कहा, 'आज के युग की नेता की परिभाषा जो आप देखते हैं, तो उसमें महात्मा गांधी कहां फिट होते हैं। पर्सनालिटी में दुबले पतले, भाषण देने की कला न के बराबर थी। तो जीवन बोलता था। ये जो ताकत थी, उसने उनके पीछे पूरे देश को खड़ा कर दिया था। आजकल ये जो प्रोफेशल कैटेगरी में राजनेता का जो रूप देखा जा रहा है कि लच्छादार भाषण होना चाहिए, यह कुछ दिन चल जाता है। आखिर में जीवन ही काम करता है।'
पीएम मोदी ने कहा, ‘दूसरा मेरा मत है कि भाषण कला, उससे भी ज्यादा जरूरी है बातचीत करना। महात्मा गांधी हाथ में अपने से भी ऊंचा डंडा करते, लेकिन अहिंसा की वकालत करते थे। महात्मा जी ने कभी टोपी नहीं पहनी, लेकिन दुनिया गांधी टोपी पहनती थी। महात्मा गांधी चुनाव नहीं लड़े, सत्ता पर नहीं बैठे, लेकिन मृत्यु के बाद जगह बनी, उसका नाम राजघाट रखा।’