मुख्यमंत्री बनते सहपाठियों को बुलाया CM आवास, पर पूरी ना हुई मन की मुराद; PM मोदी को आज भी मलाल
PM ने बताया कि चूंकि वह बचपन के दिनों में ही घर छोड़कर निकल गए थे, इसलिए दोस्तों के साथ उनका ज्यादा समय नहीं बीता। वह चाहते थे कि बचपन के दोस्तों को बुलाकर वह उनके संग खूब बातें करें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Zerodha के सह-संस्थापक निखिल कामथ के साथ अपने पहले पॉडकास्ट इंटरव्यू में अपने पुराने दिनों की याद करते हुए बताया कि जब वह अक्टूबर 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो उन्हें इच्छा हुई कि वह अपने बचपन के दोस्तों को मुख्यमंत्री आवास बुलाएं। उन्होंने बताया कि उनके निमंत्रण पर उनके 35 दोस्त अपने परिजनों के साथ आए लेकिन उन्हें वह नहीं मिला, जो वह ढूंढ़ रहे थे। पीएम ने बताया कि वह उन लोगों में दोस्त खोज रहे थे लेकिन वे सभी मुझमें मुख्यमंत्री देख रहे थे।
प्रधानमंत्री ने बताया कि चूंकि वह बचपन के दिनों में ही घर-बार छोड़कर निकल गए थे, इसलिए दोस्तों के साथ उनका ज्यादा समय नहीं बीता। वह चाहते थे कि बचपन के दोस्तों को बुलाकर वह उनके संग खूब बातें करें और बचपन के पलों को याद करें। पीएम ने कहा कि उनकी इच्छा थी कि कोई दोस्त बनकर तुम, तू कहकर बातें करे लेकिन सभी 35 लोगों में से किसी ने भी ऐसी बात नहीं की, बल्कि सभी मुझमें मुख्यमंत्री देखकर सम्मान देकर बातें करते रहे।
पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने दोस्तों के अलावा अपने उऩ शिक्षकों को भी मुख्यमंत्री आवास बुलाया था, जिन्होंने उन्हें स्कूल के दिनों में पढ़ाया था। उन्होंने कहा कि उनका मकसद उनका सार्वजनिक स्तर पर सम्मान करना था। इसके अलावा उन्होंने अपने सभी रिश्तेदारों और परिजनों को बुलाया था ताकि वह उनके बाल-बच्चों से मिल सकें। पीएम मोदी ने बताया कि उन्हें इस यह जानने की बड़ी इच्छा थी कि उनके नाते-रिश्तेदारों में किसके कितने बच्चे हैं और कौन क्या कर रहा है। उनसे मिलें-जुलें। उन्हें जानें-पहचानें। इसलिए उन सभी को सीएम आवास बुलाया और सबसे परिचय किया।
पीएम मोदी ने अपनी चौथी इच्छा के बारे में बताया कि इसी कड़ी में उन्होंने उन लोगों को भी मुख्यमंत्री आवास पर बुलाया, जिन्होंने संघ प्रचारक के कतौर पर काम करने के दिनों में उन्हें खाना खिलाया था। पीएम ने इस बात पर चिंता जताई कि उनके जीवन में कोई तू कहने वाला नहीं बचा। उनके मुताबिक सभी लोग औपचारिक संबोधन करते हैं और आप कहकर ही पुकारते हैं।