वक्फ की जमीन पर खोल दें स्कूल-कॉलेज, JPC चीफ से बोले मुस्लिम शिक्षाविद और धर्मगुरु; बिल का समर्थन
सरकार ने वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक गत 8 अगस्त को लोकसभा में पेश किया था, जिसे सत्तापक्ष एवं विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक एवं चर्चा के बाद संयुक्त समिति को भेजने का फैसला हुआ था।
शिक्षाविदों और मुस्लिम धर्मगुरुओं के एक समूह ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति की बैठक में बृहस्पतिवार को मसौदा कानून का समर्थन किया और उनमें से कुछ ने सुझाव दिया कि वक्फ संपत्तियों का उपयोग शैक्षणिक और स्वास्थ्य सुविधाएं खोलने के लिए भी किया जाना चाहिए। राजस्थान वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सैयद अबुबकर नकवी, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय (लखनऊ) के पूर्व कुलपति माहरुख मिर्जा और मजलिस-ए-उलेमा-ए-हिंद के मौलाना रजा हुसैन उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने इस विधेयक का समर्थन किया।
इन लोगों ने भारतीय जनता पार्टी के सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष अपने विचार रखे। सूत्रों ने बताया कि नकवी ने विधेयक को प्रगतिशील बताया और कहा कि इससे देश के विकास को बढ़ावा मिलेगा तथा मौजूदा वक्फ कानून कमियों से भरा है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून में गरीब बच्चों और विधवाओं के लिए अच्छे प्रावधान हैं।
सूत्रों ने कहा कि कुछ विपक्षी सांसदों ने विधेयक के समर्थन में समिति के सामने पेश हुए कुछ लोगों द्वारा दिए गए बयान पर सवाल उठाया। हुसैन ने कहा कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए विधेयक एक अच्छा कदम है। उन्होंने कहा कि अगर नया कानून समुदाय और देश की प्रगति को बढ़ावा देता है, तो इसका स्वागत है। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वक्फ संपत्तियों का उपयोग उसी उद्देश्य के लिए किया जाए जिसके लिए वे बनाई गई हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें नए बिल पर कुछ आपत्तियां भी हैं।
सरकार ने वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक गत 8 अगस्त को लोकसभा में पेश किया था, जिसे सत्तापक्ष एवं विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक एवं चर्चा के बाद संयुक्त समिति को भेजने का फैसला हुआ था।