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आप भगवान हैं या नहीं, इसका फैसला लोगों को करने दें: मोहन भागवत

  • मोहन भागवत ने कहा, ‘हमें अपनी जिंदगी में जितना संभव हो, अच्छे काम करने चाहिए। हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हम चमकेंगे या फिर असफल रहेंगे। अपने काम से कोई भी स्मरणीय व्यक्तित्व बन सकता है। लेकिन हम उस स्तर तक पहुंचे हैं या नहीं। यह फैसला लोगों को करने देना चाहिए। खुद उसका आकलन नहीं करना चाहिए।'

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, अभय खैरनार, पुणेFri, 6 Sep 2024 05:06 AM
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि कौन अच्छा काम कर रहा है या नहीं कर रहा, यह तय करना लोगों का काम है। उन्होंने कहा कि किसी को भी खुद को भगवान नहीं मानना चाहिए। यह फैसला तो लोगों को करने देना चाहिए कि वे किसी को क्या मानते हैं। वह मणिपुर में बच्चों की शिक्षा के लिए काम करने वाले शंकर दिनकर काणे के जन्मशताब्दी वर्ष में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने यह बात कही। काणे को मणिपुर के विद्यार्थियों के लिए महाराष्ट्र में पढ़ने और ठहरने की व्यवस्था करने के लिए जाना जाता है। वह अपनी मृत्यु तक गरीब परिवारों से आने वालों बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था में जुटे रहे।

मोहन भागवत ने भैयाजी काणे को याद करते हुए कहा, ‘हमें अपनी जिंदगी में जितना संभव हो, अच्छे काम करने चाहिए। हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हम चमकेंगे या फिर असफल रहेंगे। अपने काम से कोई भी स्मरणीय व्यक्तित्व बन सकता है। लेकिन हम उस स्तर तक पहुंचे हैं या नहीं। यह फैसला लोगों को करने देना चाहिए। खुद उसका आकलन नहीं करना चाहिए। हमें यह दावा नहीं करना चाहिए कि हम भगवान बन चुके हैं। भैयाजी काणे ने हमारे सामने यही आदर्श प्रस्तुत किए थे।’

आरएसएस प्रमुख ने इस दौरान मणिपुर के हालात पर भी बात की और कहा कि स्थितियां ठीक नहीं हैं। मोहन भागवत ने कहा, ‘वहां सुरक्षा की गारंटी नहीं है। स्थानीय लोगों को अपनी सुरक्षा की चिंता है। वहां जो लोग कारोबार या सामाजिक कार्य के लिए गए हैं, उनके लिए स्थिति और चुनौतीपूर्ण है। लेकिन ऐसे हालातों में भी आरएसएस के कार्यकर्ता वहां मजबूती के साथ डटे हुए हैं। संघ के कार्यकर्ता वहां बिना किसी पक्षपात के लिए सभी के हित में कार्य कर रहे हैं।’ बता दें कि मणिपुर में कूकी और मैतेई समुदाय के लोगों के बीच बीते करीब एक साल से भीषण हिंसा का दौर जारी है और हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। इस हिंसा में सैकड़ों लोग मारे गए हैं और बड़ी संख्या में लोगों को अपने घरों से पलायन करना पड़ा है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मणिपुर में विपरीत हालातों के बाद भी संघ के कार्यकर्ता वहां डटे हुए हैं। हालात सो सामान्य बनाने के लिए वे पूरी सक्रियता के साथ काम कर रहे हैं। राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं। मोहन भागवत ने कहा, ‘एनजीओ हर चीज नहीं संभाल सकते, लेकिन संघ जो कुछ भी संभव होता है, वह करता है। स्वयंसेवक वहां दोनों पक्षों के बीच संवाद में भूमिका अदा कर रहे हैं और उनका भरोसा जीता है। ’ उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य यह होना चाहिए कि हम ऐसा भारत बनाएं जो दुनिया की चुनौतियों को कम करे। यह हम तभी कर सकते हैं, जब जीवन में काणे जी जैसी हस्तियों के तपश्चर्या के सिद्धांत का पालन करें।

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