मनमोहन सिंह की वजह से गांव चमक गया; जब पाकिस्तान से धन्यवाद बोलने आया था उनका दोस्त
- मनमोहन सिंह को सम्मान देने के लिए पाक स्थित उनके गांव में बॉयज स्कूल का नाम उन पर रखा गया। इसके अलावा गांव की सड़कें, पीने का पानी, अस्पताल आदि की भी व्यवस्था की गई। इसी के चलते गांव के लोग मनमोहन सिंह को धन्यवाद देते हैं कि वह भारत के पीएम बने तो कम से कम उनके गांव का भी विकास हो सका।
भारत के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का गुरुवार रात को 92 साल की आयु में निधन हो गया। 1932 में अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत (वर्तमान पाकिस्तान) के गांव गाह में जन्मे मनमोहन सिंह ने विभाजन की विभीषिका से लेकर उदारीकरण के दौर तक को देखा। यहां तक कि उदारीकरण लाने के तो वह सूत्रधार ही बने और फिर 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे। उनके कार्यकाल में आरटीआई, शिक्षा का अधिकार और मनरेगा जैसी स्कीमों के लिए याद किया जाता है। उन्हें याद करने वाले यदि इस पार करोड़ों में हैं तो सीमा के दूसरी तरफ यानी पाकिस्तान में भी उनके चाहने वाले मौजूद हैं। उनका जिस गाह गांव में जन्म हुआ था, वहां के लोग उन्हें आज भी धन्यवाद देते हैं। इसकी वजह यह है कि मनमोहन सिंह के यहां पीएम बनने के बाद पाकिस्तान सरकार ने गाह गांव का कायापलट कर दिया था।
मनमोहन सिंह को सम्मान देने के लिए वहां बॉयज स्कूल का नाम उन पर रखा गया। इसके अलावा गांव की सड़कें, पीने का पानी, अस्पताल आदि की भी व्यवस्था की गई। इसी के चलते गांव के लोग मनमोहन सिंह को धन्यवाद देते हैं कि वह भारत के पीएम बने तो कम से कम उनके गांव का भी विकास हो सका। पंजाब के चकवाल जिले के गाह गांव में जन्मे मनमोहन सिंह विभाजन के बाद भारत आ गए थे, लेकिन उनके मन में जन्मभूमि के दर्शन की इच्छा हमेशा बनी रही। लेकिन वह कभी जा नहीं पाए। यहां तक कि पीएम रहते हुए भी अपने 10 साल के कार्यकाल में मनमोहन सिंह एक बार भी पाकिस्तान नहीं गए। यही नहीं उनके पीएम रहने के दौरान गांव के लोगों ने मनमोहन सिंह को आमंत्रित किया था। गांव के रहने वाले राजा मोहम्मद अली ने कहा था कि हम उन्हें यहां आने का न्योता देते हैं।
पूर्व पीएम पाकिस्तान नहीं गए थे तो उनके दोस्त राजा मोहम्मद अली खुद भारत आए थे। उन्होंने मनमोहन सिंह और उनकी फैमिली से मुलाकात की थी और गांव के विकास के लिए धन्यवाद बोला था। उनका कहना था कि यदि मनमोहन सिंह गांव आएंगे तो हम उनका देसी अंदाज में स्वागत करेंगे। राजा मोहम्मद अली ने कहा था, ‘यदि मनमोहन सिंह आएंगे तो हमें खुशी होगी। हम उन्हें बाजरे की रोटी खिलाएंगे। मनमोहन सिंह और उनका परिवार विभाजन के बाद भारत आ गए थे। उनके गांव में सिखों और हिंदुओं की बड़ी आबादी थी, लेकिन बड़े पैमाने पर हिंसा भड़की तो लोग किसी तरह जान बचाकर निकले। अब जिस स्कूल का नाम मनमोहन सिंह गवर्नमेंट स्कूल है, वहीं पर पूर्व पीएम ने प्राइमरी की पढ़ाई की थी। हिंसा भड़की तो मनमोहन सिंह के अलावा उनके साथ पढ़ने वाले कई अन्य लोगों के परिवार भी भारत आ गए।’
मोहम्मद अली ने कहा कि उन्होंने और मनमोहन सिंह ने पहली से चौथी क्लास तक साथ पढ़ाई की थी। उन्होंने कहा कि हम तो स्कूल से निकलने के बाद भी मिलते रहे, जब मनमोहन सिंह आगे की पढ़ाई के लिए चकवाल कस्बे में चले गए थे। बता दें कि मनमोहन सिंह जिस गांव में जन्मे थे, वहां बड़ी संख्या में सिख परिवार थे, लेकिन विभाजन के बाद उन्हें पलायन करना पड़ा। फिलहाल गाह गांव में मुस्लिमों के अलावा अन्य किसी समुदाय के लोगों की आबादी नहीं बची है। बता दें कि मनमोहन सिंह के दोस्त की मौत 2010 में ही चकवाल में हुई थी।