म्यांमार में भूकंप पीड़ितों के लिए देवदूत बना भारत, मदद के लिए रवाना कर दिए कई युद्धपोत
म्यांमार में भूकंप के बाद सबसे पहले भारत ने ही मदद का हाथ बढ़ाया था। मंगलवार को भी भारत ने राहत सामग्री के साथ युद्धपोत म्यांमार के लिए रवाना कर दिया है।

म्यांमार में भूकंप के बाद सबसे पहले भारत ने ही मदद के हाथ आगे बढ़ाए थे। भारत ने मंगलवार को भी 400 टन राहत सामग्री एक युद्धपोत के जरिए म्यांमार भेजी है। इसके अलावा भारत ने राहत-बचाव और तलाशी अभियान के लिए टीम भी भेजी है। भारत सरकार 'ऑपरेशन ब्रह्मा' के जरिए म्यांमार में भूकंप पीड़ितों की मदद कर रहा है। शुक्रवार को म्यांमार में 7.7 तीव्रता का भूकंप आया था जिसमें करीब 2 हजार लोगों की मौत हो चुकी है।
भारत मांडले एयरपोर्ट पर एक अस्पताल भी चला रहा है जहां घायलों को लाकर इलाज किया जा रहा है। वहीं 80 सदस्यों वाली एनडीआरएफ की टीम गिरी हुई इमारतों के मलबे से लोगों को निकालने में जुटी है। मंगलवार को विशाखापट्टनम पोर्ट से आईएनएस घड़ियाल को 442 मीट्रिक टन राहत सामंग्री के साथ रवाना किया गया है। वहीं एसी-130 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के जरिए भी 16 टन राहत सामग्री म्यांमार भेजी गई है।
इसके अलावा 30 टन राहत सामग्री पहले ही म्यांमार पहुंचाई जा चुकी है। इसमें खाने का सामान, टेंट और दवाइयां थीं। आईएनएस सतपुड़ा और आईएनएस सावित्री 50 टन सामग्री लेकर म्यांमार पहुंच चुका है। म्यांमार में तेज भूकंप के बाद कई बार झटके आ चुके हैं। ऐसे में लोग खौफ में हैं और वे अपने घरों को जाने को तैयार नहीं हैं। बड़ी संख्या में लोग बाहर खुले में या फिर टेंट में रातें काट रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि पड़ोसी प्रथम की नीति के तहत भारत ने तुरंत ही राहत और बचाव के लिए इंतजाम शूरू कर दिए थे। भारत ने एक बार फिर साबित किया है कि वह सबसे पहले मदद का हाथ आगे बढ़ाता है।
शनिवार को भारत ने भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए पांच सैन्य विमानों से राहत सामग्री, बचाव दल और चिकित्सा उपकरण म्यांमा भेजे थे। भारत के अलावा चीन, रूस, फिलीपीन्स, पाकिस्तान और अन्य देश भी म्यांमार में राहत सामग्री भेज रहे हैं। हालांकि यह कदम सबसे पहले भारत ने ही उठाया था।