जब वोटिंग में बुर्का पर बैन नहीं, तो परीक्षा में क्यों? एक और मुद्दे पर BJP और शिंदे सेना में ठनी रार
शिवसेना के नेता राजू वाघमारे ने कहा है कि जब वोटिंग के दौरान बुर्का पर बैन नहीं है तो परीक्षा के दौरान परीक्षा केंद्रों पर बुर्का पहनने से क्या दिक्कत होगी?
महाराष्ट्र की सरकार में शामिल दो दलों (भाजपा और एकनाथ शिंदे की शिवसेना) के बीच धीरे-धीरे दूरियां बढ़ने लगी हैं। उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के इलाके ठाणे में भाजपा जहां अपना जनाधार बढ़ाने की जुगत में लगी है और भाजपा नेता गणेश नाइक जनता दरबार लगाने को आतुर दिख रहे हैं, वहीं अब बुर्का विवाद में दोनों सहयोगी दल उलझते दिख रहे हैं।
भाजपा कोटे से देवेंद्र फडणवीस सरकार में मंत्री नितेश राणे ने 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में बुर्का पहनने पर बैन लगाने के लिए राज्य के शिक्षा मंत्री दादा भुसे को खत लिखा है लेकिन शिंदे सेना के नेता ने इसका विरोध किया है। शिवसेना के नेता राजू वाघमारे ने कहा है कि जब वोटिंग के दौरान बुर्का पर बैन नहीं है तो परीक्षा के दौरान परीक्षा केंद्रों पर बुर्का पहनने से क्या दिक्कत होगी?
हालांकि, वाघमारे ने कहा कि मंत्री नितेश राणे का आधा बयान सही है कि महायुति सरकार तुष्टिकरण की राजनीति बर्दाश्त नहीं करने वाली है। समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए वाघमारे ने कहा, “उन्होंने जो कहा है, उसका आधा हिस्सा सही है कि महायुति सरकार तुष्टिकरण की राजनीति बर्दाश्त नहीं करने वाली है लेकिन मतदान के लिए मतदान केंद्रों पर अगर बुर्का की अनुमति दी जाती है, तो मुझे नहीं लगता कि परीक्षाओं के दौरान इससे कोई समस्या होनी चाहिए। हमें नहीं लगता कि छत्रपति शिवाजी महाराज और अंबेडकर के विचारों और प्रक्रियाओं की इस भूमि पर हमें इस तरह का बयान देना चाहिए।”
इससे पहले बुधवार को नितेश राणे ने राज्य के शिक्षा मंत्री को खत लिखकर 10वीं और 12वीं के परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा के दौरान बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी और कहा था कि इससे कदाचार की गुंजाइश बनी रहती है। इसलिए साफ-सुथरी परीक्षा प्रणाली के लिए परीक्षा केंद्रों पर बुर्का पर बैन लगाया जाना चाहिए। उन्होंने अपनी चिट्ठी में लिखा कि छात्राएं हिजाब पहनकर परीक्षा केंद्र में प्रवेश कर सकती हैं जिससे परीक्षा में उनके धोखाधड़ी करने की संभावना बढ़ सकती है। इसके अतिरिक्त यदि आवश्यक हो तो सरकार के स्तर पर निर्देशित अनुसार केस-दर-केस सत्यापन के लिए महिला पुलिस अधिकारी, अधिकारी या शिक्षण कर्मचारी नियुक्त किए जाने चाहिए।
दूसरी तरफ, महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान ने भी नितेश राणे के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस तरह के बयानों से सरकार की छवि खराब होती है। उन्होंने राणे से कहा कि इस प्रकार के गैर-जिम्मेदाराना बयानों से बचना चाहिए। नागपुर के व्यवसायी और हजरत बाबा ताजुद्दीन ट्रस्ट के अध्यक्ष प्यारे खान को पिछले साल एकनाथ शिंदे ने पांच साल के कार्यकाल के लिए महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया था। उधर, सपा नेता अबू आजमी ने भी नितेश राणे के बयान की आलोचना की है।