गुजराती होकर भी हिंदी कैसे बोल लेते हो? PM मोदी ने बताया चाय बेचने का कनेक्शन
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना पहला पॉडकास्ट रिकॉर्ड किया, जिसे शुक्रवार दोपहर को रिलीज किया गया। यह पॉडकास्ट जेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामथ द्वारा जारी किया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाषा पर पकड़ और उनके भाषण देने की कला से सब वाकिफ हैं। सभी जानते हैं कि पीएम मोदी गुजरात से हैं जहां कि आधिकारिक भाषा गुजराती है। लेकिन ये भी जाहिर है कि वे जितनी अच्छी गुजराती बोलते हैं उतनी ही शानदार हिंदी भी बोलते हैं। जब उनसे पूछा गया कि वे गुजराती होकर इतनी अच्छी हिंदी कैसे बोल लेते हैं तो उन्होंने अपने चाय बेचने के दिनों से एक पुराना किस्सा सुनाया।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना पहला पॉडकास्ट रिकॉर्ड किया, जिसे शुक्रवार दोपहर को रिलीज किया गया। यह पॉडकास्ट जेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामथ द्वारा जारी किया गया। 'पीपल बाय डब्ल्यूटीएफ' नामक इस पॉडकास्ट में जब प्रधानमंत्री मोदी से निखिल कामथ ने पूछा कि आप इतना अच्छा कैसे बोल लेते हैं। इस पर पीएम मोदी ने कहा, "मुझसे पूछा जाता है कि आप तो गुजराती हैं हिंदी कैसे बोल लेते हैं... पहले जब संघ का काम करता था तो कई लोग मानते थे कि मैं तो उत्तर भारत का हूं और गुजरात में आकर रहता हूं।"
उन्होंने कहा, "मेरा गांव मेहसाणा है। मेह का मतलब भैंस होता है। भैंस जब दूध देना शुरू कर देती थी तो मेरे गांव से भैंस लेकर लोग मुंबई जाते थे। मुंबई में वो दूध बेचते थे और जब भैंस दूध देना बंद कर देती थी तो वे वापस आ जाते थे। ये कारोबार करने वाले लोग उत्तर प्रदेश के भी होते थे। तो वो जब आते थे मालगाड़ी का इंतजार करते थे। इस तरह के 30-40 लोग हमेशा वहां रेलवे प्लेटफॉर्म पर होते थे। मैं वहां चाय बेचता था, तो उनको चाय पिलाने जाता था। उनसे मुझे बात करनी पड़ती थी। उनसे बातें करते-करते मैं हिंदी सीख गया। ये भैंस का व्यापार करने वाले लोग होते थे। वे अपना भजन कीर्तन करते, मैं उन्हें चाय पिलाता था और उनसे बात करते-करते हिंदी सीख गया।"
इससे पहले पॉडकास्ट में मोदी ने याद किया कि गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में एक भाषण में उन्होंने कहा था कि गलतियां सभी से होती हैं और वह भी कुछ गलतियां कर सकते हैं। इस पॉडकास्ट की मेजबानी खुद कामथ ने की है। पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री ने कहा, "मैं भी एक इंसान हूं, भगवान नहीं।" अच्छे लोगों के राजनीति में आने की वकालत करते हुए प्रधानमंत्री पॉडकास्ट में इस बात पर जोर देते हैं कि उन्हें एक मिशन के साथ राजनीति में आना चाहिए न कि किसी महत्वाकांक्षा के साथ।