Hindi Newsदेश न्यूज़CJI Sanjiv Khanna says daal me kuch kaala hai ya sab kuchh kaala hai west bengal teacher recruitment scam

‘दाल में कुछ काला है या सब कुछ काला है’, बंगाल से जुड़े केस में CJI खन्ना क्यों और किस पर भड़के

मामले में हुई गड़बड़ी की ओर इशारा करते हुए सीजेआई खन्ना ने साफ तौर पर पूछा कि हमें स्पष्टीकरण दीजिए कि सभी OMR शीट का विवरण सर्वर में पाया गया है या नहीं। या कुछ गायब भी थे।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 19 Dec 2024 02:56 PM
share Share
Follow Us on

सुप्रीम कोर्ट में आज (गुरुवार, 19 दिसंबर को) पश्चिम बंगाल में कथित शिक्षक भर्ती घोटाले के मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक साथ कई अर्जियों पर सुनवाई हो रही थी। देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी। वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी पश्चिम बंगाल राज्य की तरफ से मामले की पैरवी कर रहे थे। मामले की शुरुआत करते हुए उन्होंने शीर्ष न्यायालय से कहा कि राज्य सरकार जांच में सहयोग कर रही है और हाई कोर्ट में दागी और बेदाग उम्मीदवारों के अलगाव का समर्थन करती है।

इस पर CJI ने कहा कि आप कृपया विवादित फैसले की बात कीजिए और हमें बताइए कि हाई कोर्ट ने क्यों कहा कि अलगाव संभव नहीं है? CJI ने यह भी कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65B के बारे में एक गलत धारणा बनी हुई है।यह दस्तावेज के साक्ष्य मूल्य से संबंधित नहीं है और केवल प्रमाण पत्र भर हैं। मैं यह मानता हूं कि OMR शीट की मूल प्रतियां बरामद नहीं की गईं.. प्रमाण पत्र केवल वही दिखाता है जो सर्वर से डाउनलोड किया गया है जो हार्ड डिस्क में है लेकिन हार्ड डिस्क पर डेटा की प्रामाणिकता कुछ ऐसी नहीं है जो धारा 65B देती है।

मामले में हुई गड़बड़ी की ओर इशारा करते हुए सीजेआई खन्ना ने साफ तौर पर पूछा कि हमें स्पष्टीकरण दीजिए कि सभी OMR शीट का विवरण सर्वर में पाया गया है या नहीं। या कुछ गायब भी थे। सीजेआई ने यह भी कहा कि यह स्पष्ट है कि दागी उम्मीदवारों को बेदाग उम्मीदवारों से अलग नहीं किया जा सकता है। सीजेआई ने आगे कहा कि यह भी स्पष्ट है कि अनियमितताओं के बावजूद, अतिरिक्त पद सृजित किए गए। राज्य सरकार के वकील से उन्होंने पूछा आपने (पश्चिम बंगाल राज्य) भी तो सुनिश्चित किया कि अवैध नियुक्तियां जारी रहें। क्या यह सही नहीं है।

इसके बाद चीफ जस्टिस ने बंगाल कर्मचारी चयन आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता से पूछा कि डेटा को दूसरे पक्ष को देते समय अपने पास इसे क्यों नहीं रखा? उन्होंने इस पर भी सवाल उठाए कि अंकन और स्कैनिंग के बीच शायद ही कोई समय अंतराल होता है,बावजूद इसके यह एक साथ कैसे हुआ? सीजेआई ने दो टूक कहा,निश्चित रूप से आपकी ओर से कुछ हेरफेर हुआ है और हमें यह देखना होगा कि पंकज भंसाल की ओर से भी कोई हेरफेर हुआ है या नहीं।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि इसमें कुछ गड़बड़ है लेकिन उन्होंने प्रामाणिकता का पता नहीं लगाया है। इसी बीच बंगाल बोर्ड की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा, मैं बोर्ड की ओर से पेश हुआ हूं। न्यायालय इस बात पर विचार करे कि क्या चीजों को अलग-अलग किया जा सकता है या सबको एक साथ हटा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम पश्चिम बंगाल में निरंतर शिक्षा के लिए यहां आए हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षा देने के लिए हम सब कुछ अनदेखा नहीं कर सकते। हम यह देख रहे हैं कि क्या हाई कोर्ट के फैसले में कोई गलती हो सकती है या उसे अलग किया जा सकता है या नहीं। इसके बाद CJI खन्ना ने कहा, हमें देखना है कि दाल में कुछ काला है या सब कुछ काला है।

ये भी पढ़ें:LIVE: राहुल के खिलाफ FIR, रिजिजू बोले- अगर हमने हाथ उठाया होता तो?
ये भी पढ़ें:अगर उन्हें कुछ हुआ तो भुगतना पड़ेगा भारी अंजाम,SC ने पंजाब सरकार को क्यों चेताया
ये भी पढ़ें:कॉलेजियम के सामने पेश हुए जस्टिस शेखर यादव, मुस्लिम विरोधी भाषण पर छिड़ा संग्राम
ये भी पढ़ें:पुरुष के कंधे पर क्यों बैठना? महिला आरक्षण वाली अर्जी पर ऐसा क्यों बोला SC

बता दें कि करीब 2016 में ममता बनर्जी सरकार में 25 हजार शिक्षकों/स्कूल कर्मियों की भर्ती में घोटाला उजागर होने के बाद कलकत्ता काई कोर्ट ने नियुक्ति रद्द कर दी थी। हाई कोर्ट ने इसके साथ ही इन शिक्षकों को ब्याज समेत वेतन लौटाने को कहा था। हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने SC में याचिका दायर की है। हालांकि, इसी साल 7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी लेकिन सीबीआई को जांच जारी रखने को कहा था।

अगला लेखऐप पर पढ़ें