पुरुष के कंधे पर क्यों बैठना? महिला आरक्षण वाली अर्जी पर वकील से ऐसा क्यों बोला SC
- गुजरात बार एसोसिएशन में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिए जाने की मांग वाली अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने महिला वकील को ही सुना डाला। मामला यूं था कि महिला वकील ने अर्जी को बढ़ाने के लिए पुरुष अधिवक्ता को रखा था। इस पर बेंच ने टिप्पणी की कि आखिर पुरुष के कंधे पर बैठने की क्या जरूरत है।
गुजरात बार एसोसिएशन में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिए जाने की मांग वाली अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने महिला वकील को ही सुना डाला। मामला यूं था कि महिला वकील ने अर्जी को बढ़ाने के लिए पुरुष अधिवक्ता को रखा था। इस पर बेंच ने टिप्पणी की कि आखिर पुरुष के कंधे पर बैठने की क्या जरूरत है। इस मामले में तो अपना पक्ष खुद ही रखा जा सकता था। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने महिला वकील वकील मीना जगताप से सवाल किया कि आखिर आप खुद दलीलें पेश न करके पुरुष वकील के सहारे क्यों हैं। आखिर यह अर्जी भी आपकी महिलाओं को बार एसोसिएशन में अधिक प्रतिनिधित्व दिलाने की है।
इसके बाद भी यह अर्जी एक पुरुष वकील के माध्यम से आपने पेश कराई है। बेंच ने कहा, 'आप चाहती हैं कि महिलाओं को बार एसोसिएशन में 33 फीसदी का आरक्षण मिले। इसके बाद भी इस अर्जी को आपने एक पुरुष वकील के माध्यम से रखा है। यदि वह बार एसोसिएशन में आरक्षण की मांग कर सकती हैं तो हमें भरोसा है कि वह यहां आकर अपने केस में दलीलें भी दे सकती थीं।' इस पर मीना जगताप का पक्ष रख रहे वकील ने बेंच को भरोसा दिलाया कि अगली सुनवाई में वह खुद कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखेंगी। केस की अगली सुनवाई की तारीख 19 दिसंबर तय की गई है।
बेंच ने कहा कि यदि आप समानता की बात करते हैं तो फिर खुद सामने आकर उसका उदाहरण पेश करना चाहिए। बेंच ने कहा, 'आखिर रिजर्वेशन की डिमांड करने वाली एक महिला वकील को अपनी दलीलें पेश करने के लिए पुरुष अधिवक्ता की जरूरत क्यों पड़ रही है। वह अपना पक्ष खुद क्यों नहीं रख सकतीं। हम सीधे उनसे ही बात करके विचार जानना चाहेंगे।' बेंच ने अधिवक्ता से कहा कि हम आपकी बात को मानते हैं और काबिलीयत का सम्मान करते हैं, लेकिन यदि महिला अधिवक्ता खुद मौजूद रहें तो विषय के प्रति उनकी गंभीरता भी समझ में आएगी।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हमें हैरानी है कि आखिर ऐसे मामले को रखने के लिए भी किसी पुरुष वकील की ही जरूरत क्यों है। अपील करने वाली महिला वकील खुद सामने आएं और पक्ष रखें। जगताप की वकील थी कि अहमदाबाद बार एसोसिएशन के चुनाव में महिला वकीलों के लिए 33 फीसदी कोटा होना चाहिए। बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन समेत कई जगहों से ऐसी अर्जियां आई हैं, जिन पर अदालत में सुनवाई चल रही है।