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Hindi Newsदेश न्यूज़Can sacrifice be banned in Kamakhya temple JDU got angry over the namaz break LJP also criticized

कामाख्या मंदिर में बलि पर रोक लगा सकते हैं? नमाज ब्रेक पर भड़की JDU, लोजपा ने भी की आलोचना

  • जेडीयू के वरिष्ठ पदाधिकारी केसी त्यागी ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, आस्था और पूजा की स्वतंत्रता का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि किसी को भी ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे संविधान की भावना और लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचे।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानSun, 1 Sep 2024 12:07 AM
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राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के प्रमुख सहयोगी दलों में शामिल नीतीश कुमारी की जेडीयू और चिराग पासवान की एलजेपी ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के बयान पर असहमति जताई है। दोनों ही दलों ने मुस्लिम विधायकों को नमाज अदा करने के लिए शुक्रवार को मिलने वाले दो घंटे का अवकाश बंद करने के राज्य विधानसभा के फैसले की आलोचना की है। वहीं, सीएम सरमा ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह हिंदू और मुस्लिम विधायकों के बीच आम सहमति से लिया गया है।

जेडीयू पदाधिकारी नीरज कुमार ने विधानसभा में जुम्मा की नमाज के लिए दो घंटे के स्थगन की प्रथा को समाप्त करने के असम सरकार के फैसले की आलोचना की। उन्होंने कहा कि सरमा को गरीबी उन्मूलन और बाढ़ की रोकथाम जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा, "असम के मुख्यमंत्री द्वारा लिया गया निर्णय देश के संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। हर धार्मिक विश्वास को अपनी परंपराओं को संरक्षित करने का अधिकार है। मैं सीएम सरमा से पूछना चाहता हूं कि आप रमजान के दौरान शुक्रवार की छुट्टियों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं और दावा करते हैं कि इससे कार्य कुशलता बढ़ेगी। हिंदू परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मां कामाख्या मंदिर है। क्या आप वहां बलि की प्रथा पर प्रतिबंध लगा सकते हैं?"

हालांकि सरमा ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा, "हमारी विधानसभा के हिंदू और मुस्लिम विधायक नियम समिति में बैठे और सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि दो घंटे का ब्रेक सही नहीं है। हमें इस दौरान भी काम करना चाहिए। यह प्रथा 1937 में शुरू हुई थी और कल से बंद कर दी गई है।"

वहीं, जेडीयू के वरिष्ठ पदाधिकारी केसी त्यागी ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, आस्था और पूजा की स्वतंत्रता का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि किसी को भी ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे संविधान की भावना और लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचे।

एलजेपी के दिल्ली अध्यक्ष राजू तिवारी ने भी असम सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई और सुझाव दिया कि धार्मिक प्रथाओं की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए। बिहार के दोनों सहयोगियों ने हाल ही में कोटा प्रावधानों का पालन किए बिना केंद्र के लेटरल एंट्री कदम पर सवाल उठाया था जिसके बाद फैसला वापस ले लिया गया था।

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