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मस्जिदों के सर्वे के बीच ओवैसी की अर्जी, 1991 वाले कानून को लागू करने की मांग; क्या बोला SC

  • बेंच ने कहा कि हम सुनवाई के लिए तैयार हैं और इस संदर्भ में पहले से ही दायर कई याचिकाओं के साथ इसे भी संलग्न करते हैं। अब इस मामले की सुनवाई की तारीख 17 फरवरी तय की गई है। वर्ष 1991 के पूजा स्थल कानून में किसी स्थान के धार्मिक चरित्र को 15 अगस्त 1947 के अनुसार बनाए रखने की बात कही गई है।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली, भाषाThu, 2 Jan 2025 01:46 PM
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वाराणसी, मथुरा, संभल और अजमेर जैसे शहरों में मस्जिदों के सर्वे के बीच सांसद असदुद्दीन ओवैसी की अर्जी गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुई। इस पर अदालत ने सुनवाई पर सहमति जताई है और 17 फरवरी की तारीख तय की है। ओवैसी की मांग थी कि 1991 के पूजा स्थल वाले कानून को केंद्र सरकार से सही से लागू करे। इसके लिए कोर्ट की ओर से आदेश दिया जाए ताकि कई मस्जिदों पर उठे विवाद खत्म हो सकें। इस पर बेंच ने कहा कि हम सुनवाई के लिए तैयार हैं और इस संदर्भ में पहले से ही दायर कई याचिकाओं के साथ इसे भी संलग्न करते हैं। अब इस मामले की सुनवाई की तारीख 17 फरवरी तय की गई है। वर्ष 1991 के पूजा स्थल कानून में किसी स्थान के धार्मिक चरित्र को 15 अगस्त 1947 के अनुसार बनाए रखने की बात कही गई है।

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने आदेश दिया कि ओवैसी की नई याचिका को इस मामले में लंबित मामलों के साथ संलग्न किया जाए और कहा कि मामले में 17 फरवरी को सुनवाई की जाएगी। सुनवाई शुरू होने पर एआईएमआईएम के अध्यक्ष ओवैसी की ओर से पेश हुए वकील निजाम पाशा ने कहा कि अदालत इस मुद्दे पर विभिन्न याचिकाओं पर विचार कर रही है और नयी याचिका को भी उनके साथ संलग्न किया जा सकता है। इस पर चीफ जस्टिस खन्ना ने कहा, ‘हम इस मामले को संबंधित अन्य मामलों के साथ संलग्न कर रहे हैं।’ ओवैसी ने 17 दिसंबर, 2024 को वकील फुजैल अहमद अय्यूबी के माध्यम से याचिका दायर की थी।

हालांकि 12 दिसंबर को चीफ जस्टिस के नेतृत्व वाली बेंच ने 1991 के कानून के खिलाफ दायर इसी तरह की कई अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सभी अदालतों को नए मुकदमों पर विचार करने और धार्मिक स्थलों, विशेषकर मस्जिदों एवं दरगाहों पर अन्य समुदाय द्वारा पुनः दावा करने के लंबित मामलों में कोई भी अंतरिम या अंतिम आदेश पारित करने से रोक दिया था। विशेष पीठ छह याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इन याचिकाओं में वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर मुख्य याचिका भी शामिल थी, जिसमें पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी गई थी। वर्ष 1991 का कानून किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक स्वरूप में परिवर्तन पर रोक लगाता है।

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इसके अलावा 1991 का कानून किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक स्वरूप को उसी रूप में बनाए रखने का प्रावधान करता है, जैसा वह 15 अगस्त 1947 को था। ओवैसी के वकील ने बताया कि उन्होंने अपनी याचिका में केंद्र को कानून का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। ओवैसी ने उन मामलों का भी जिक्र किया जहां कई अदालतों ने हिंदू वादियों की याचिकाओं पर मस्जिदों के सर्वेक्षण का आदेश दिया था।

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