Notification Icon
Hindi Newsदेश न्यूज़Ajit Ranade removed as vice chancellor of Pune GIPE not eligible as UGC norms

अजीत रानाडे को कुलपति पद से हटाया गया, यूजीसी के नियमों का हवाला; अर्थशास्त्री ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण

मशहूर अर्थशास्त्री डॉ. अजीत रानाडे को शनिवार को पुणे के गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स (जीआईपीई) के कुलपति पद से हटा दिया गया। संस्थान के अनुसार रानाडे की नियुक्ति विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मानदंडों का उल्लंघन करती है।

Deepak लाइव हिन्दुस्तान, पुणेSun, 15 Sep 2024 02:20 AM
share Share

मशहूर अर्थशास्त्री डॉ. अजीत रानाडे को शनिवार को पुणे के गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स (जीआईपीई) के कुलपति पद से हटा दिया गया। संस्थान के अनुसार रानाडे की नियुक्ति विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मानदंडों का उल्लंघन करती है। प्रतिष्ठित संस्थान ने रानाडे की नियुक्ति पर सवाल उठने के बाद इस मुद्दे की जांच के लिए एक कमेटी गठित की थी। संस्थान द्वारा रानाडे को लिखे गए पत्र में कहा गया कि कमेटी की राय है कि उनकी उम्मीदवारी यूजीसी के दिशानिर्देशों द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुरूप नहीं है, इसलिए उन्हें पद से हटाया जा रहा है। इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए रानाडे ने एक बयान में कहा कि यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण और चौंकाने वाला निर्णय है।

पुणे स्थिति जीआईपीई भारत के सबसे पुराने रिसर्च और ट्रेनिंग संस्थानों में से एक है। चांसलर बिवेक देब्रॉय द्वारा बनाई गई फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के मुताबिक रानाडे लगातार 10 साल तक बतौर प्रोफेसर पढ़ाने के अनुभव के मानदंड को पूरा नहीं करते हैं। रानाडे को लिखे पत्र में देब्रॉय ने कहा कि इसलिए मेरे पास आपको तत्काल पद से हटाने के अतिरिक्त और कोई रास्ता नहीं है। खुद को हटाए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए रानाडे ने कहा कि पिछले ढाई साल से मैं पूरी लगन और अपनी क्षमता के अनुसार काम कर रहा हूं। संस्थान में सकारात्मक विकास में योगदान दे रहा हूं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि मेरे इन कामों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है।

फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने कई मीटिंग्स की थीं। 13 सितंबर को हुई मीटिंग के बाद कमेटी ने कहा कि कानूनी रूप से रानाडे अपने पद पर नहीं रह सकते। यूजीसी के नियमों के मुताबिक नियमों का उल्लंघन होने या अक्षमता का मामला सामने आने के बाद चांसलर, वाइस चांसलर को उनके पद से हटा सकते हैं। गौरतलब है कि जीआईपीई के फैकल्टी मेंबर मुरली कृष्णा ने रानाडे के अपर्याप्त टीचिंग एक्सपीरियंस को मुद्दा बनाते हुए उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए थे। इसके बाद पूर्व चांसलर राजीव कुमार 27 जून को रानाडे को कारण बताओ नोटिस जारी की थी।

जीआईपीई में अपनी नियुक्ति से पूर्व रानाडे आदित्य बिरला ग्रुप में ग्रुप एग्जीक्यूटिव प्रेसीडेंट और चीफ इकॉनमिस्ट थे। वह भारत और अमेरिका की विभिन्न यूनिवर्सिटीज में पढ़ा चुके हैं। जीआईपीई की वेबसाइट पर मौजूद रानाडे के बायोडाटा के मुताबिक इसके अलावा रानाडे आरबीआई की विभिन्न समितियों में बतौर सदस्य अपनी सेवाएं दे चुके हैं। वहीं, कोविड के बाद इकॉनमिक रिकवरी को लेकर महाराष्ट्र की टास्क फोर्स में भी वह शामिल रहे हैं।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें