क्रिसमस और न्यू ईयर के जश्न से पहले गोवा में बीफ का संकट, गौरक्षकों को CM ने क्यों चेताया
रविवार की सुबह दक्षिण गोवा के मडगांव शहर में तब विवाद पैदा हो गया, जब कथित गौरक्षकों के एक समूह ने बीफ बाजार में उतरे गोमांस की खेपों की जांच करने की मांग कर दी, जिसके कारण मांस व्यापारी और गौरक्षक आमने-सामने आ गए।
क्रिसमस और न्यू ईयर के जश्न से पहले गोवा में बीफ संकट गहरा गया है। इसकी वजह गौरक्षकों के हमले का भय है। इस बीच, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने सोमवार को दो टूक कहा कि जो लोग भी कानून को अपने हाथों में लेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सीएम ने कहा कि राज्य सरकार अपने अधीन संचालित बूचड़खाने, गोवा मीट कॉम्प्लेक्स के माध्यम से गोवा के लोगों को 'स्वच्छ' बीफ उपलब्ध कराना जारी रखेगी। रविवार शाम गौरक्षकों के एक समूह ने कथित तौर पर बीफ विक्रेताओं पर हमला बोल दिया था, जिसके बाद सोमवार को विक्रेताओं ने दुकानें बंद कर दीं।
मुख्यमंत्री सावंत ने सोमवार को एक सरकारी समारोह से इतर कहा, “गोवा सरकार गोवा मीट कॉम्प्लेक्स चलाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गोवा के लोगों को स्वच्छ मांस मिल सके। मैं स्वच्छ शब्द पर जोर देता हूँ। अगर इस तरह से कोई हस्तक्षेप कर रहा है, कानून को अपने हाथ में ले रहा है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। किसी को भी कानून को अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए।”
बता दें कि रविवार की सुबह दक्षिण गोवा के मडगांव शहर में तब विवाद पैदा हो गया, जब कथित गौरक्षकों के एक समूह ने बीफ बाजार में उतरे गोमांस की खेपों की जांच करने की मांग कर दी, जिसके कारण मांस व्यापारी और गौरक्षक आमने-सामने आ गए। बाद में फातोर्दा पुलिस ने दोनों पक्षों की ओर से अलग-अलग शिकायतें दर्ज कीं। इस विवाद के कारण मांस आपूर्तिकर्ताओं ने सोमवार को दुकानें बंद कर दीं। यह विवाद ऐसे समय में उपजा है, जब दो दिन बाद क्रिसमस है, जबकि इस मौके पर गोमांस की मांग सबसे अधिक होती है। मांस विक्रेता व्यापारी प्रशासन से सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।
उधर, कांग्रेस ने बीफ व्यापारियों के साथ बदसलूकी पर नाराजगी जताई है। कांग्रेस विधायक कार्लोस फेरेरा ने कहा, "मैं देख रहा हूं कि भीड़ द्वारा खुद को निगरानीकर्ता कहने, घरों में जाने, फ्रिज और अलमारियों की जांच करने और वहां क्या रखा है, इसकी जांच करने के मामले बढ़ रहे हैं। यह पूरी तरह से अतिक्रमण है। उनके पास ऐसा करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। फिर भी वे दुकानों में जा रहे हैं और खुद ही यह जांच करने की कोशिश कर रहे हैं कि कौन सा मांस बेचा जा रहा है, जो गलत है। इन तथाकथित गौरक्षकों के पास कोई कानूनी अधिकार नहीं है। वे पशु कल्याण बोर्ड के तहत मान्यता प्राप्त निकाय नहीं हैं। क्या वे कानून को अपने हाथ में ले सकते हैं, नमूने एकत्र कर सकते हैं और इसे भेजने का प्रयास कर सकते हैं।" गोवा में हर दिन लगभग 20 टन गोमांस खाया जाता है। इसे पर्यटकों के अलावा ज्यादातर 26% कैथोलिक और 11% मुस्लिम आबादी खाती है।