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असम से डिपोर्ट किए जा सकते हैं 25 हजार बांग्लादेशी, गुवाहाटी हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

  • रजिस्ट्रेशन कराने से चूके करीब 5 हजार लोग अपने परिवार के सदस्यों के साथ डिपोर्टेशन का सामना कर सकते हैं। डिपोर्टेशन के खतरे के सामना कर रहे लोगों की संख्या करीब 25 हजार है।

Nisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तानFri, 10 Jan 2025 06:48 AM
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असम में रह रहे हजारों बांग्लादेशी अप्रवासियों पर देश से निकाले जाने का खतरा मंडरा रहा है। गुरुवार को गुवाहाटी हाईकोर्ट के अप्रवासियों के मामले से जुड़े एक मामले में फैसला आया है। दरअसल, यह केस ऐसे अप्रवासियों से जुड़ा हुआ है, जो साल 1966 और 1971 के बीच राज्य में आए थे, लेकिन फॉरेनर्स रीजनल रजिस्ट्रेश ऑफिसर के पास अपना रजिस्ट्रेशन नहीं करा सके। ट्रिब्युनल्स की तरफ से विदेशी घोषित किए जाने के बाद रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बेगम जान नाम की एक महिला को बरपेटा फॉरेनर्स ट्रिब्युनल ने 29 जून 2020 को विदेशी घोषित किया था, लेकिन वह रजिस्ट्रेशन कराने में असफल रही थीं। अब उन्होंने हाईकोर्ट में रजिस्ट्रेशन के लिए समय में विस्तार की अपील की थी, जिसके कोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिए गए फैसले का हवाला दिया है।

खबर है कि रजिस्ट्रेशन कराने से चूके करीब 5 हजार लोग अपने परिवार के सदस्यों के साथ डिपोर्टेशन का सामना कर सकते हैं। डिपोर्टेशन के खतरे के सामना कर रहे लोगों की संख्या करीब 25 हजार है। उच्च न्यायालय का कहना है कि जान के मामले में वह समय विस्तार की अनुमति नहीं दे सकते हैं, क्योंकि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बंधे हुए हैं।

इतिहास

असम में 1985 में पेश किए गए 1955 के नागरिकता कानून की धारा 6ए में खासतौर से बांग्लादेश से आए अप्रवासियों का जिक्र मिलता है। धारा 6ए(2) के तहत जो लोग 1 जनवरी 1966 से पहले असम में आए हैं, उन्हें नागरिकता मिल जाती है। वहीं, धारा 6ए(3) में उन लोगों का जिक्र है, जो 1 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 तक राज्य में आए हैं।

अब धारा 6ए(3) जिन पर लागू होती है, उन्हें विदेशी घोषित होने के बाद FRRO में 30 दिनों के अंदर रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। इसके लिए समय विस्तार 60 दिनों तक हो सकता है। अब जिन लोगों ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है, उनपर डिपोर्टेशन का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, रजिस्ट्रेशन कराने वालों को नागरिकता के सभी अधिकार मिलते हैं। हालांकि, 10 सालों तक वह चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकते हैं, लेकिन इस अवधि के बाद वह पूरी तरह से नागरिक का दर्जा हासिल कर लेते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने अक्तूबर 2024 के फैसले में नागरिकता कानून की धारा 6ए की वैधता को बरकरार रखा था। बेंच के अधिकांश जजों ने कहा था कि 1966 से 1971 वाले समूह के जिन अप्रवासियों ने तय समय में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है, वे नागरिकता के लिए पात्रता गंवा सकते हैं।

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