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शिवाजी का ऐसा अपमान तो मुगलों ने भी नहीं किया, मूर्ति गिरने पर संजय राउत; नेहरू की तारीफ

  • संजय राउत ने कहा कि समुद्र किनारे रघुनाथ फड़के का बनाया लोकमान्य तिलक की प्रतिमा लगी है। आज उसे 90 साल हो गए हैं, लेकिन आज तक कुछ भी नहीं हुआ। वहां बहुत तेज हवा भी चलती है। पंडित नेहरू ने शिवाजी महाराज की जिस प्रतिमा का अनावरण किया था, वह भी आज तक अडिग है।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तानTue, 27 Aug 2024 07:42 AM
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महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरकर टूटने के मामले में संजय राउत ने सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि इसके जिम्मेदार पीएम नरेंद्र मोदी, देवेंद्र फडणवीस और सीएम एकनाथ शिंदे हैं। अजित पवार भी इसके जिम्मेदार हैं। इस मामले में ठेकेदार और मूर्तिकार के खिलाफ ऐक्शन हो रहा है, लेकिन इनको काम किसने दिया था। आज महाराष्ट्र दुखी है, उनके सीने पर बहुत बड़ा वार हुआ है। जिस तरह से छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा टुकड़े-टुकड़े हुई है, उससे सभी को दुख है। ऐसा अपमान तो महाराज शिवाजी का मुगलों ने भी नहीं किया था।

संजय राउत ने कहा कि समुद्र किनारे रघुनाथ फड़के का बनाया लोकमान्य तिलक की प्रतिमा लगी है। आज उसे 90 साल हो गए हैं, लेकिन आज तक कुछ भी नहीं हुआ। वहां बहुत तेज हवा भी चलती है। पंडित नेहरू ने शिवाजी महाराज की जिस प्रतिमा का अनावरण किया था, वह भी आज तक अडिग है। इस मामले में मैं सीएम का इस्तीफा मांगता हूं कि आपने महाराष्ट्र की भावनाओं का अपमान किया है। इस मामले में पीडब्ल्यूडी मंत्री को भी इस्तीफा देना चाहिए। ऐसा लगता है कि अपने लोगों को ठेके दिए गए और उन्होंने पैसे बना लिए। आखिर यह कैसी सरकार है, जो महाराज शिवाजी तक के पुतले में करप्शन कर लेती है।

इस मामले में सीएम एकनाथ शिंदे की ओर से तेज हवा चलने के तर्ज पर भी संजय राउत ने तंज कसा। उन्होंने कहा कि हवा तो सीएम एकनाथ शिंदे के दिमाग में घुस गई है। इसलिए वह जमीन से ऊपर उड़ रहे हैं। आप विश्वगुरु बनना चाहते हैं, लेकिन शिवाजी तो विश्वपुरुष हैं। सिंधुदुर्ग किले में पीएम नरेंद्र मोदी आए थे और इंडियन नेवी का यह कार्यक्रम था। ये लोग बहुत जल्दबाजी में थे। कई लोगों ने इन लोगों को समझाया भी था। इसमें सामने आया है कि सारे ठेकेदार सीएम के थे। यह महाराष्ट्र के ऊपर बहुत बड़ा आघात हुआ है। हमने सपने में भी ऐसा नहीं सोचा था। महाराष्ट्र में हवा जोर से चलती है, लेकिन ऐसा नहीं होता। 1933 में गिरगांव चौपाटी में लोकमान्य तिलक की प्रतिमा बनी थी। आज भी वह मजबूती से खड़ी है। ऐसा किसी के साथ भी नहीं हुआ क्योंकि कोई और प्रतिमा ऐसे भ्रष्टाचार से नहीं बनी थी।

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