महाराष्ट्र में 3 एग्जिट पोल सर्वे से महायुति को टेंशन, बता रहे त्रिशंकु विधानसभा के आसार
Maharashtra Exit Poll Survey: तीन अन्य सर्वेक्षणों पी-मार्क, लोकशाही मराठी-रुद्र और जी न्यूज के AI एग्जिट पोल सर्वे का मानना है कि राज्य में कांटे की टक्कर होगी और कोई भी गठबंधन स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं कर पाएगा।
Maharashtra Exit Poll Survey: महाराष्ट्र की सभी 288 विधानसभा सीटों पर आज (20 नवंबर, बुधवार को) एकल चरण में मतदान संपन्न हो गए। इसके तुरंत बाद विभिन्न एजेंसियों ने एग्जिट पोल नतीजे जारी किए हैं, जिनमें पांच में से तीन एग्जिट पोल के नतीजों में कहा गया है कि राज्य में सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी महाविकास अघाड़ी गठबंधनों के बीच कांटे की टक्कर है। इस सर्वे ने महायुति गठबंधन की टेंशन बढ़ा दी है। हालांकि, दो अन्य एजेंसियों के एग्जिट पोल नतीजों में महायुति सरकार की वापसी की संभावना जताई गई है।
मैट्रिज और पीपुल्स पल्स के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना (शिंदे)-एनसीपी (अजीत पवार) गठबंधन 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में 150-195 सीटें जीतेगा। मैट्रिज ने अकेले महायुति को 150 से 170 सीटें दी हैं, जबकि पीपुल्स पल्स ने उदारता दिखाते हुए भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन महायुति को 175 से 195 सीटें दी हैं। विपक्षी महा विकास अघाड़ी गठबंधन को मैट्रिज ने अधिकतम 130 सीटें और पीपुल्स पल्स ने सिर्फ 112 सीटें दी हैं।
हालांकि, तीन अन्य सर्वेक्षणों पी-मार्क, लोकशाही मराठी-रुद्र और जी न्यूज के AI एग्जिट पोल सर्वे का मानना है कि राज्य में कांटे की टक्कर होगी और कोई भी गठबंधन स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं कर पाएगा। पी-मार्क का अनुमान है कि महायुति को 137 से 157 सीटें और एमवीए को 126 से 146 सीटें मिलेंगी, जबकि लोकशाही मराठी-रुद्र का मानना है कि भाजपा गठबंधन को 128-142 और एमवीए को 125-140 सीटें मिलेंगी। इसी तरह जी न्यूज के AI एग्जिट पोल सर्वे में महायुति गठबंधन को 129 से 159 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है, जबकि महाविकास अघाड़ी के खाते में 124 से 154 सीटें जाने की बात कही गई हैं।
बता दें कि राज्य में बहुमत का आंकड़ा 145 है। 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा और (तत्कालीन अविभाजित) शिवसेना को भारी जीत मिली थी। तब भगवा पार्टी ने 105 सीटें (2014 से 17 कम) और उसकी सहयोगी शिवसेना ने 56 सीटें (सात कम) जीतीं थीं। बाद में मुख्यमंत्री पद की लड़ाई में दोनों सहयोगी दलों का रास्ते अलग-अलग हो गए थे। इसके बाद उद्धव ठाकरे ने अपनी शिवसेना को कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी (तब भी अविभाजित) के साथ आश्चर्यजनक गठबंधन में शामिल कर लिया था, और राज्य में सरकार बनाई थी।