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अष्टमी पूजन पर नवजात कन्या को प्रसाद खिलाते समय ना करें ये गलतियां, बनी रहेगी सेहत और आस्था

  • Navratri 2025 Kanya Pujan Prasad For Newborn Baby: अगर आपकी नवजात कन्या नवरात्रि पूजन में शामिल हो रही है, तो आस्था के साथ उसकी सेहत का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं नवजात शिशु को नवरात्रि प्रसाद देते समय किन बातों का खास ख्याल रखना चाहिए।

Manju Mamgain लाइव हिन्दुस्तानTue, 1 April 2025 02:59 PM
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अष्टमी पूजन पर नवजात कन्या को प्रसाद खिलाते समय ना करें ये गलतियां, बनी रहेगी सेहत और आस्था

Kanya Pujan Prasad For Infant: हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि 2025 का व्रत खास महत्व रखता है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के भक्त मां को प्रसन्न करने के लिए उनकी उपासना और व्रत रखते हैं। नवरात्रि व्रत का पारण आठवें और नौवें दिन, यानी अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन के साथ किया जाता है। नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व माना गया है।इस दिन छोटी-छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का रूप मानकर पूजा-अर्चना करते हुए प्रसाद खिलाया जाता है। इस साल चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि 5 अप्रैल और रामनवमी की तिथि 6 अप्रैल है। इस दौरान छोटी कन्याओं को देवी दुर्गा का स्वरूप मानकर उनकी पूजा करके प्रसाद खिलाया जाता है। अगर आपकी नवजात कन्या भी नवरात्रि पूजन में शामिल हो रही है, तो आस्था के साथ उसकी सेहत का ध्यान रखना भी बेहद जरूर है। आइए जानते हैं नवजात शिशु को नवरात्रि प्रसाद देते समय किन बातों का खास ख्याल रखना चाहिए।

नवजात शिशु को नवरात्रि प्रसाद खिलाते समय ध्यान रखें ये बातें

ठोस आहार देने से बचें- नवजात शिशु (0-6 महीने) केवल मां का दूध या फॉर्मूला दूध ही पचा पाते हैं। ऐसे में उन्हें ठोस या अर्ध-ठोस आहार प्रसाद के रूप में जैसे हलवा, चना, पूरी, मिठाई खाने के लिए बिल्कुल न दें। ऐसा करना उनके पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाकर एलर्जी या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

तरल और सुरक्षित विकल्प चुनें- यदि आप नवजात शिशु को प्रसाद के रूप में कुछ खिलाना ही चाहते हैं तो फॉर्मूला दूध ही सबसे सुरक्षित विकल्प हो सकता है। आप शिशु को थोड़ा सा दूध पिला सकते हैं, जिसे प्रसाद के रूप में माना जा सकता है।

पानी पिलाने की ना करें गलती- छह महीने से कम उम्र के बच्चों को पानी भी नहीं पिलाना चाहिए। इस उम्र के बच्चों को पानी की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि मां के दूध या फॉर्मूला मिल्क में पर्याप्त मात्रा में पानी मौजूद होता है।

मानसिक भाव-कन्या पूजन का मुख्य भाव श्रद्धा और सम्मान है। यदि आप नवजात शिशु को ठोस प्रसाद नहीं दे पा रही हैं, तो आप शिशु को नए वस्त्र पहना सकती हैं, माथे पर तिलक लगा सकती हैं, या उसे प्यार से सहला सकती हैं। यह भी कन्या पूजन का हिस्सा माना जा सकता है।

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