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डिलीवरी के बाद इतना बदल जाता है महिलाओं का शरीर, रखें ये सावधानियां

  • प्रसव के बाद शरीर में कई ऐसे बदलाव होते हैं, जिनके बारे में पहले से कोई बतलाता ही नहीं। कौन से हैं ये बदलाव और कैसे करें इनका सामना, बता रही हैं शमीम खान

Kajal Sharma हिन्दुस्तानFri, 29 Nov 2024 03:57 PM
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मां बनने का अहसास किसी भी महिला के लिए सबसे सुखद होता है, लेकिन इसमें चुनौतियां भी कम नहीं होतीं। गर्भावस्था और प्रसव के दौरान महिलाओं में शारीरिक और मानसिक ही नहीं कई तरह भावनात्मक बदलाव भी होते हैं। प्रसव के बाद तो उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति बिल्कुल ही बदल जाती है। लेकिन, अकसर महिलाएं बच्चे की देखभाल में इतनी व्यस्त हो जाती हैं कि वो खुद को पूरी तरह से नजरअंदाज कर देती हैं। पर, शुरुआती कुछ सप्ताहों में आपको अपना बहुत ध्यान रखना चाहिए। एक अध्ययन के मुताबिक लगभग 69 प्रतिशत नई मांओं को बच्चे के जन्म के बाद कोई ऐसी एक शारीरिक समस्या हो जाती है, जो लंबे समय तक उन्हें परेशान करती है। प्रसव के बाद नई मां के शरीर में किस तरह के बदलाव होते हैं, आइए जानें:

पोस्टपार्टम वजाइनल ब्र्लींडग

बच्चे के जन्म के बाद लोचिया, जिसे सामान्य भाषा में वजाइल ब्र्लींडग कहते हैं, होना सामान्य है। इस डिस्चार्ज में रक्त, म्यूकस और गर्भाशय के ऊतक होते हैं। लोचिया की स्थिति कई सप्ताह तक रह सकती है। इस दौरान टैम्पोन्स के बजाय सेनेटरी पैड्स का इस्तेमाल करें। संक्रमण से बचने के लिए पैड को नियमित अंतराल पर बदलती रहें। अगर रक्तस्त्राव बहुत अधिक हो रहा हो या उसमें से दुर्गंध आ रही हो तो अपने डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

पेरिनियल केयर

यदि आपकी वजाइनल डिलीवरी हुई है, तो पेरिनियल एरिया जिसे सामान्य भाषा में निजी अंगों वाला क्षेत्र भी कह सकते हैं, उसकी देखभाल पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इस क्षेत्र को साफ और सूखा रखें और पेशाब या मल त्यागने के बाद साफ करने के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें। सिट्ज बाथ (पेरिनियल क्षेत्र को गर्म पानी में भिगोना) लें, इससे दर्द में आराम मिलता है और रिकवरी तेज होती है।

दर्द का प्रबंधन

प्रसव के बाद दर्द जिसे पोस्टपार्टम पेन कहते हैं, सामान्य है। खासतौर पर जब चीरा लगा हो। डॉक्टर द्वारा सुझाई दवाइयों और पेन किलर्स से आराम मिल जाता है। पेरिनियल क्षेत्र में आइस पैक्स लगाने या वार्म कंम्प्रेस करने से भी राहत मिलती है।

पोस्टपार्टम चेकअप

प्रसव के छह सप्ताह बाद अपने डॉक्टर से पोस्टपार्टम चेकअप यानी प्रसव के बाद की जाने वाली जांच के लिए अप्वॉइंटमेंट लें। इस दौरान डॉक्टर से अपनी चिंताओं पर खुलकर बात करें। पेरिनियल एरिया की स्थिति और संपूर्ण स्वास्थ्य पर चर्चा करें।

खुद से भी बरतें नरमी

प्रसव के बाद आराम करना बहुत जरूरी है, क्योंकि आपका शरीर एक बहुत बड़े बदलाव से गुजरा है। नई मां को फिट होने के लिए व्यायाम से ज्यादा सही आहार की जरूरत होती है। पर, ज्यादा कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ खाने से बचें। ऐसा भोजन लें, जिसमें विटामिन्स, मिनरल्स और फाइबर अच्छी मात्रा में हों।

आपका शरीर बच्चे के जन्म के बाद रिकवरी मोड में है, इसलिए उसको पानी की ज्यादा मात्रा में जरूरत है। इस अवधि में महिलाएं पेशाब भी ज्यादा करती हैं क्योंकि गर्भावस्था में शरीर में जो तरल पदार्थ जमा हुए थे शरीर उनको निकालने की प्रक्रिया में होता है। आप बच्चे को स्तनपान करा रही हैं, उससे भी शरीर में जल का स्तर कम होता है। इसलिए पर्याप्त मात्रा में पानी और दूसरे तरल पदार्थों का सेवन करें।

बच्चे के जन्म देने के कुछ सप्ताह बाद तक महिलाओं का शरीर बहुत नाजुक होता है। अगर आपको बुखार है, कंपकपी आ रही है, दर्द या बेचैनी हो रही है या चक्कर आ रहा है तो डॉक्टर को दिखाने में देरी न करें।

किसी भी महिला के लिए बच्चे के जन्म के 2-3 दिन तक थोड़ा उदास और उत्तेजित होना सामान्य है। लेकिन यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो इसे पोस्ट पार्टम डिप्रेशन (पीपीडी) या बेबी ब्लूज कहते हैं। इससे बचने के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।

पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज

गर्भावस्था और प्रसव से पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं, जिससे पेशाब पर नियंत्रण न रहना जैसी स्थिति हो सकती है। ऐसे में पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज करना, जिसे अकसर केगेल एक्सरसाइज कहा जाता है, इन मांसपेशियों को मजबूत करने और तेजी से रिकवर होने में सहायता कर सकती हैं। इन्हें आप किसी फिजियोथेरेपिस्ट या एक्सपर्ट की देखरेख में करें ताकि ठीक तरह से कर पाएं।

(मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल, गुरुग्राम में गाइनेकोलॉजी विभाग की क्लीनिकल डायरेक्टर डॉ. पल्लवी वासल से बातचीत पर आधारित)

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