आसान नहीं बच्चे को गोद लेना, फैसले से पहले जानें कानूनी जानकारी know legal information here before deciding to adopt a child, पेरेंटिंग टिप्स - Hindustan

आसान नहीं बच्चे को गोद लेना, फैसले से पहले जानें कानूनी जानकारी

पिछले कुछ दशकों में भारत में बच्चों को गोद लेने वालों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। अगर आप भी भविष्य में बच्चे को गोद लेने की योजना बना रही हैं, तो पहले इस मामले में अपनी कानूनी जानकारी दुरुस्त करें, बता रही हैं शमीम खान

Avantika Jain हिन्दुस्तानSat, 17 May 2025 06:08 AM
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आसान नहीं बच्चे को गोद लेना, फैसले से पहले जानें कानूनी जानकारी

भारत में बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया बच्चों का खेल नहीं है, यह बहुत ही जटिल है और इसमें कई चुनौतियां हैं। मीडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2023 में 2,188 बच्चों को गोद लेने के लिए के लिए 31,000 से ज्यादा आवेदक उपलब्ध थे। यही वजह है कि हमारे देश में बच्चा गोद लेने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। गोद लेने की प्रक्रिया में कई खामियां भी हैं। इसका फायदा बच्चों की तस्करी करने वाले उठा लेते हैं। जब 2016 में जुवेनाइल एक्ट में संशोधन किए गए, तो जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को अदालतों में लंबी प्रक्रियाओं का पालन करने के बजाय गोद लेने के आदेश देने का अधिकार दिया गया।

कानूनों की फेहरिस्त

हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम 1956 के तहत बच्चे को गोद लेने के लिए व्यक्ति को हिंदू (लिंगायत, वीरशैव, आर्य समाज और प्रार्थना समुदायों से संबंधित हो सकता है) बौद्ध, सिख या जैन धर्म से होना चाहिए। गोद लेने वाला धर्म से यहूदी, पारसी, ईसाई या मुस्लिम न हो। • lदत्तक लेने वाले के पास बच्चे को गोद लेने की क्षमता और अधिकार हो। इस कानून में गोद लेने के लिए इच्छुक एकल पुरुष या महिला के लिए अलग-अलग पात्रता मानदंड का उल्लेख किया गया है। किसी भी मामले में, जैविक पिता या माता या दोनों को छोड़कर कोई भी व्यक्ति बच्चे को गोद नहीं दे सकता है। केवल उस स्थिति में जब माता-पिता मौजूद न हों, कानूनी अभिभावक बच्चे को गोद दे सकते हैं।

वहीं किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत• भावी माता-पिता को बच्चे की जिम्मेदारी लेने के लिए मानसिक, भावनात्मक, शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम होना चाहिए।

वैवाहिक स्थिति के बावजूद, भारत में वयस्क बच्चे को गोद ले सकते हैं। यदि कोई दंपति आवेदन कर रहा है तो दोनों माता-पिता की सहमति आवश्यक होगी।

दंपति किसी भी लिंग के बच्चे को गोद ले सकते हैं।

सौतेले माता-पिता या रिश्तेदार द्वारा गोद लिए जाने के अलावा, किसी भी बच्चे को तब तक किसी दंपति को गोद नहीं दिया जाएगा, जब तक कि उनके बीच कम से कम दो साल तक स्थिर वैवाहिक संबंध न हो।

गोद लेने के समय भावी माता-पिता की आयु को ध्यान में रखा जाएगा।

यदि कोई दंपति आवेदन कर रहा है, तो आवेदकों की समग्र आयु पर भी विचार किया जाएगा।

रिश्तेदार या सौतेले माता-पिता द्वारा गोद लिए जाने के मामले में आयु मानदंड पर विचार नहीं किया जाता है।

भावी माता-पिता को तीन साल के बाद अपनी होम स्टडी रिपोर्ट (एक सामाजिक कार्यकर्ता का विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी से आकर जांच करना) को फिर से सत्यापित करना होगा।

दो या अधिक बच्चों वाले दंपति को विशेष आवश्यकता वाले या मुश्किल से गोद लिए जाने वाले बच्चों के लिए विचार किया जा सकता है।

कौन गोद ले सकता है?

विभिन्न प्रक्रियाओं के माध्यम से भारतीय दत्तक ग्रहण कानून किसी भी भारतीय, विदेशी या एनआरआई को भारत में बच्चा गोद लेने की अनुमति देता है।

कोई भी अविवाहित या विवाहित महिला किसी भी लिंग के बच्चे को गोद ले सकती है, लेकिन कोई अविवाहित पुरुष किसी बच्ची को गोद नहीं ले सकता।

भारत में बच्चा गोद लेने के लिए दम्पति का कम से कम 2 वर्ष का सफल वैवाहिक जीवन तथा दोनों की सहमति आवश्यक है।

माता-पिता और गोद लिए गए बच्चे के बीच आयु का अंतर कम से कम 25 वर्ष होना चाहिए।

गोद लेने से पहले रखें ध्यान

यदि आप किसी बच्चे को गोद लेने जा रही हैं तो आपको भारत की राजधानी नई दिल्ली में किसी दत्तक ग्रहण समन्वय एजेंसी या केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण द्वारा प्रमाणित एजेंसी के पास गोद लेने के लिए अपना पंजीकरण कराना होगा।

आपको किसी भी गैर-लाइसेंस प्राप्त एजेंसी या अनाथालय से बच्चा गोद नहीं लेना चाहिए।

अवैध रूप से गोद लिए गए बच्चों को दत्तक माता-पिता की मृत्यु या उनके अलग हो जाने के बाद उनसे किसी भी प्रकार का लाभ नहीं मिल सकता।

कौन-कौन से हैं कानून

केंद्र सरकार के विभिन्न दिशा-निर्देश और नियम बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं। वर्तमान में, निम्न कानून भारत में हैं:

संरक्षक और वार्ड अधिनियम, 1890

हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम, 1956

बच्चों को गोद लेने के संबंध में दिशा-निर्देश, 2015

किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015

(वकील विवेक सोनी, सोनी लॉ फर्म से बातचीत पर आधारित)

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