Hindi Newsझारखंड न्यूज़Community education will begin in Jharkhand to teach children of government schools know its quality

झारखंड में सरकारी स्कूलों के बच्चों को पढ़ाने के लिए सामुदायिक शिक्षा शुरू होगी, जानें इसकी खूबी

राज्य के सरकारी स्कूलों के बच्चों को पढ़ाने के लिए सामुदायिक शिक्षा की शुरुआत की जाएगी। इसमें मुखिया हर पंचायत में ‘मेंटर टीचर’ बनाएंगे, जिसमें सेवानिवृत्त शिक्षक या स्नातक किए छह लोगों की...

rupesh रांची निर्भय , Tue, 6 Oct 2020 05:39 PM
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राज्य के सरकारी स्कूलों के बच्चों को पढ़ाने के लिए सामुदायिक शिक्षा की शुरुआत की जाएगी। इसमें मुखिया हर पंचायत में ‘मेंटर टीचर’ बनाएंगे, जिसमें सेवानिवृत्त शिक्षक या स्नातक किए छह लोगों की टीम होगी। ‘कोई बच्चा पीछे ना छूटे’ योजना के तहत यह टीम काम करेगी। इस योजना का शुभारंभ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन करेंगे। स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग इसकी तैयारी में जुटा है। 

कोरोना महामारी की वजह से स्कूल बंद हैं और करीब 75 फीसदी बच्चों को डिजिटल कंटेंट उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। वे घर पर पढ़ पा रहे हैं या नहीं, इसका मूल्यांकन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने सामुदायिक शिक्षा शुरू करने का प्रस्ताव तैयार किया है। इस सामुदायिक अभियान में मुखिया, बच्चों के माता-पिता, सेवानिवृत्त शिक्षक, स्नातक पास लोगों को शामिल किया जाएगा, ताकि पूरे समुदाय में पढ़ने और सीखने के लिए बच्चों को प्रेरित किया जा सके।

  स्कूल के शिक्षक जहां बच्चों को अपने स्तर से तो पढ़ाएंगे, वहीं समुदाय के लिए भी जिम्मेदारी तय की जाएगी। इसमें सभी 4500 पंचायतों के मुखिया को छह-छह मेंटर टीचर की एक टीम तैयार करनी है। राज्य भर में 27 हजार मेंटर टीचर बनेंगे, जो सामुदायिक स्तर पर बच्चों को पढ़ाएंगे। पहली से पांचवी क्लास के बच्चों के लिए कोई बच्चा पीछे ना छूटे, यह सुनिश्चित करेंगे। बच्चों के लिए पंचायत भवन में टीवी के जरिए पठन-पाठन की सुविधा उपलब्ध कराएंगे। साथ ही, लाउड स्पीकर के माध्यम से भी पढ़ाई सुनिश्चित कराएंगे। हर पंचायतों के मेंटर टीचर संबंधित पंचायत के मदर टीचर और स्कूलों के प्रधानाध्यापकों का सहयोग करेंगे। मेंटर शिक्षकों को विद्यालय प्रबंध समिति के फंड से काम के आधार पर एक निश्चित राशि का भी भुगतान किया जा सकेगा। 

बाल शिक्षक किए जाएंगे टैग: राज्य के गांवों में मैट्रिक-इंटर पास छात्र भी बाल शिक्षक की भूमिका में नजर आएंगे। उन्हें उनकी सहमति के बाद स्वयंसेवक के रूप में बच्चों के साथ टैग किया जाएगा। उन्हें उनके घर से एक किलोमीटर की परिधि में रहने वाले बच्चों को समझाने की जिम्मेदारी दी जाएगी। ऐसे बाल शिक्षकों को सरकार पुरस्कृत भी करेगी।  

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