झारखंड के 1260 स्कूलों के प्रभारी की वेतन वृद्धि पर लगी रोक, ये है मामला
राज्य के 1260 प्राथमिक और मध्य विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों और प्रभारी की वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी गई है। इनमें गिरिडीह के सर्वाधिक 516 स्कूल हैं। इनलोगों पर स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना का ऑडिट...
राज्य के 1260 प्राथमिक और मध्य विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों और प्रभारी की वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी गई है। इनमें गिरिडीह के सर्वाधिक 516 स्कूल हैं। इनलोगों पर स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना का ऑडिट नहीं कराने का आरोप है। इससे इन स्कूलों द्वारा मध्याह्न भोजन योजना में गड़बड़ी की आशंका है। इस पर स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने वेतन वृद्धि के साथ-साथ लापरवाही बरतने पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का भी निर्देश जारी किया है। प्राथमिक शिक्षा सह मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के निदेशक भुवनेश प्रताप सिंह ने सभी डीसी को पत्र लिखर इस दिशा में कार्रवाई करने को कहा है।
निर्देश में कहा गया है कि ऐसे प्रभारी प्रधानाध्यापकों को स्कूल के प्रभार से हटाया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि दोबारा इन्हें प्रधानाध्यापक का प्रभार न मिले। इस तरह के स्कूलों में प्रभार पर अगर पारा शिक्षक हैं तो उन्हें तत्काल पदमुक्त किया जाए। वहीं, वेतनमान वाले शिक्षक प्रभार पर हैं तो उनकी सेवानिवृत्ति संबंधी कार्रवाई की जाए। मध्याह्न भोजन प्राधिकरण की ओर से 2019-20 में सभी प्रारंभिक स्कूलों का ऑडिट कराने का निर्देश दिया गया। राज्य के 35,500 में से 1260 स्कूलों ने अपना ऑडिट नहीं कराया। मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के पूर्व निदेशक आदित्य कुमार आनंद ने भी मई में इस संबंध में निर्देश दिया था, पर कार्रवाई नहीं हो सकी।
मध्याह्न भोजन प्राधिकरण को आशंका है कि इन स्कूलों में मिड डे मील संबंधी राशि की गलत निकासी की गई है, इसकी वजह से स्कूल के प्रधानाध्यापक ऑडिट नहीं करा रहे हैं। इसमें उन्हें संबंधित जिलों के अधिकारियों की भी सहानुभूति मिल रही है। उन्होंने इन पर पूर्व में कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसे में जिला शिक्षा अधीक्षकों की भी भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है। ऐसे में जिलों के उपायुक्त अपने स्तर से इन मामलों की जांच कराकर आवश्यक कार्रवाई करेंगे।