अवैध निर्माण : नोटिस नहीं लेने वालों को दोबारा नोटिस भेजने का निर्देश
झारखंड हाईकोर्ट में जमशेदपुर में अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने प्रभावित व्यक्तियों को नोटिस भेजने के निर्देश दिए। प्रार्थी ने 24 व्यक्तियों को प्रतिवादी बनाने का...

झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में जमशेदपुर में अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की मांग वाली जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि मामले में प्रभावित व्यक्तियों को प्रतिवादी बनाने के संबंध में प्रार्थी ने नोटिस भेजा था, लेकिन उन्होंने नोटिस नहीं लिया है। जिस पर कोर्ट ने जिन्हें नोटिस नहीं मिला है उन्हें दोबारा नया नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई दस सितंबर को होगी। प्रार्थी ने केस से प्रभावित 24 व्यक्तियों को प्रतिवादी बनाने के लिए नोटिस भेजा था।
लेकिन तीन लोगों ने ही नोटिस लिया है। अदालत ने जमशेदपुर में नक्शा विचलन कर बने निर्माण को ध्वस्त करने के पूर्व के आदेश को बरकरार रखा है। जमशेदपुर नोटिफाइड एरिया कमेटी (जेएनएसी) भवनों को तोड़ने की कार्रवाई नहीं करेगी। पिछली सुनवाई में अदालत ने जानना चाहा था कि जेएनएसी के कमांड क्षेत्र में विचलन कर बने भवनों को हटाने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जा रही है। इस पर जेएनएसी की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार जेएनएसी अपने कमांड क्षेत्र में विचलन करने वालों को नोटिस देकर भवनों के बेसमेंट में बने पार्किंग को खाली कराया गया। जिन भवनों में जहां विचलन था, उसे तोड़ा भी गया। जिसके बाद कोर्ट ने केस से प्रभावित व्यक्तियों को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया था। इस संबंध में राकेश कुमार झा की ओर से जनहित याचिका दाखिल की गई है। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अखिलेश कुमार श्रीवास्तव ने पक्ष रखा। याचिका में कहा गया है कि जेएनएसी की मिलीभगत कर क्षेत्र में अवैध भवन निर्माण किया गया है। व्यवसायिक भवनों के पार्किंग में अवैध कब्जा है। जिसे हटाने की मांग की गई है।
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