बोले हजारीबाग : स्कूल में खेल व योग शिक्षक हों बहाल, विद्यार्थियों की यही गुहार
हजारीबाग के श्रीकृष्ण आरक्षी बाल उच्च विद्यालय की स्थापना मुख्य रूप से पुलिसकर्मियों के बच्चों के लिए हुई थी। विद्यालय में कई समस्याएं हैं, जैसे स्थायी प्राचार्य की कमी, खेल और योग शिक्षक का अभाव, और...
हजारीबाग जिला मुख्यालय स्थित श्रीकृष्ण आरक्षी बाल उच्च विद्यालय एक अनोखा विद्यालय है, जिसकी स्थापना मुख्य रूप से हजारीबाग में सेवारत आरक्षियों के बच्चों को शिक्षा देने के उद्देश्य से की गई थी। विद्यालय की शुरुआत पुलिस बैरक में हुई थी और आज भी परिसर में वह पुराना बैरक देखा जा सकता है। कुछ वर्ष पूर्व तक कक्षाएं बैरक में संचालित होती थीं, लेकिन अब विद्यालय का भवन उससे अलग और स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। स्कूल में खेल और योग शिक्षक नहीं होने से छात्र-छात्राओं को उचित प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा है। बोले हजारीबाग कार्यक्रम के दौरान छात्रों और शिक्षकों ने हिन्दुस्तान के साथ अपनी समस्याएं साझा कीं।
हजारीबाग। बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह के सम्मान में श्रीकृष्ण आरक्षी बाल विद्यालय इसका नाम रखा गया। स्थापना से लेकर आज तक यह विद्यालय पुलिस लाइन मैदान में ही संचालित हो रहा है। एक समय ऐसा भी था जब यहां 800 से 1000 तक छात्र-छात्राएं पढ़ते थे। शिक्षा की गुणवत्ता के चलते दूर-दूर के विद्यार्थी यहां नामांकन लेते थे, और आज भी लेते हैं। यह विद्यालय भले ही सरकारी हो, लेकिन इसके संचालन में पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज के निदेशक की भी अहम भूमिका होती है। विद्यालय की भूमि और भवन पुलिस विभाग के अधीन है, केवल शिक्षकों का वेतन राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है। भवन निर्माण जैसे बड़े कार्यों के लिए पीटीसी के निदेशक से अनुमति लेनी पड़ती है अथवा उन्हें सूचित करना पड़ता है। शुरुआत में इस विद्यालय में अधिकतर पुलिसकर्मियों के बच्चे पढ़ते थे, लेकिन समय के साथ आम बच्चे भी इसमें नामांकित होने लगे और आज सह-शिक्षा प्रणाली के तहत सभी वर्गों के छात्र-छात्राएं यहां पढ़ाई कर रहे हैं। विद्यालय में उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन भी होता है। पिछले दो वर्षों से हजारीबाग में जो मूल्यांकन केंद्र बनाए गए हैं, उनमें से एक यह विद्यालय भी है। मूल्यांकन कार्य के दौरान किसी कमरे को मूल्यांकन के लिए प्रयोग किया जाता है और उत्तर पुस्तिकाओं की सुरक्षा के कारण वे लंबे समय तक विद्यालय में रखी जाती हैं। इससे उपलब्ध कक्षों की संख्या घट जाती है, और इसका असर पुस्तकालय के संचालन पर भी पड़ा है। प्रबंधन का कहना है कि यदि सरकार इसे स्थायी मूल्यांकन केंद्र बनाना चाहती है, तो उसके लिए आवश्यक भूमि उपलब्ध है, बस आवश्यकता है दो या तीन अतिरिक्त कमरों की। एक बड़े हॉल में शिक्षक मूल्यांकन कार्य करते हैं और बाद में उत्तर पुस्तिकाएं सुरक्षित रखी जाती हैं। यदि सरकार तीन या चार कमरे बनवाकर इसे स्थायी मूल्यांकन केंद्र घोषित कर दे, तो विद्यालय को कोई आपत्ति नहीं होगी। विद्यालय में खेल और योग शिक्षक के पद रिक्त हैं, जिसके कारण बच्चों को इन क्षेत्रों में उचित प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा है। हालांकि बच्चे अंतर विद्यालयी प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं, परंतु बिना प्रशिक्षक के उन्हें सफलता नहीं मिल पाती। बच्चों का स्वयं प्रयास रहता है, लेकिन यदि प्रशिक्षित शिक्षक बहाल हो जाएं तो स्थिति में सुधार संभव है। एक और प्रमुख समस्या यह है कि विद्यालय में लंबे समय से कोई स्थायी प्राचार्य नहीं है। फिलहाल यह प्रभारी प्राचार्य के माध्यम से संचालित हो रहा है। ऐसे में जिन शिक्षकों को प्राचार्य का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है, वे अपने विषयों की पढ़ाई ठीक से नहीं करा पाते। नौवीं और दसवीं कक्षा में दो से अधिक सेक्शन हैं और ऐसे में एक शिक्षक को केवल पढ़ाई में ही चार घंटे लग जाते हैं। विभागीय और प्रशासनिक कार्यों का अतिरिक्त बोझ पढ़ाई को प्रभावित करता है। स्थायी प्राचार्य की नियुक्ति से इस समस्या का समाधान हो सकता है। यह विद्यालय पहले आवासीय था। छात्र बैरक में रहते थे और वहीं से पढ़ाई करते थे। जब पुलिसकर्मियों का स्थानांतरण अन्य जिलों में हो जाता था, तो उनके बच्चे छात्रावास में रहकर पढ़ाई करते थे। उस समय छात्रों की संख्या भी अधिक थी। भौतिकी की प्रयोगशाला फिर से शुरू की जाए विद्यालय में प्रयोगशाला की सुविधा है, परंतु भौतिकी की प्रयोगशाला वर्तमान में कार्यरत नहीं है। इसमें सुधार की आवश्यकता है और नए उपकरणों की भी जरूरत है, ताकि छात्र-छात्राएं प्रयोगात्मक शिक्षा से लाभ उठा सकें। इन सब सीमाओं और कठिनाइयों के बावजूद इस वर्ष विद्यालय का परिणाम शत-प्रतिशत रहा। यहां लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में अधिक है और वे शिक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। प्रबंधन का मानना है कि यदि छात्राओं के लिए भी माहवारी संबंधी सुविधाएं, जैसे एमएचएम लैब, उपलब्ध करा दी जाएं, तो उन्हें कक्षा से वंचित नहीं होना पड़ेगा। बिहारी बालिका विद्यालय की तर्ज पर यदि यहां भी यह सुविधा विकसित हो जाए। लंबे समय से प्रभारी प्राचार्य के भरोसे चल रहा है विद्यालय हजारीबाग स्थित श्रीकृष्ण आरक्षी बाल उच्च विद्यालय में वर्षों से कोई स्थायी प्राचार्य पदस्थापित नहीं हुआ है। हर बार किसी एक वरिष्ठ शिक्षक या शिक्षिका को प्रभारी प्राचार्य की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है। इससे संबंधित शिक्षक के विषय की पढ़ाई प्रभावित होती है। विभागीय कार्यों का अतिरिक्त भार पढ़ाने के समय को सीमित कर देता है। विद्यालय के कुछ शिक्षक यह भी महसूस करते हैं। विद्यालय परिसर में जल्द चहारदीवारी का हो निर्माण श्रीकृष्ण आरक्षी बाल उच्च विद्यालय, पुलिस लाइन के पास स्थित होने के बावजूद आज तक एक सुरक्षित चहारदीवारी से वंचित है। विद्यालय परिसर से होकर दोपहिया व चारपहिया वाहनों की आवाजाही होती रहती है, जिससे कक्षाओं में व्यवधान उत्पन्न होता है। एक बार चोरी की कोशिश भी हो चुकी है, हालांकि कोई विशेष नुकसान नहीं हुआ। विद्यालय को जो सरकारी अनुदान राशि मिलती है, वह इतनी सीमित होती है। मूल्यांकन कार्य के लिए स्थायी कक्ष की भी है आवश्यकता विद्यालय में झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) के निर्देश पर उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कार्य संपन्न होता है। मूल्यांकन के बाद कॉपियों को लंबे समय तक सुरक्षित रखना पड़ता है। वर्तमान में पुस्तकालय को ही भंडारण कक्ष के रूप में प्रयोग किया जा रहा है, जिससे छात्र-छात्राएं पुस्तकालय सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं। विद्यालय प्रशासन का कहना है कि परिसर में पर्याप्त जमीन उपलब्ध है। भ्रमण के लिए फंड हो शैक्षणिक भ्रमण के लिए कोई अलग फंड नहीं है। छात्र-छात्राएं अक्सर पूछते हैं कि उन्हें आसपास के ऐतिहासिक या वैज्ञानिक स्थलों की सैर पर क्यों नहीं ले जाया जाता। शिक्षक बताते हैं कि बिना आधिकारिक अनुमति बच्चों को ले जाना संभव नहीं, और विद्यालय के पास ऐसी यात्राओं के लिए वित्तीय संसाधन भी नहीं हैं। जबकि अध्ययन भ्रमण शिक्षा का अनिवार्य भाग माना जाता है। समस्याएं 1. प्रयोगशाला तो है पर उसकी हालत काफी दयनीय है, भौतिकी का लैब फंक्शनल नहीं है। 2. खेल शिक्षक की कमी है। बच्चे प्रतियोगिता के लिए खुद को प्रशिक्षित नहीं कर पाते। 3. विद्यालय परिसर की घेराबंदी नहीं होने से सुरक्षा का हमेशा बना रहता है भय। 4. योगा शिक्षक नहीं होने से छात्र-छात्राएं खुद से व्यायाम करते हैं जो परेशानी का सबब है। 5. विद्यालय में अध्यनरत छात्राओं के लिए पैड वेंडिंग मशीन भी नहीं लगाया गया है। सुझाव 1. प्रयोगशाला को रेनोवेट कराने की जरूरत है और मूल्यांकन केंद्र के लिए अलग कमरा बने। 2. बच्चों के शैक्षणिक भ्रमण के लिए अलग से निधि होनी चाहिए और उन्हें भ्रमण पर ले जाना चाहिए। 3. विद्यालय परिसर की घेराबंद करायी जानी चाहिए साथ ही सुविधाएं भी बढ़नी चाहिए। 4. विद्यालय में छात्राओं की संख्या 80% है इसलिए यहां एमएचएम लैब का निर्माण होना चाहिए। 5. स्कूल की छात्र-छात्राओं की सुरक्षा के मद्देनजर नाइट गार्ड की तैनानी की जानी चाहिए। इनकी भी सुनिए हजारीबाग में श्रीकृष्ण आरक्षी बाल विद्यालय बहुत पुराना विद्यालय है। इसे और बेहतर बनाने की दिशा जल्द ही कार्य किया जाएगा। साथ ही वहां विद्यमान समस्याओं का जल्द समाधान किया जाएगा। स्थायी प्राचार्य, खेल और योग शिक्षक की नियुक्ति करने की दिशा में जल्द पहल होगी। -प्रवीन रंजन, डीईओ, हजारीबाग हमारा विद्यालय विशिष्ट उद्देश्य से स्थापित हुआ था और आज भी सीमित साधनों में अच्छा कार्य कर रहा है। शिक्षक, छात्र और अभिभावक सभी सहयोग करते हैं। हमें आवश्यकता है बेहतर प्रयोगशाला, खेल सुविधा और सुरक्षित परिसर की। सरकार से अपेक्षा है कि इन ज़रूरतों पर शीघ्र ध्यान दिया जाएगा। -मुक्त रानी, प्राचार्य, श्रीकृष्ण आरक्षी बाल उच्च विद्यालय िवद्यार्थियों ने कहा- सुविधाएं बढ़ाईं जाए फिजिक्स की लैब है लेकिन वह चालू नहीं है। प्रैक्टिकल करने को नहीं मिलता। थ्योरी तो समझते हैं लेकिन प्रयोग के बिना विषय में गहराई नहीं आती। -जहीर अंसारी अनुशासन बहुत अच्छा है और पढ़ाई भी नियमित होती है। सभी शिक्षक पढ़ाते हैं लेकिन संसाधनों की कमी महसूस होती है। -सिमरन खातून परीक्षा के दौरान अच्छा सहयोग मिलता है, लेकिन खेलों और योग के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं है। हम खुद से तैयारी करते हैं। -इसाना परवीन उत्तरपुस्तिकाओं के लिए अलग कमरे की व्यवस्था नहीं है। अन्य कक्षाओं में व्यवधान आता है। इसके लिए अलग कमरे बना दिए जाएं। -परमेश्वर साव बैरक में छात्र रहते थे और वहीं से पढ़ाई करते थे। अब छात्रावास बंद हो चुका है। दूर से आने वाले बच्चों को बहुत दिक्कत होती है। -संजय रजक विद्यालय में पढ़ाई का स्तर अच्छा है लेकिन प्रयोगशालाएं पूरी तरह कार्यरत नहीं हैं। भौतिकी कार्यरत नहीं है। छात्र प्रैक्टिकल से वंचित हैं। -सुप्रकाश विद्यालय परिसर में चारदीवारी न होने के कारण सुरक्षा की गंभीर समस्या है। बाहर से लोग बेझिझक अंदर आ जाते हैं। -मोहम्मद अयान स्कूल में स्थायी प्राचार्य की नियुक्ति नहीं हुई है। प्रभारी प्राचार्य को प्रशासन और पढ़ाई दोनों संभालने पड़ते हैं। इससे पढ़ाई प्रभावित होती है। -दीपक कुमार खेल और योग की व्यवस्था नहीं है। योग या खेल प्रशिक्षक आ जाएं तो हमें शारीरिक गतिविधियों में भी मार्गदर्शन मिलेगा। -अंशिका कुमारी खेलों में भाग लेते हैं लेकिन कोई प्रशिक्षक नहीं है। टूर्नामेंट में हिस्सा लेते हैं, अगर हमें खेल शिक्षक मिल जाएं तो सही प्रशिक्षण मिलेगा। -आफरीन नाज संग्रहालय, विज्ञान केंद्र या ऐतिहासिक स्थान पर ले जाया जाए। किताब से बाहर की चीज़ें देखकर सीखने का अलग ही अनुभव होता है। -शिफा फातमा कुछ बुनियादी सुविधाओं की कमी है। प्रयोगशाला तो है लेकिन उपकरण पुराने हैं। विज्ञान को समझने के लिए प्रयोग ज़रूरी है। -शबाना परवीन
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