विभावि के दर्शनशास्त्र विभाग में कुलाधिपति व्याख्यान आयोजित
हजारीबाग में व्याख्यान श्रंखला के तहत डॉ अमित कुमार सिंह की अध्यक्षता में डॉ जावेद अंजुम ने भौतिकवाद और अध्यात्मवाद के आपसी संबंधों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि दर्शन और ज्ञान की व्याख्या में अंतर...

हजारीबाग शिक्षा प्रतिनिधि विभावि के दर्शनशास्त्र विभाग मे कुलाधिपति व्याख्यान श्रंखला के तहत गुरुवार को विभागाध्यक्ष डॉ अमित कुमार सिंह की अध्यक्षता में व्याख्यान का आयोजन किया गया । जिसमें बतौर मुख्य मुख्य वक्ता मगध विश्वविद्यालय, बोधगया, के दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ जावेद अंजुम ने कहा कि भौतिकवाद और अध्यात्मवाद सिर्फ एक दुसरे के पूरक है। उन्होंने बताया कि दर्शनशास्त्र के अंतर्गत दर्शन और फिलॉसफी दोनो अलग अलग है। धर्म और रिलीजन की व्याख्या भी अलग-अलग है। इसी तरह ज्ञान और नॉलेज मे भी अन्तर है। केवल एक नकारात्मक विचारधारा के रूप में देखना उचित नहीं है, इसके भावनात्मक और सामाजिक पहलू भी महत्वपूर्ण हैं, जो जीवन को एक नई गहराई प्रदान करते हैं।
भारतीय चार्वाक दर्शन और पाश्चात्य दार्शनिक डेविड ह्यूम के दृष्टिकोणों में समानताओं का विश्लेषण करते हुए दोनों की संशयवादी प्रवृत्तियों पर प्रकाश डाला। कहा कि प्रवृत्ति और निवृत्ति के बीच संतुलन ही वास्तविक निष्काम धर्म है। अध्यात्म का अर्थ दर्शन मे नैतिकता पर बल देना है और भौतिकवाद समाज के लिए जरूरी है। निष्काम कर्म पर जोर देना जरूरी है। साथ ही धर्म की उत्पत्ति और उसके वैश्विक स्वरूप पर भी चर्चा की और बताया कि विश्व के प्रमुख धर्मों की उत्पत्ति एशियाई उपमहाद्वीप में ही हुई है। व्याख्यान में डॉ यामिनी सहाय, विजय कुजूर, अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ रिजवान अहमद , उर्दू विभाग एस जेड हक, डॉ राजू राम, डॉ बलदेव राम, पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ प्रकाश कुमार, पूर्व विभागाध्यक्ष डा सुरेन्द्र बरई, डॉ जयप्रकाश रविदास, डॉ सुकल्याण मोइत्रा , अरूण कुमार, शोधार्थी अनिल रविदास, आयशा फातमा, मो. फजल, राजेश कुमार, अमित रंजन, सबा फिरदौस व विजय चौधरी व विधार्थी मौजूद थे।
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