आरक्षित उम्मीदवार को सामान्य में लाना असंवैधानिक, झारखंड हाई कोर्ट का आदेश; SC अभ्यर्थी को राहत
झारखंड हाई कोर्ट ने रिजर्व कैटेगरी के अभ्यर्थी को सामान्य कैटेगरी में ले आने को असंवैधानिक बताया है। हाई कोर्ट ने इस मामले में एससी अभ्यर्थी को राहत दी है।

सिविल जज जूनियर डिवीजन की प्रारंभिक परीक्षा में अनुसूचित जाति के एक अभ्यर्थी को असफल घोषित करने के झारखंड लोक सेवा आयोग के फैसले को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने प्रार्थी को सफल घोषित करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जेपीएससी के निर्णय को रद्द करते हुए अपने आदेश में कहा है कि जेपीएससी ने प्रार्थी को अनारक्षित श्रेणी में लाकर संविधान के आरक्षण के प्रावधानों को दरकिनार किया है। प्रार्थी को उसके मौलिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है।
किसी के संवैधानिक हक के दावे को रोका नहीं जा सकता है। समाज के वर्गों में असमानता की रक्षा के लिए जो संवैधानिक प्रावधान है, उसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने जेपीएससी को उस ई मेल को रद्द कर दिया, जिसके माध्यम से अभ्यर्थी को असफल घोषित किया कया था।
इस संबंध में प्रार्थी दीपक कुमार ने सिविल जज जूनियर डिवीजन की पीटी में (वर्ष 2023) में एससी उम्मीदवार के तौर पर फॉर्म भरा था। फॉर्म में उन्होंने अपनी कटेगरी का उल्लेख तो किया था, लेकिन होरिजेंटल या वर्टिकल आरक्षण के कॉलम में नहीं लिख दिया था। प्रारंभिक परीक्षा में प्रार्थी को एससी वर्ग के कट ऑफ मार्क्स 32 से चार अंक अधिक यानी 36 अंक आए थे। लेकिन जेपीएससी ने होरिजेंटल या वर्टिकल आरक्षण कॉलम नहीं भरने पर उन्हें सामान्य वर्ग में माना और 31 जुलाई 2024 को ईमेल भेजते हुए उन्हें सामान्य वर्ग मानते हुए असफल घोषित कर दिया था। प्रार्थी की ओर से उनके अधिवक्ता वंदना सिंह एवं राजेश कुमार ने कोर्ट को बताया कि प्रार्थी अपने एससी वर्ग में कट ऑफ से अधिक अंक लाया है, इसलिए उसे सफल घोषित किया जाना चाहिए। साथ ही प्रार्थी को असफल घोषित करने के मेल को रद्द कर दिया जाना चाहिए। सुनवाई के बाद झारखंड लोक सेवा आयोग के फैसले को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने प्रार्थी को सफल घोषित करने का निर्देश दिया है।