कौन है हमास कमांडर मशाल? जिसे इजरायल ने ही जहर देने के बाद दी थी दवा; अब बना खूंखार
- हमास के टॉप कमांडर और खूंखार आतंकवादी खालिद मशाल ने इजरायल के खिलाफ बड़े हमले की चेतावनी दे दी है। मशाल ने इस्तांबुल में फिलिस्तीनियों की एक सभा में आह्वान किया कि वे इजरायल में घुसकर आत्मघाती हमला करें।
इजरायल के ताबड़तोड़ हमलों के डर से हमास का नया चीफ सिनवार गाजा में छिपा हुआ है। इस बीच हमास के टॉप कमांडर और खूंखार आतंकवादी खालिद मशाल ने इजरायल के खिलाफ बड़े हमले की चेतावनी दे दी है। मशाल ने इस्तांबुल में फिलिस्तीनियों की एक सभा में आह्वान किया कि वे इजरायल में घुसकर आत्मघाती हमला करें। पेशे से शिक्षक रह चुके मशाल को वर्षों पहले इजरायल ने जॉर्डन में जहर देकर मारने की कोशिश की थी। तब अस्पताल में मौत की जंग लड़ रहे मशाल को बचाने के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति ने इजरायल से जहर की एंटी डोज मांगी थी, क्योंकि उन्हें देश में दंगे भड़कने की आशंका थी। बड़े मान-मनोव्वल के बाद मशाल की जान बच सकी थी।
अरबी मीडिया के अनुसार, हमास के टॉप कमांडर खालिद मशाल ने पश्चिमी तट पर आत्मघाती बम विस्फोटों को फिर से शुरू करने का आह्वान किया और फिलिस्तीनी आंदोलन के समर्थकों को इजरायल के खिलाफ खुलकर विद्रोह करने के लिए प्रोत्साहित किया। स्काई न्यूज अरेबिया के अनुसार, तुर्की के इस्तांबुल में एक सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान, मशाल ने कहा कि हमास आतंकवादी समूह को अब इजरायल के खिलाफ "आत्मघाती हमले शुरू कर देने चाहिए।" मशाल बीते कुछ महीनों से हमास के खिलाफ इजरायल के ताबड़तोड़ हमलों से बौखलाया हुआ है।
कौन है हमास का खूंखार कमांडर मशाल
खालिद मशाल का जन्म 1956 में जॉर्डन शासित वेस्ट बैंक के सिलवाड में हुआ था । उसके पिता अब्द अल-कादिर मशाल पेशे से एक किसान रहे और बाद में इमाम बन गए। 1967 के इजरायल-अरब के बीच हुए सिक्स डे वॉर के बाद जब इजरायल ने वेस्ट बैंक पर कब्ज़ा कर लिया तो मशाल का परिवार जॉर्डन भाग गया यहीं उसकी शिक्षा हुई और वह बाद में मुस्लिम ब्रदरहुड में शामिल हो गया। 19 साल की उम्र में मशाल ने 1967 में कब्जे के बाद पहली बार 1975 में दो महीने के लिए ऐतिहासिक फिलिस्तीन का दौरा किया। ग्रेजुएशन के बाद मशाल ने 1984 तक कुवैत में बतौर शिक्षक नौकरी की। जब इराक ने अगस्त 1990 में कुवैत पर आक्रमण किया, तो वह हमास आतंकियों के साथ जॉर्डन वापस चला गया।
इजरायल ने ही जहर देने के बाद दी थी दवा
25 सितंबर 1997 को प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के आदेश पर इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद ने उसकी हत्या करने की कोशिश की। मोसाद एजेंट नकली कनाडाई पासपोर्ट पर पर्यटक बनकर जॉर्डन पहुंचे और हमास के दफ्तर में मौका पाकर मशाल के कान पर एक उपकरण रख दिया। जहर मशाल के कान से उसके शरीर में घुस गया। इस हमले में मोसाद के कुछ एजेंट गिरफ्तार भी हो गए। उधर, मशाल को अस्पताल लाया गया लेकिन, उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था।
तब जॉर्डन के तत्कालीन राजा हुसैन ने नेतन्याहू से ज़हर के लिए मारक दवा मांगी। राजनयिक संबंध तोड़ने और पकड़े गए मोसाद के एजेंटों पर मुकदमा चलाने की धमकी दी। दरअसल, जॉर्डन के राजा को डर था कि मशाल के मर जाने की स्थिति में देश में गृहयुद्ध छिड़ सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के हस्तक्षेप के बाद नेतन्याहू को मशाल को बचाने के लिए एंटी डोज देनी पड़ी थी।
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