Hindi Newsविदेश न्यूज़When stifling clouds covered London 12 thousand people died Great Smog of London AQI 19 today

12 हजार मौतें, पूरा शहर ठप; जब लंदन पर छाए थे दमघोंटू बादल, आज कैसे महज 19 है AQI?

  • क्या आपको पता है इंग्लैंड की राजधानी लंदन का एक समय इससे भी बुरा हाल था। 12 हजार से ज्यादा लोगों की मौतें हुईं और एक लाख से ज्यादा लोग बीमार पड़े थे। आज वहां की AQI महज 19 है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, लंदनTue, 19 Nov 2024 05:58 PM
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दिल्ली की बिगड़ती वायु गुणवत्ता के बीच, सरकार द्वारा जल्द ही ऑड और ईवन नियमों की वापसी और घर से काम करने के उपायों पर ठोस कदम उठाए जाने की संभावना है। राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता रविवार से "गंभीर प्लस" श्रेणी में बनी हुई है। दिल्ली का AQI यानी एयर क्वालिटी इंडेक्ट लगातार 450 से ऊपर बना हुआ है। ये पहली बार नहीं है जब दिल्ली की हवा दमघोंटू बनी है। ये अब लगभग हर साल का ऐसा ही होता है। सर्दियां आते-आते दिल्ली गैस चेंबर बन जाती है। लेकिन क्या आपको पता है इंग्लैंड की राजधानी लंदन का एक समय इससे भी बुरा हाल था। 12 हजार से ज्यादा लोगों की मौतें हुईं और एक लाख से ज्यादा लोग बीमार पड़े थे। लेकिन आज उसी लंदन का एयर क्वालिटी इंडेक्स महज 19 है जोकि बेहद अच्छा माना जाता है।

लंदन की घुटनभरी सुबह

दिसंबर 1952 में लंदन के इतिहास का सबसे काला अध्याय दर्ज हुआ, जिसे ‘ग्रेट स्मॉग ऑफ लंदन’ (Great Smog of London) के नाम से जाना जाता है। 5 से 9 दिसंबर के बीच, एक घने, जहरीले धुंध ने लंदन को अपनी चपेट में ले लिया। यह धुंध इतनी घनी थी कि लोग कुछ ही फीट दूर तक नहीं देख पा रहे थे। इसने पूरे शहर को ठप कर दिया—सड़कें सुनसान हो गईं, ट्रेनों और फ्लाइट्स को रद्द कर दिया गया, और अस्पतालों में मरीजों की भीड़ लग गई।

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प्रमुख कारण और परिणाम

लंदन में उस समय कोयले का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता था। ठंड के मौसम में घरों में हीटिंग के लिए कोयले का धुआं और औद्योगिक प्रदूषण वातावरण में इकट्ठा हो गया। खराब मौसम और हवा की कमी ने इसे और जहरीला बना दिया। इस धुंध से 12,000 से अधिक मौतें हुईं, और लगभग 1,00,000 लोग बीमार पड़ गए। ज्यादातर मौतें श्वसन तंत्र की बीमारियों, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस से हुईं।

कैसे खत्म हुआ स्मॉग?

9 दिसंबर को मौसम बदला, हवा तेज हुई, और स्मॉग धीरे-धीरे छंट गया। लेकिन इस त्रासदी ने लंदन को जागरूक कर दिया। 1956 का क्लीन एयर एक्ट लागू हुआ, जिसमें कोयले के इस्तेमाल पर सख्त पाबंदी लगाई गई और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा दिया गया।

1956 का क्लीन एयर एक्ट क्या था?

1956 का क्लीन एयर एक्ट ब्रिटेन की संसद द्वारा पारित एक ऐतिहासिक कानून था, जिसका उद्देश्य वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना और स्वच्छ वायु सुनिश्चित करना था। यह कानून 'ग्रेट स्मॉग ऑफ लंदन' (1952) जैसी त्रासदी के बाद लागू किया गया, जिसमें जहरीली धुंध ने हजारों लोगों की जान ले ली थी।

मुख्य प्रावधान:

स्मोक कंट्रोल एरिया: कानून के तहत शहरों में ऐसे क्षेत्र बनाए गए, जहां कोयला और अन्य धुआं पैदा करने वाले ईंधन जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल: लोगों को धुआंरहित ईंधन, जैसे गैस, इलेक्ट्रिसिटी जैसे ईंधनों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

औद्योगिक उत्सर्जन पर नियंत्रण: उद्योगों और फैक्ट्रियों को उनके द्वारा छोड़े जाने वाले धुएं और जहरीले गैसों पर सख्त निगरानी रखने के निर्देश दिए गए।

जन जागरूकता: वायु प्रदूषण के खतरों को समझाने और स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाए गए।

यह कानून ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति के बाद पहली बार वायु गुणवत्ता में सुधार का एक बड़ा प्रयास था। इसके लागू होने के बाद लंदन और अन्य शहरों में स्मॉग की घटनाओं में कमी आई और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार हुआ। दिल्ली जैसे शहरों को भी क्लीन एयर एक्ट की तर्ज पर सख्त नीतियां अपनानी होंगी, ताकि प्रदूषण पर काबू पाया जा सके और नागरिकों को स्वच्छ हवा मिल सके।

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दिल्ली और लंदन की तुलना: एक समान संकट

आज, 19 नवंबर 2024 को, दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 494 है, जो गंभीर श्रेणी में आता है। दिल्ली में प्रदूषण के मुख्य कारण हैं:

वाहनों का उत्सर्जन: पेट्रोल और डीजल वाहनों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी।

पराली जलाना: पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से दिल्ली की हवा जहरीली हो जाती है।

निर्माण कार्य: धूल और अन्य कण वायु प्रदूषण को बढ़ाते हैं।

फैक्ट्रियां और पावर प्लांट्स: कोयले और अन्य जीवाश्म ईंधन का प्रयोग।

हालांकि लंदन के मुकाबले, दिल्ली का संकट अधिक जटिल है क्योंकि यहां की जनसंख्या घनत्व और आर्थिक निर्भरता प्रदूषणकारी साधनों पर अधिक है।

कैसे सुधार सकते हैं दिल्ली की हवा?

स्वच्छ ऊर्जा का प्रयोग: कोयले और डीजल पर निर्भरता घटाकर सोलर और विंड एनर्जी को बढ़ावा दिया जाए।

इलेक्ट्रिक वाहन: पेट्रोल-डीजल वाहनों को धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलना होगा।

पराली जलाने का समाधान: किसानों को मशीनरी और आर्थिक सहायता दी जाए ताकि पराली न जलानी पड़े।

जन जागरूकता: लोगों को प्रदूषण के खतरों के बारे में जागरूक करना और सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा देना।

ग्रीन कवर बढ़ाना: अधिक से अधिक पेड़ लगाना और शहरी जंगल विकसित करना।

सख्त कानून: निर्माण कार्य और उद्योगों में प्रदूषण के नियम तोड़ने पर भारी जुर्माना।

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