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Hindi Newsविदेश न्यूज़What is the reason for Iran not wanting war against Israel at present

बदले की आग कैसे हो गई राख? अब ईरान का बदल गया मन; नेतन्याहू के आगे खामेनेई की हेकड़ी ढीली

  • तेहरान में हमास चीफ इस्माइल हानियेह की हत्या के बाद ईरान ने इजरायल से प्रतिशोध की कसम खाई थी। लेकिन अब अमेरिका के दबाव और क्षेत्रीय खतरों के चलते ईरान ने इजरायल पर हमले की योजना को टाल दिया है। अब सवाल उठ रहा है कि क्या खामेनेई की हेकड़ी ठंडी पड़ रही है?

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानWed, 21 Aug 2024 11:22 AM
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ईरान की राजधानी तेहरान में हमास चीफ इस्माइल हानियेह की रहस्यमय मौत के बाद ईरान आग-बबूला है। ईरान ने यह कसम खाई थी कि इसका बदला वह इजरायल से लेकर रहेगा। ईरान में हमास चीफ की हत्या के लिए इजरायल को दोषी मानता है। हालांकि, अब ऐसा लग रहा है कि ईरान के अंदर दहक रही बदले की आग अब ठंडी पड़नी शुरू हो गई है। ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रवक्ता अली मोहम्मद नाइनी ने कहा कि इजरायल के खिलाफ ईरान की बदले की कार्रवाई में अभी लंबा समय लग सकता है। खामेनेई के देश के तेवर के ठंडे पड़ने के पीछे का कारण आखिर क्या है?  

अरब न्यूज में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, नाइनी ने कहा, "समय हमारे पक्ष में है और इस प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा अवधि लंबी हो सकती है।" हालांकि, उन्होंने संकेत दिया कि इजरायल के खिलाफ ईरान की प्रतिक्रिया सोची समझी होंगी। इसका मतलब यह कि ईरान हाल के दिनों में इजरायल पर हमला करने के मूड में नहीं है। ईरान के बदले तेवर पीछे अमेरिका का दबाव कारण बताया जा रहा है। हानियेह की मौत और ईरान की धमकी के बाद मिडिल-ईस्ट में बढ़ते क्षेत्रिय खतरों को भांपते हुए बीते दिनों अमेरिका ने चेतावनी जारी की थी। अमेरिका का कहना था कि ईरान इजरायल पर हमला करता है तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

अमेरिका की चेतावनी का हुआ असर?

अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा, "अगर ईरान इजरायल पर हमला करता है तो इसके गंभीर और भयावह परिणाम हो सकते हैं, जिससे गाजा संघर्ष में शांति वार्ता की संभावनाओं को भी खतरा हो सकता है।" अधिकारी ने कहा कि अमेरिका ईरान को इस दिशा में न बढ़ने की सलाह देता है, क्योंकि इससे ईरान के लिए खास तौर पर कठिन परिणाम हो सकते हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी बीते शुक्रवार को गाजा युद्ध के संदर्भ में सकारात्मक संकेत दिए। उन्होंने कहा कि 10 महीने की लंबी लड़ाई के बाद युद्धविराम की संभावना अब पहले से कहीं अधिक निकट है। अमेरिका के मध्यस्थों ने कतर में दो दिन की बातचीत के दौरान एक प्रस्ताव पेश किया है, जो दोनों पक्षों के बीच मतभेदों को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। अधिकारी ने बताया कि हिजबुल्ला ने पहले ही 7 अक्टूबर की घटना के बाद इजरायल के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। अब अगर ईरान इस समय कुछ ऐसा करता है तो युद्धविराम और बंधकों की रिहाई की संभावना को खतरे में पड़ जाएगी।

इजरायल ने भी दिखाए ईरान को सख्त तेवर

ईरान ने 31 जुलाई को तेहरान में हमास के राजनीतिक प्रमुख इस्माइल हानियेह की हत्या के बाद इजरायल को कड़ी चेतावनी दी थी। इसके जवाब में, इजराइली विदेश मंत्री इजराइल काट्ज ने बीते शुक्रवार को ब्रिटेन और फ्रांस के अपने समकक्षों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें उन्होंने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि अगर ईरान इजरायल पर हमला करता है, तो ब्रिटेन और फ्रांस ईरान के अंदर हमला करेंगे। अमेरिकी अधिकारियों ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस सभी संभावित परिदृश्यों के लिए तैयार हैं और ईरान के किसी भी हमले के खिलाफ इजरायल की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे।

अमेरिका और इजरायल के इस रुख के बाद ही ईरान ने इजरायल पर तत्काल हमले की योजना को टाल दिया है। हालांकि, नाइनी का कहना है कि ईरान गाजा में युद्ध को समाप्त करने और उसके लोगों की मदद करने के किसी भी कदम का समर्थन करता है। मगर साथ ही उन्होंने यह भी ईरान, अमेरिकी कार्रवाइयों से डरता नहीं है वह हम अमेरिका को भी गाजा युद्ध का एक पक्ष मानता है। अब देखना दिलचस्प होगा कि इस स्थिति में आगे की राह क्या निकल कर आ रही है।

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