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बांग्लादेश में लागू हो सकता है शरिया कानून, युनूस सरकार और बिगाड़ेगी हाल; तसलीमा नसरीन का बड़ा दावा

  • नसरीन ने कहा था कि जिन इस्लामी ताकतों ने उन्हें बांग्लादेश से बाहर निकाला था, उन्होंने ही शेख हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर किया। तसलीमा को उनकी पुस्तक ‘लज्जा’ को लेकर हुए विरोध-प्रदर्शनों के बाद 1990 के दशक में बांग्लादेश से निर्वासित कर दिया गया था।

Nisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तानTue, 3 Sep 2024 03:58 AM
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लेखिका तसलीमा नसरीन का दावा है कि बांग्लादेश के मौजूदा हालात का सबसे ज्यादा असर महिलाओं पर पड़ने वाला है। हाल ही में दिए एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने दावा किया है कि बांग्लादेश में जल्द ही शरिया कानून लागू हो सकता है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के खिलाफ शुरू हुई आंदोलन के दौरान भड़की में 600 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। फिलहाल, मुल्क में मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार है।

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित इंटरव्यू में जब नसरीन से महिलाओं की स्थिति को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि महिलाओं पर सबसे बुरा असर पड़ सकता है। कट्टरपंथी इस्लावादियों का बढ़ता प्रभाव महिलाओं पर पाबंदियां लगाकर उनके सारे अधिकार छीन लिए जाएंगे और उन्हें शरिया कानून के जरिए नियंत्रित किया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि विश्वविद्यालयों में लड़कियों को ड्रेस कोड का पालन करने के लिए कहा गया है।

इंटरव्यू में जब सवाल किया गया कि क्या शेख हसीना के जाने के बाद महिलाओं के प्रति रवैये में बदलाव आया है, तो उन्होंने 'हां' में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि हिजाब/नकाब/ बुर्का को ड्रेस कोड के तौर पर लाया गया है और जल्द ही ऐसा सब सामान्य हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर शरिया कानून लागू हो गया, तो महिलाओं के पास कोई अधिकार नहीं होंगे।

नसरीन ने कहा कि अभिव्यक्ति की कोई आजादी नहीं है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है और शरिया कानून लागू होने के बाद जल्द ही महिलाओं के पास कोई अधिकार नहीं बचेंगे। उन्होंने कहा कि मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार हालात और खराब कर देगी, क्योंकि शेख हसीना को हटाए जाने को एक जश्न की तरह मनाया गया था।

नसरीन ने कहा था- इस्लामी ताकतों ने ही हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर किया

अगस्त में नसरीन ने कहा था कि जिन इस्लामी ताकतों ने उन्हें बांग्लादेश से बाहर निकाला था, उन्होंने ही शेख हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर किया। तसलीमा को उनकी पुस्तक ‘लज्जा’ को लेकर हुए विरोध-प्रदर्शनों के बाद 1990 के दशक में बांग्लादेश से निर्वासित कर दिया गया था। बांग्लादेश में नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था को लेकर प्रदर्शन भड़के थे।

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