बांग्लादेश में हुए उथल पुथल के बाद मोहम्मद युनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार ने जिम्मेदारी संभाल ली थी। स्थिति सुधरने के बाद अब देश में जल्द ही चुनाव कराए जाने की संभावना है। हालांकि इन चुनावों में शेख हसीना की पार्टी को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है।
मोहम्मद यूनुस ने कहा कि उनकी सरकार उन सभी मामलों की जांच कर रही है, जहां धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ हिंसा की गई। उन्होंने कहा, ‘कुछ मामलों में उन्हें हिंसा का भी सामना करना पड़ा है।'
बांग्लादेश सरकार ने कहा है कि देश में सेकुलरिज्म की ही कोई जरूरत नहीं है। बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां ने ऐसा कहा है। बांग्लादेशी अखबार Prothom Alo के अनुसार हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान असदुज्जमां ने यह बात कही।
मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार में तीन नए लोगों को जगह मिली है, जिसे लेकर आरोप लगे हैं कि वे कट्टरपंथी हैं। खासतौर पर ऐसे वक्त में इन लोगों को सरकार में एंट्री मिली है, जब अल्पसंख्यक हिंदू हिंसा के शिकार हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में कुछ और कट्टरपंथियों की सरकार में एंट्री चिंता बढ़ाने वाली है।
एक स्थानीय व्यापारी उस्मान अली ने फेसबुक पर इस्कॉन को आतंकवादी संगठन करार दिया था, जिसके बाद चटगांव के हजारी गली क्षेत्र में हिंदू समुदाय में आक्रोश फैल गया।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में हिदुओं के खिलाफ हिंसा के खौफनाक दृश्य दिखाई दे रहे हैं, जो भारत के लिए चिंता का विषय बन गए हैं। भारत सरकार ने इस घटना पर सख्त प्रतिक्रिया दी है।
माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप की जीत से बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के लिए बहुत बेहतर नहीं है। साथ ही, बांग्लादेश में रहे रहे हिंदुओं को भी ट्रंप की जीत से फायदा मिल सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ये बांग्लादेश के कॉक्स बाजार स्थित रोहिंग्या शरणार्थी शिविर के रहने वाले हैं। तलाशी के दौरान बीएसएफ ने उनके पास से भारतीय मुद्रा, मोबाइल और संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग का कार्ड बरामद किया है।
बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार का हिस्सा रही जातीय पार्टी के ढाका स्थित केंद्रीय कार्यालय में गुरुवार रात झड़पों के बाद आग लगा दी गई। इसमें पार्टी कार्यालय क्षतिग्रस्त हो गया।
गुरुवार सुबह राजधानी ढाका में एक बार फिर हिंसा भड़क गई। सेना और पुलिस की कपड़ा दुकानदारों के साथ झड़प हो गई। गुस्साए लोगों ने सेना और पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी। इससे तनाव फैल गया।
Bangladesh Political Crisis: शेख हसीना के पद छोड़कर जाने के बाद अब राष्ट्रपति शहाबुद्दीन के पद को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनीं हुई है। उनके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों का तर्क है कि वह शेख हसीना के तरफ से ही नियुक्त व्यक्ति है और वर्तमान में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के हितों को ही साध रहे हैं।
बांग्लादेश में राजनीतिक संरक्षण के चलते मजबूत रहा कट्टरपंथी संगठन हिंदुओं के खिलाफ हिंसा से लेकर सामाजिक बहिष्कार और बदनामी अभियान का सहारा ले रहा है। चरमपंथी समूहों ने 'लव ट्रैप' अभियान शुरू किया है।
बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शनों पर शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार की ओर से कार्रवाई की गई थी। इन प्रदर्शनों के कारण हसीनों को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था।
बांग्लादेश में शेख हसीना के देश छोड़कर भागने के बाद अब राष्ट्रपति शहाबुद्दीन पर तलवार लटक रही है। हसीना को लेकर दिया उनका बयान सरकार की नजर में चढ़ चुका है। उन्हें पद से हटाने को लेकर यूनुस सरकार ने अन्य दलों से चर्चा की है।
शेख हसीना को भारत सरकार द्वारा नई दिल्ली के लुटियंस बंगला जोन में एक सुरक्षित आवास मुहैया कराया गया है, जहां वे अपने करीबी सहयोगियों के साथ रह रही हैं।
शेख हसीना को बड़ा झटका देते हुए उनके छात्र संगठन बांग्लादेश छात्र लीग (बीसीएल) पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यूनुस सरकार ने यह फैसला उस छात्र संगठन के हिंसक हमलों में शामिल होने के कारण लिया है।
मंगलवार को ढाका के शहीद मीनार में एक बड़ी रैली आयोजित की गई, जहां प्रदर्शनकारियों ने अपनी 5 सूत्रीय मांगें रखीं, जिनमें राष्ट्रपति के इस्तीफे की प्रमुख मांग शामिल है।
छात्र समूह के नेता ने राष्ट्रपति शहाबुद्दीन को 'अपराधी' कहा क्योंकि उन्हें ‘हत्यारी हसीना’ द्वारा अवैध रूप से नियुक्त किया गया था। उन्होंने कहा कि हम उनसे तत्काल इस्तीफा देने और बंग भवन खाली करने का अनुरोध करते हैं। अन्यथा, हम जुलाई जैसांआंदोलन शुरू करेंगे।
84 वर्षीय मोहम्मद यूनुस ने 8 अगस्त को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में पदभार ग्रहण किया था। इससे पहले, हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद 5 अगस्त को शेख हसीना भारत भाग आईं थीं।
तस्लीमा नसरीन ने एक दिन पहले सोमवार को अमित शाह से निवास परमिट बढ़ाने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि वह भारत को अपना दूसरा घर मानती हैं और पिछले 20 वर्षों से यहां रह रही हैं।
Sheikh Hasina : बांग्लादेशी अंतरिम सरकार में कानून मंत्री आसिफ नजरुल ने शुक्रवार को कहा कि अगर भारत शेख हसीना के प्रत्यर्पण से इनकार करता है तो इसका कड़ा विरोध किया जाएगा।
बांग्लादेश के पूर्व कप्तान शाकिब अल हसन को इस महीने अपना फेयरवेल टेस्ट खेलने वाले थे, लेकिन लगता है उनका यह सपना चकनाचूर हो गया है। शाकिब को होम फेयरवेल टेस्ट खेलना था, लेकिन फिलहाल इसकी उम्मीद नहीं नजर आ रही है।
बांग्लादेशी अधिकारियों के मुताबिक एजेंसियां शेख हसीना और उनकी पार्टी के 45 नेताओं को गिरफ्तार करने के लिए इंटरपोल और अन्य इंटरनेशनल एजेंसियों से मदद मांगने पर विचार कर रही हैं।
स्थानीय मीडिया के अनुसार देश की एक अदालत ने उन पर मानवता के खिलाफ अपराध किए जाने के आरोपों में गिरफ्तारी वॉरंट जारी किया है। शेख हसीना ने बांग्लादेश से हेलिकॉप्टर पर सवार होकर देश छोड़ा था और दिल्ली के पास स्थित हिंडन एयरबेस पर उतरी थीं।
कुल 8 राष्ट्रीय अवकाशों को मोहम्मद यूनुस सरकार ने रद्द कर दिया है। इनमें 7 मार्च और 15 अगस्त शामिल हैं, जिन्हें मुक्त संग्राम से जोड़ा जाता है। इन छुट्टियों को रद्द करने का फैसला हाल ही में हुई कैबिनेट मीटिंग में लिया गया था। इसका नोटिफिकेशन भी जल्द जारी होगा।
यह बयान उन घटनाओं के बाद आया है जिनमें बांग्लादेश में हिंदू धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया गया। शुक्रवार रात, ढाका के तांतीबाजार क्षेत्र में एक मंदिर पर आगजनी की गई।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं को 5 अगस्त को शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से अपदस्थ होने के बाद भड़की हिंसा के दौरान उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। उनके व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और संपत्तियों में तोड़फोड़ की गई। मंदिरों को क्षतिग्रस्त किया गया।
बांग्लादेश के चटगांव में दुर्गा पूजा पंडाल में एक समूह के इस्लामी गाना गाने के बाद बवाल मच गया है। इससे पहले भारत ने हिंदुओं पर बढ़ते हमलों के बीच बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने और शांतिपूर्ण धार्मिक उत्सव सुनिश्चित करने की अपील की थी।
हिंदू समुदाय के नेताओं ने अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं। कुछ बंगाली हिंदू इस साल नवरात्रि उत्सव रद्द करने पर विचार कर रहे हैं। दुर्गा पूजा के खिलाफ सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो भी डाले जा रहे हैं। हालांकि उन वीडियो की अभी तक पुष्टि नहीं की जा सकी है।
भारत में उच्चायुक्त मुस्तफिज़ुर रहमान के अलावा, वापस बुलाए गए अन्य लोगों में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के स्थायी प्रतिनिधि और ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम और पुर्तगाल में राजदूत शामिल हैं।