इससे पहले बांग्लादेश की ओर से महासभा के दौरान दोनों नेताओं के बीच एक बैठक के लिए औपचारिक अनुरोध किया गया था।
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश में हुए हिसंक विरोध प्रदर्शन के बाद 5 अगस्त को भारत में शरण ली थी। उसके बाद से वह भारत में ही रह रही हैं।
अधिसूचना के मुताबिक, महानगरीय क्षेत्रों के बाहर के क्षेत्रों में सेना को न्यायिक शक्तियाँ प्रदान की गई हैं। मंत्रालय द्वारा जारी गजट अधिसूचना के अनुसार सेना के पात्र अधिकारी पूरे देश में जिला मजिस्ट्रेटों की देखरेख में कार्यकारी मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य कर सकेंगे।
अगस्त की शुरुआत से ही बांग्लादेश में हिंसा तेज हो गई थी। उस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को भी सुरक्षा के लिहाज से पद छोड़कर बांग्लादेश से बाहर निकलना पड़ा था। फिलहाल, वह भारत में हैं। बांग्लादेश के कई इलाकों में हिंदू परिवारों को निशाना बनाए जाने की कई खबरें भी सामने आई थीं।
जमीन से जुड़े विवाद को लेकर इस साल की शुरुआत में सर्वे किया गया। इसमें पूरा मामला सामने आ गया था। बीजीबी की 47वीं बटालियन के कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल एम महबूब मुर्शेद रहमान ने मामले की पुष्टि की।
छात्र की हत्या के प्रयास में हसीना और 58 अन्य के खिलाफ एक और मुकदमा दर्ज हुआ। इस तरह हसीना के खिलाफ मुकदमों की संख्या 155 हो गई है। जिसमें हत्या के 136, मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार के सात मामले शामिल हैं।
मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस द्वारा टेलीविजन पर दिए गए भाषण में राष्ट्र को संबोधित करते हुए यह यह कहा गया था कि किसी को भी धार्मिक सद्भाव को ठेस पहुंचाने वाला कुछ भी काम नहीं करना चाहिए। इसके दो दिन बाद हिंदुओं ने वहां आंदोलन किया।
रूस ने बांग्लादेश की सरकार से जल्दी से जल्दी परमाणु संयंत्र के लिए दिए गए लोन के ब्याज के रूप में 630 मिलियन डॉलर का भुगतान करने के लिए कहा गया है। रूस ने मोहलत की मांग को खारिज करते हुए कहा कि हमें यह पैसा 15 सितंबर तक चाहिए।
रहमानी ने भारत को बांटने करने और दिल्ली में इस्लामिक झंडा फहराने की धमकी दी। वह अल-कायदा से जुड़े आतंकवादी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) का प्रमुख है।
ढाका प्रेस क्लब में मोहम्मद अली जिन्ना की 76वीं पुण्यतिथि के मौके पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस दौरान जिन्ना को याद किया गया और मांग की गई कि मुजीबर रहमान की जगह उन्हें ही राष्ट्रपिता घोषित कर दिया जाए। यही नहीं राष्ट्रगान और झंडे में बदलाव की भी मांग उठी।
बांग्लादेश सरकार ने आदेश जारी किया है कि दुर्गा पूजा मंडपों में होने वाले अनुष्ठान के वक्त इस्तेमाल होने वाले म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट और लाउडस्पीकर आजान और नमाज से 5 मिनट पहले बंद कर दिए जाएं।
शेख हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर उठाए जा रहे कदमों के बीच बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार ने फैसला लिया है कि जुलाई में हुए नरसंहार में पूर्व पीएम शेख हसीना की सुनवाई का सीधा प्रसारण किया जाएगा।
इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल के वकील मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने कहा है कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत से प्रत्यर्पित करने के लिए बांग्लादेश सभी जरूरी कदम उठाएगा।
बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी का राष्ट्रगान और संविधान बदलने की मांग पर यूनुस सरकार का कहना है कि वह ऐसा कुछ नहीं करेगी, जिससे विवाद पैदा हो। जमात ने आरोप लगाया था कि भारत ने 1971 में बांग्लादेश का राष्ट्रगान थोपा था।
बांग्लादेश ने इस हफ्ते की शुरुआत में औपचारिक रूप से अनुरोध किया था कि यूनुस और मोदी के बीच महीने के आखिर में न्यूयॉर्क में होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान द्विपक्षीय वार्ता हो।
तीस्ता नदी जल बंटवारे को लेकर अंतरिम सरकार के प्रमुख यूनुस ने कहा है कि हमें जल्द से जल्द भारत के साथ इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश करनी है क्योंकि हम तटीय देश हैं इसलिए हमें विशेष अधिकार मिलना चाहिए।
बांग्लादेश के अंतरिम सरकार प्रमुख मोहम्मद यूनुस हिंदुओं पर हमलों को बीच भारत को सीख देने लगे हैं। उन्होंने कहा है कि बांग्लादेश अफगानिस्तान नहीं बनने जा रहा है। यूनुस ने भारत सरकार से गुहार लगाई है कि वह हमारे साथ संबंधों को मजबूती देने पर काम करे।
बांग्लादेश का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत में बैठकर जिस प्रकार की राजनीतिक टिप्पणियां कर रही हैं वह उचित नहीं है। जब तक ढाका उनके प्रत्यर्पण का अनुरोध नहीं करता, तब तक उन्हें चुप रहना चाहिए।
नसरीन ने कहा था कि जिन इस्लामी ताकतों ने उन्हें बांग्लादेश से बाहर निकाला था, उन्होंने ही शेख हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर किया। तसलीमा को उनकी पुस्तक ‘लज्जा’ को लेकर हुए विरोध-प्रदर्शनों के बाद 1990 के दशक में बांग्लादेश से निर्वासित कर दिया गया था।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में विदेश मंत्री तौहीद हुसैन का कहना है कि अगर उनके देश की अदालत आदेश जारी करें तो वो पूर्व पीएम शेख हसीना को भारत से वापस लाने की कोशिश करेंगे।
बांग्लादेश में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है और डर के मारे बांग्लादेशी अवैध तरीकों से भारत का रुख कर रहे हैं। इन घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए यूनुस सरकार ने भारत से लगती सीमा पर चौकसी बढ़ा दी है।
बांग्लादेशी दैनिक प्रोथोम अलो के अनुसार, बरिशाल के बेकरगंज सरकारी कॉलेज की प्रिंसिपल शुक्ला रानी हलदर को भी अपना इस्तीफा देना पड़ गया है। 29 अगस्त को छात्रों और बाहरी लोगों की भीड़ ने उनके कार्यालय पर धावा बोल दिया और उनसे इस्तीफा देने की मांग की।
गौरतलब है कि बांग्लादेश में पांच अगस्त को सरकार विरोधी प्रदर्शन चरम पर पहुंचने के बाद शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़कर भारत जाना पड़ा।
दावा किया गया है कि बांग्लादेश में मौजूदा बाढ़ की स्थिति त्रिपुरा में गोमती नदी पर बने बांध के फाटक खोलने के कारण उत्पन्न हुई है। भारत ने पहले भी इस खबर को तथ्यात्मक रूप से गलत बताया था।
पिछले दो महीने में हिंसा की आग में जल रहे बांग्लादेश में विद्रोह के दौरान एक हजार से ज्यादा लोगों की जान गई थी। अंतरिम सरकार में स्वास्थ्य सलाहकार नूरजहां बेगम ने गुरुवार को यह जानकारी दी है।
छात्रों के विरोध को देखते हुए प्रधानमंत्री शेख हसीना को न केवल अपना पद छोड़ना पड़ा बल्कि 5 अगस्त को उन्हें बांग्लादेश से भागकर भारत आना पड़ा था। हसीना पर विभिन्न अपराधों के आरोप लगाते हुए अब तक 70 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें 65 हत्या के मामले और 8 नरसंहार के मामले शामिल हैं।
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता ने हिंदुओं पर हो रहे हमलों की खबरों को बेमतलब का हौव्वा करार दिया। कहा यह हमारा आंतरिक मामला है। शाम की टॉप 5 खबरें...
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता का कहना है कि पूर्व राजनयिक, नौकरशाह, संस्थान और नेता भारत को यह मनाने के लिए भ्रमित कर रहे हैं कि हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के बिना भारत-बांग्लादेश के संबंध खराब हो जााएंगे।
बांग्लादेश के कई जिले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। जिसके चलते सेना, स्थानीय पुलिस और विभिन्न संगठनों के नेतृत्व में राहत कार्य जारी हैं। इस बीच हिंदू समुदाय के एक युवक का आरोप है कि अंतरिम सरकार कथित तौर पर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंसे अल्पसंख्यकों की उपेक्षा कर रही है।
जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख ने कहा है कि नकी पार्टी भारत के साथ अच्छे संबंध चाहती है लेकिन भारत को पड़ोस के लिए अपनी विदेश नीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। रहमान ने दावा किया कि जमात को भारत विरोधी पार्टी के रूप में भारत की धारणा गलत है।