शांति की बातचीत रही बेनतीजा, यूक्रेन ने ठहराया रूस को जिम्मेदार; कहा- शर्तें मजाक जैसी थीं
तुर्किए में हुई रूस-यूक्रेन सीधी बातचीत ढाई घंटे से पहले ही खत्म हो गई। यूक्रेन ने कहा कि रूस की मांगें हकीकत से कटी हुई थीं और किसी रचनात्मकता से कोसों दूर थीं।

रूस और यूक्रेन के बीच तीन साल बाद पहली बार तुर्किए में आमने-सामने बातचीत हुई, लेकिन ये मुलाकात बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई। यूक्रेन ने इस नाकामी के लिए पूरी तरह रूस को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि बातचीत की मेज पर रखी गई रूस की शर्तें गंभीरता से कोसों दूर और बिलकुल भी व्यावहारिक नहीं थीं।
शुक्रवार को तुर्किए के इस्तांबुल में दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल आमने-सामने बैठे, लेकिन बैठक महज दो घंटे से भी कम चली। यूक्रेन की तरफ से बताया गया कि रूस ने युद्धविराम के बदले यूक्रेन को अपने ही इलाकों से पीछे हटने की मांग की, जिसे नामुमकिन और गैर-संवेदनशील बताया गया।
नाम न छापने की शर्त पर यूक्रेनी अधिकारियों ने रॉयटर्स से कहा, “रूस जिन बातों पर जोर दे रहा है, वे इस हकीकत से मेल ही नहीं खातीं कि वह हमारी सरजमीं पर कब्जा कर चुका है। उनकी बातें न तो रचनात्मक हैं, न ही गंभीर हैं। लगता है जैसे उन्हें बातचीत नहीं, टाइमपास करना है।”
क्रेडिट लेना चाह रहे ट्रंप
इस बातचीत से पहले ही उम्मीदें कम थीं, और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान ने इन्हें और भी कमजोर कर दिया था। ट्रंप ने कहा था कि जब तक उनकी और पुतिन की सीधी मुलाकात नहीं होती, तब तक कोई ठोस नतीजा मुमकिन नहीं।
जेलेंस्की ने बातचीत से पहले साफ कहा था कि यूक्रेन की पहली प्राथमिकता बिना शर्त, पूरा और ईमानदार सीजफायर है। उन्होंने चेताया कि अगर रूस इसके लिए तैयार नहीं होता, तो उस पर और भी कड़े प्रतिबंध लगने चाहिए, खासतौर से ऊर्जा और बैंकिंग सेक्टर में खास प्रतिबंध हो।
रूस का क्या है पक्ष?
रूस की तरफ से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन वह पहले कह चुका है कि वह राजनयिक हल चाहता है, बशर्ते उसकी सुरक्षा चिंताओं को समझा जाए। रूस को डर है कि संघर्षविराम का फायदा उठाकर यूक्रेन पश्चिमी हथियारों से खुद को मजबूत कर लेगा।
पुतिन ने जेलेंस्की के साथ सीधी मुलाकात से इंकार किया और एक मध्यम स्तर की टीम भेजी। जवाब में यूक्रेन ने भी वैसी ही रैंक वाले प्रतिनिधियों को भेजा। तुर्किए के विदेश मंत्री हाकान फिदान ने दोनों पक्षों को समझाते हुए कहा, “एक रास्ता अमन की तरफ है, दूसरा बर्बादी की तरफ, तय आपको करना है।” लेकिन बातचीत में जो गर्मी दिखी, उससे साफ है कि शांति का रास्ता अभी बहुत दूर है।
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