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वो मोसाद जासूस, जिसने अकेले जिताया अरब युद्ध; 6 दशक बाद इजरायल को क्यों चाहिए उसकी लाश

  • हम बात कर रहे हैं मोसाद के सर्वश्रेष्ठ जासूस एली कोहेन की। इसने 1962 को व्यवसायी कामेल अमीन थाबेट बनकर सीरिया में एंट्री ली और तीन साल के भीतर सीरियाई टॉप लीडर्स में पैठ बना ली। इसकी मर्जी के बिना सीरिया में पत्ता भी नहीं हिलता था।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तानSun, 5 Jan 2025 09:25 PM
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वो मोसाद जासूस, जिसने इजरायल की खुफिया एजेंसी को दुनिया में सबसे तेज और घातक बना दिया। एली कोहेन ने देखे तो सिर्फ 41 बसंत लेकिन ऐसे-ऐसे कारनामे किए कि इजरायल के लिए हमेशा के लिए हीरो बन गया। इसकी हत्या 1965 को हो चुकी थी, लेकिन मरने से पहले इसने इजरायल को खुफिया जानकारी दी। जिसकी बदौलत इजरायल ने 1967 का अरब युद्ध महज 6 दिन में ही जीत लिया। कोहेन ने सीरिया में 1962 को व्यवसायी कामेल अमीन थाबेट बनकर एंट्री ली। महज तीन साल में यह सीरिया के टॉप लीडर्स के बीच उठने-बैठने लगा था। तब इसका बोलना सीरियाई हुकूमत के आदेश के बराबर था। 59 साल पहले कोहेन को बीच चौराहे में फांसी दे दी गई। आज इतने साल बाद इजरायल ने सीरिया से इसका शव वापस करने की मांग तेज कर दी है।

इजरायली अधिकारी कोहेन के शव को बरामद करने के लिए एक बार फिर प्रयास तेज कर रहे हैं। इजरायल के सबसे प्रसिद्ध जासूसों में से एक कोहेन ने सीरिया के राजनीतिक और सैन्य अभिजात वर्ग में घुसपैठ की और 1967 के छह दिवसीय अरब युद्ध में इजरायल की सफलता के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी प्रदान की। दशकों के प्रयासों के बावजूद, कोहेन के दफन स्थल का स्थान अभी तक अज्ञात है। कथित तौर पर सीरियाई अधिकारियों ने उनके शव को छिपाने के लिए कब्र के स्थान कई बार बदले।

इजरायल को गुमराह कर रहा सीरिया

कोहेन के शव को वापस लाने के लिए इजरायल कई सालों से प्रयास कर रहा है। सीरियाई सरकार से आग्रह के बावजूद इजरायल को सफलता नहीं मिल पाई। हर बार सीरिया ने इजरायल की मांग को ठुकराया है। सीरिया ने यह तक स्वीकार किया है कि उसने इजरायल को गुमराह करने के लिए कोहेन के शव को कई बार अलग-अलग स्थानों पर ले जाया गया।

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कौन थे एली कोहेन

कोहेन का जन्म 1924 में मिस्र के अलेक्जेंड्रिया में यहूदियों के परिवार में हुआ था। 1948 में इजरायल की स्थापना के बाद कोहेन का परिवार इजरायल में आकर बस गया। कोहेन खुद भी 1957 में वहां बस गए। कई साल के प्रयास और देशभक्ति के कारण कोहेन को इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद में एंट्री मिली। इजरायली सैन्य खुफिया विभाग में सेवा देने के बाद कोहेन को 1960 के दशक की शुरुआत में मोसाद द्वारा भर्ती किया गया था। वह अरबी, स्पेनिश और फ्रेंच आसानी से बोल सकते थे।

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