Hindi Newsविदेश न्यूज़justin trudeau big mistake speaking against india how downfall started

भारत से दुश्मनी मोल लेते ही शुरू हो गए जस्टिन ट्रूडो के बुरे दिन, क्यों देना पड़ा इस्तीफा

  • जस्टिन ट्रूडो की वजह से कनाडा की लिबरल पार्टी भी संकट में पड़ गई है। माना जा रहा है कि भारत से दुश्मनी करना जस्टिन ट्रूडो को बेहद गलत फैसला साबित हुआ। उसके बाद से ही उनके बुरे दिन शुरू हो गए।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानMon, 6 Jan 2025 09:41 PM
share Share
Follow Us on

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर अपनों का ही दबाव इस कदर बढ़ गया है कि उन्हें प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ गया। कनाडा में उपद्रवियों और खालिस्तान समर्थकों का दिल जीतने में लगे जस्टिन ट्रूडो को अंदाजा भी नहीं था कि भारत से रार बढ़ाना उनके लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है। नौबत यह आ गई कि उनकी सहयोगी पार्टी भी अब उनका समर्थन नहीं करना चाहती थी। भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाकर जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा की फजीहत कराई सो अलग। वहीं अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव जीतते ही कनाडा को ड्यूटी बढ़ाने की धमकियां मिलने लगीं। जस्टिन ट्रूडो की पार्टी के ही आधे से ज्यादा सांसद उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।

लिबरल पार्टी के कई बड़े नेता सार्वजनिक रूप से जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा मांग लिया। वहीं 20 सांसदों ने एक पत्र पर हस्ताक्षर कर उनसे इस्तीफा मांगा। उपप्रधानमंत्री और वित्त मंत्री रहीं क्रिस्टिया फ्रीलैंड के इस्तीफे के बाद जस्टिन ट्रू़डो की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आ गई। जानकारी के मुताबिकि अमेरिका से एक्स्ट्रा टैरिफ की धमकी और नीतिगत फैसलों को लेकर उनकी ट्रूडो से अनबन हो गई थी।

पार्टी को भी हुआ भारी नुकसान

जस्टिन ट्रूडो की वजह से उनकी लिबरल पार्टी को भी भारी नुकसान हुआ है। हाल ही में हुए उपचुनावों में भी पार्टी के उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा। उनके प्रमुख सहयोगी जगमीत सिंह ने ही कह दिया कि वह जस्टिन ट्रूडो की सरकार को गिराने के लिए सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले हैं। जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद पार्टी की सबसे बड़ी दिक्कत होगी नया नेता तलाशना। इसी साल कनाडा में आम चुनाव भी होने हैं। ऐसे में पार्टी का नेता वही होना चाहिए जो कि अगले चुनाव का माहौल पार्टी के पक्ष में तैयार कर सके।

लिबरल पार्टी के लिए दूसरी सबसे बड़ी चुनौती विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी है। विपक्ष के नेता पियरे पोलिवर ओपिनियल पोल में बढ़त बना चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अगर लिबरल पार्टी को सही उम्मीदवार नहीं मिलता है तो कन्जरवेटिव चुनाव जीतने की स्थिति में भी आ सकते हैं।

कैसे भारी पड़ गई भारत से रार

सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात यह है कि जस्टिन ट्रूडो की लोकप्रियता तभी से कम होने लगी जब उन्होंने खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के बेबुनियाद आरोप भारत पर मढ़ दिए। भारत ने भी जस्टिन ट्रूडो से सबूतों की मांग की जो कि वह अब तक मुहैया नहीं करवा पाए हैं इसके बाद भारत ने कनाडा के 6 राजनयिकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। खालिस्तानियों के हौसले इतने बुलंद हो गए कि वे हिंदुओं और मंदिरों पर हमला करने लगे। अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के दौरान भी जस्टिन ट्रूडो को अपमान का सामना करना पड़ा। ऐसे में कनाडा की जनता का भी भरोसा जस्टिन ट्रूडो से उठने लगा।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें