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Hindi Newsविदेश न्यूज़Italys PM Meloni remembered India, said New Delhi plays an important role in resolving Russia Ukraine conflict

इटली की पीएम मेलोनी को याद आया भारत, कहा- रूस-यूक्रेन संघर्ष सुलझाने में अहम भूमिका में नई दिल्ली

  • रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष रोकने के लिए भारत अहम भूमिका निभा सकता है क्योंकि भारत ही ऐसी स्थिति में है जो दोनों पक्षों के साथ समान गहराई से संबंध बनाए हुए है।

Upendra Thapak लाइव हिन्दुस्तानSat, 7 Sep 2024 05:46 PM
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यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात के बाद इटली की पीएम मेलोनी ने कहा है कि मेरा मानना है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष को सुलझाने में भारत भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि आप विश्वास करते हैं कि यूक्रेन को छोड़कर संघर्ष को हल किया जा सकता है तो आप गलत समझते हैं। इटली यूक्रेन का प्रबल समर्थक रहा है। हम यूक्रेन को अपनी रक्षा के लिए लगातार हथियार उपलब्ध कराते हैं इस शर्त पर की इन हथियारों का इस्तेमाल केवल यूक्रेनी जमीन पर अपनी रक्षा के लिए होगा न की रूसी जमीन पर हमला करने के लिए। इस संघर्ष को दोनों पक्षों की बात को समझते हुए खत्म करने की जरूरत है और मुझे लगता है कि चीन और भारत इसमें अपनी भूमिका निभा सकते हैं।

इटली की पीएम मेलोनी के चीन और भारत को मध्यस्थ के रूप में रखने से पुतिन के उस बयान को समर्थन मिलता है जिसमें उन्होंने कहा था कि चीन, भारत और ब्राजील मध्यस्थ के रूप में संघर्ष सुलझाने में मदद कर सकते हैं। हालांकि पुतिन ने समझौते का आधार युद्ध की शुरुआत में हुए इंस्तानबुल समझौते को आधार बनाते हुए कहा कि कोई भी समझौता होगा वह उस आधार पर होगा जो युद्ध को शुरुआत में इंस्तानबुल में हुआ था तब इस पर यूक्रेन भी सहमत हो गया था लेकिन एक दिन बाद ही वह पलट गए थे।

भारत पर है दोनों पक्षों को भरोसा

इस संघर्ष में भारत अभी तक अपनी तटस्थता को बनाए रखने में कामयाब रहा है। भारत ने पश्चिमी देशों के दवाब में आकर न तो रूस पर प्रतिबंध लगाए और न ही उससे तेल खरीदना छोड़ा। दूसरी तरफ रूस के दवाब में आए बिना भारत लगातार पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंधों को भी मजबूत करता रहा। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ लाए गए लगभग सभी प्रस्तावों की वोटिंग से दूरी बनाए रखी और भारत ने यूक्रेन पर रूस के हमलों की खुलकर कभी आलोचना नहीं की। भारत हमेशा से ही कहता रहा है कि यह मुद्दा बातचीत के जरिए सुलझाना चाहिए ना कि युद्ध के जरिए। पिछले चार महीनों में पीएम मोदी जेलेंस्की से दो बार मिल चुके हैं जबकि राष्ट्रपति पुतिन से एक बार। पुतिन द्वारा बताए गए तीन देशों में भारत ही ऐसी भूमिका में है जिस पर पश्चिमी देश भी भरोसा कर सकते हैं। पीएम मोदी ही दोनों देशों की यात्रा पर जा चुके हैं और दोनों ही नेताओं से उनके बेहतर संबंध हैं।

रूस और यूक्रेन के बीच पिछले ढाई सालों से यह संघर्ष चल रहा है। पहले लगातार रक्षात्मक युद्ध कर रहे यूक्रेन अब आक्रामक होकर रूस की सीमा के अंदर घुस गया है। इस युद्ध में लगातार हिंसक हथियारों का इस्तेमाल हो रहा है। यूक्रेन के समर्थन में जहां पूरा नाटो खड़ा है तो वहीं रूस अकेला ही इन सबका सामना कर रहा है। युद्ध की शुरुआत में रूस को उम्मीद थी की कीव का किला कुछ ही दिनों में ढ़ह जाएगा लेकिन इसका बिल्कुल उलट हुआ आज दो सालों के बाद भी रूसी सेना कीव तक नहीं पहुंच पाई है। हाल ही में अमेरिका और अन्य नाटो के सदस्य देशों ने भी यूक्रेन की और मदद करते हुए अपनी-अपनी तरफ से हथियार और आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई है।

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