यूक्रेन की ताकत ही बन गई काल, गर्भ में छिपा कौन-कौन सा माल; दो दुश्मनों में भी करा दिया मेल
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वॉशिंगटन इसके लिए कीव और मॉस्को दोनों से अलग-अलग बात कर रहा है और डील को अंतिम रूप देने की फिराक में लगा है।
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पिछले तीन साल से यूक्रेन और रूस के बीच जंग जारी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरी बार सत्ता में आने के बाद से न केवल वैश्विक भू-राजनीति में बदलाव देखने को मिल रहा है बल्कि यूक्रेन युद्ध और रूस के मुद्दे पर भी अमेरिका के रुख में बड़ा और नाटकीय बदलाव देखने को मिला है। दरअसल, यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की मांग से संबंधी संयुक्त राष्ट्र के तीन प्रस्तावों पर सोमवार को मतदान में अमेरिका ने यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस को दोषी ठहराने से इनकार कर दिया और इस मुद्दे पर अपने यूरोपीय सहयोगियों से अलग रुख दिखलाया है।
यूक्रेन में तीन साल से जारी युद्ध को समाप्त करने की मांग करते हुए संयुक्त राष्ट्र में ये प्रस्ताव पेश किए गए थे। संयुक्त राष्ट्र महासभा में अमेरिका और रूस ने यूरोप समर्थित यूक्रेन के प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया। प्रस्ताव में रूस की आक्रामकता की भी निंदा की गई थी और रूसी सैनिकों की यूक्रेन से तत्काल वापसी की मांग की गई थी लेकिन अमेरिका ने इस प्रस्ताव पर मतदान से खुद को अलग कर लिया।
अमेरिका और रूस के बीच रिश्तों में आए नाटकीय बदलाव की मुख्य वजह यूक्रेन को ही माना जा रहा है। ट्रंप से पहले के राष्ट्रपति यानी जो बाइडेन यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक मदद दे रहे थे लेकिन ट्रंप ने न केवस उसे बंद कर बड़ी बचत की है बल्कि अब रूस से बात कर यूक्रेन युद्ध को खत्म कराना चाह रहे हैं और इसके बदले में भारी कीमत वसूलने की फिराक में हैं। ट्रंप कीव और मॉस्को दोनों से यूक्रेन के भौगोलिक क्षेत्र में स्थित दुर्लभ खनिजों पर कब्जा चाहते हैं ताकि वह उसका खनन कर दुनियाभर में व्यापार कर सकें और गाढ़ी कमाई कर सकें।
अमेरिका को दोनों हाथ लड्डू कैसे
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वॉशिंगटन इसके लिए कीव और मॉस्को दोनों से अलग-अलग बात कर रहा है और डील को अंतिम रूप देने की फिराक में लगा है। BBC की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन के एक मंत्री ने जानकारी दी है कि कीव और वॉशिंगटन यूक्रेन के खनिज भंडारों तक अमेरिका की पहुंच को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के करीब हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने ही कथित तौर पर सबसे पहले खनिजों पर समझौते की पेशकश की थी और सितंबर 2024 में ट्रंप के साथ हुई बातचीत में कथित "विजय योजना" में इसे शामिल किया था।
ट्रंप को पुतिन का प्रस्ताव
दूसरी तरफ ट्रंप को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने भी इसी तरह का प्रस्ताव दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार शाम को रूस के दुर्लभ खनिज अमेरिकी कंपनियों को बेचने की पेशकश की है। इसमें रूसी कब्जे वाले यूक्रेन का भौगोलिक क्षेत्र भी शामिल हैं। ऐसा कर पुतिन ने डोनाल्ड ट्रंप को साफ संदेश दिया है कि अमेरिका रूस से भी मुनाफा कमा सकता है। द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक पुतिन ने कहा, "हम अमेरिकियों सहित अपने साझेदारों के साथ काम करने के लिए तैयार हैं।" उन्होंने कहा कि रूस अमेरिका को एल्युमीनियम बेचना फिर से शुरू कर सकता है।
यूक्रेन में कौन-कौन से खनिज संसाधन और क्यों अहम
कीव का अनुमान है कि दुनिया के महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों का लगभग 5% यूक्रेन में है। इसमें ग्रेफाइट के लगभग 19 मिलियन टन सिद्ध भंडार शामिल हैं, जिसके बारे में यूक्रेनी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण का कहना है कि यह दुनिया के टॉप पांच देशों में एक है। ग्रेफाइट का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी बनाने के लिए किया जाता है।
इसके अलावा पूरे यूरोप के लिथियम भंडारों का एक तिहाई हिस्सा अकेले यूक्रेन में है, जो वर्तमान बैटरियों में प्रमुख घटक है। इस खनिज के अलावा हवाई जहाज से लेकर बिजली स्टेशनों तक हर चीज के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली हल्की धातु टाइटेनियम के उत्पादन में भी यूक्रेन की वैश्विक हिस्सेदारी 7% है। यूक्रेन में दुर्लभ पृथ्वी धातुओं के महत्वपूर्ण भंडार भी हैं। ये 17 तत्वों का एक समूह है जिनका उपयोग आधुनिक दुनिया में हथियार, पवन टर्बाइन, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य महत्वपूर्ण उत्पादों के उत्पादन के लिए किया जाता है।
किन-किन खनिज क्षेत्रों पर रूसी कब्जा
यूक्रेन के कुछ खनिज क्षेत्रों पर रूस ने कब्जा कर रखा है। यूक्रेन की अर्थव्यवस्था मंत्री यूलिया स्विरीडेंको के अनुसार, मौजूदा समय में रूसी कब्जे वाले क्षेत्रों में 350 अरब डॉलर के खनिज संसाधन हैं। 2022 में, कनाडा स्थित भू-राजनीतिक जोखिम परामर्श फर्म सेकडेव ने एक मूल्यांकन किया था, जिसमें पाया गया कि रूस ने यूक्रेन की 63% कोयला खदानों और उसके आधे मैंगनीज, सीज़ियम, टैंटलम और दुर्लभ खनिज भंडारों पर कब्जा कर रखा है। सेकडेव के प्रिंसिपल डॉ रॉबर्ट मुग्गा का कहना है कि ऐसे खनिज भंडारों पर कब्जा करके, मास्को यूक्रेन को ना केवल राजस्व नुकसान पहुंचा रहा है बल्कि उन संसाधनों के आधार पर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित कर रहा है।
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