निकल लो वर्ना... किस बात को लेकर इजरायल पर गुर्राए तुर्किये के 'खलीफा' एर्दोगन, US को भी लपेटा
- एर्दोगन ने अमेरिका को भी अपने रुख के लिए आड़े हाथों लिया और कहा कि सीरिया के प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा करने वाले वाईपीजी आतंकी संगठन अगर उसने अपने हथियार नहीं डाले तो उसका अंजाम बहुत बुरा होगा।
तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने बुधवार को एक बार फिर इजरायल और अमेरिका पर तीखे हमले किए। एर्दोगन ने अपने बयान में चेतावनी दी कि जो भी देश सीरिया में हस्तक्षेप करने की कोशिश करेगा, उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने कहा कि तुर्किये इस क्षेत्र की सबसे शक्तिशाली ताकत है और आईएसआईएस, वाईपीजी और अन्य आतंकी संगठनों का सिर कुचलने में सक्षम है।
इजरायल को दी चेतावनी
एर्दोगन ने इजरायल को सीरिया से अपने बल हटाने की चेतावनी देते हुए कहा, “आप जो भी करें, आप सीरियाई क्रांति को बुझा नहीं पाएंगे। हमारे देश में आप जो उकसावे की कार्रवाई करना चाहते हैं, वह सफल नहीं होगी। तुर्क-सिरियाई, तुर्क-कुर्द और तुर्क-अरब भाईचारे को आप तोड़ नहीं पाएंगे।” उन्होंने इजरायल को आगाह करते हुए कहा कि अगर उसने सीरियाई क्षेत्रों पर अपने हमले बंद नहीं किए तो इसके नकारात्मक परिणाम सभी को भुगतने होंगे।
अमेरिका पर भी साधा निशाना
एर्दोगन ने अमेरिका को भी अपने रुख के लिए आड़े हाथों लिया और कहा कि सीरिया के प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा करने वाले वाईपीजी आतंकी संगठन अगर उसने अपने हथियार नहीं डाले तो उसका अंजाम बहुत बुरा होगा। तुर्किये की ओर से अमेरिका पर लगातार यह आरोप लगाया जाता रहा है कि वह वाईपीजी को समर्थन दे रहा है।
इजरायल की दो टूक
वहीं दूसरी ओर इजरायल के विदेश मंत्रालय ने एर्दोगन के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। एक आधिकारिक बयान में कहा गया, “इजरायल तुर्की राष्ट्रपति के बयान को पूरी तरह खारिज करता है। सीरिया, उत्तरी साइप्रस, लीबिया और मध्य पूर्व के अन्य क्षेत्रों में आक्रामक साम्राज्यवादी रवैया रखने वाला तुर्किये ही है। तुर्की राष्ट्रपति को अनावश्यक धमकियों से बचना चाहिए। इजरायल अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाता रहेगा।”
तनाव बढ़ता जा रहा है
गौरतलब है कि इजरायल और तुर्किये के बीच हालिया दिनों में राजनयिक तनाव गहराता जा रहा है। 7 अक्टूबर को हमास के हमले के बाद तुर्किये ने इजरायल के रवैये की कड़ी आलोचना की थी। सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद के पतन के बाद इजरायल द्वारा सीरिया के माउंट हर्मोन पर कब्जा करने और सीरियाई सेना के बची-खुची सैन्य उपकरणों पर बमबारी करने से यह तनाव और बढ़ गया है।
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