स्टारलिंक क्रैश हो रहा? जनवरी में 120 सैटेलाइट गिरकर खाक, एलन मस्क को कितनी बड़ी टेंशन
- स्टारलिंक स्पेसएक्स की ओर से तैयार किया गया सैटेलाइट नेटवर्क है, जो दूर-दराज के स्थानों पर भी कम लागत वाला इंटरनेट मुहैया कराता है। बीती जनवरी तक कक्षा में लगभग 7,000 स्टारलिंक उपग्रह थे।
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अमेरिका की निजी अंतरिक्ष कंपनी स्पेसएक्स अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस स्टारलिंक का विस्तार करने में जुटी है। हालांकि, अब उसके सामने कई सारी चुनौतियां भी पेश आ रही हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि सैटेलाइट डीऑर्बिट में बढ़ोतरी हो रही है। खगोलविदों ने कुछ चौंकाने वाली बातें साक्षा की हैं। बताया गया कि बीती जनवरी में 120 से अधिक स्टारलिंक उपग्रह पृथ्वी के वायुमंडल में दोबारा प्रवेश कर गए, जहां ये आग के गोले बनकर खाक हो गए। खगोलशास्त्री जोनाथन मैकडॉवेल ने सैटेलाइट के गिरने की इस अभूतपूर्व दर को नोट किया है, जहां लगभग 4-5 स्टारलिंक उपग्रह हर दिन रिटायर्ड हो रहे हैं और भस्म हो जाते हैं।
मालूम हो कि स्टारलिंक स्पेसएक्स की ओर से तैयार किया गया सैटेलाइट नेटवर्क है, जो दूर-दराज के स्थानों पर भी कम लागत वाला इंटरनेट मुहैया कराता है। बीती जनवरी तक कक्षा में लगभग 7,000 स्टारलिंक उपग्रह थे। स्पेसएक्स ने हर 5 साल में नई तकनीक के साथ स्टारलिंक मेगाकॉन्स्टेलेशन को अपडेट करने का प्लान बनाया है। आखिर स्टारलिंक उपग्रहों के इतने बड़े पैमाने पर दुर्घटनाग्रस्त होने का क्या कारण है? जानकार इसके लिए फर्स्ट-जेनरेशन स्टारलिंक उपग्रहों की बड़े पैमाने पर रिटायरमेंट को जिम्मेदार मानते हैं। हालांकि, इससे नए मॉडलों के लिए रास्ता जरूर बन रहा है।
सैटेलाइट गिरने से वायुमंडल को कितना खतरा
रिपोर्ट के मुताबिक, 4700 उपग्रह पहली पीढ़ी के थे जिनमें 500 से अधिक पहले से ही जीवन के अंत तक पहुंच गए हैं। जो सैटेलाइट नीचे गिरकर आग के गोले में तब्दील हो रहे हैं, उनसे वायुमंडलीय प्रदूषण को लेकर चिंता बढ़ गई है। उपग्रहों के विघटन से वायुमंडल में धात्विक वाष्प जुड़ जाता है जो गंभीर चिंता का कारण हो सकता है। बता दें कि स्पेसएक्स ने बीते बुधवार को 21 स्टारलिंक उपग्रहों का कक्षा में प्रक्षेपण किया। फ्लोरिडा के केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से इन्हें फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए छोड़ा गया। इनमें से 13 उपग्रहों में डायरेक्ट टू कॉल क्षमताएं हैं, जिससे इन उपग्रहों में सीधे मोबाइल कॉल को सपोर्ट करने की क्षमता होगी, जो विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों के लिए उपयोगी साबित होगी।
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