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यूपी के इस शहर में चला गोपनीय अभियान, खुफिया एजेंसी ने भाषा सर्वे से तलाशे संदिग्ध

यूपी के आगरा में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों का पता लगाने के लिए खुफिया एजेंसियां सक्रिय हैं। पिछले दिनों एजेंसियों ने छावनी परिषद क्षेत्र में भाषा का सर्वे कराया था। सर्वे के दौरान कई लोगों को संदिग्ध मानते हुए चिन्हित किया गया।

Srishti Kunj प्रमुख संवाददाता, आगराSun, 18 May 2025 08:09 AM
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यूपी के इस शहर में चला गोपनीय अभियान, खुफिया एजेंसी ने भाषा सर्वे से तलाशे संदिग्ध

यूपी के आगरा में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों का पता लगाने के लिए खुफिया एजेंसियां सक्रिय हैं। पिछले दिनों एजेंसियों ने छावनी परिषद क्षेत्र में भाषा का सर्वे कराया था। सर्वे के दौरान कई लोगों को संदिग्ध मानते हुए चिन्हित किया गया। उनका इनपुट पुलिस को दिया गया है। आगे की जांच एलआईयू द्वारा की जा रही है। जिनके बांग्लादेशी होने का शक था, उनसे बातचीत में उनकी मातृभाषा की झलक मिली। भाजपा विधायक डॉ. जीएस धर्मेश ने छावनी क्षेत्र के बंगलों में अवैध रूप से बंगलादेशियों के रहने की शिकायत की थी। यह बात उन्होंने छावनी परिषद की बोर्ड बैठक में उठाई थी।

पुलिस आयुक्त से शिकायत की थी। रक्षामंत्री को पत्र लिखा था। मामला संज्ञान में आते ही खुफिया एजेंसियां सक्रिय हो गईं। पूर्व में सिंकदरा क्षेत्र में दो बार बांग्लादेशियों की बस्ती पकड़ी गई थीं। दोनों बार कार्रवाई को आईबी ने अंजाम दिया था। एलआईयू फेल हो गई थी। इस बार भी मामला फिर आईबी तक पहुंचा। गोपनीय रूप से छानबीन शुरू की गई। संदिग्ध चिन्हित करने के लिए भाषा का सर्वे कराया गया। जिन लोगों को बांग्लादेशी बताया जा रहा था उसने साधारण सवाल किए गए।

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उनकी भाषा से ही यह अंदाज होने लगा कि दाल में काला है। चिन्हित लोगों की जानकारी एलआईयू को दी गई है। खुफिया एजेंसियां आधार कार्ड की जांच भी करा रही हैं जो संदिग्धों ने बनवा रखे हैं। पता लगाया जा रहा है कि आधार कार्ड कब बने थे। किस सेंटर से जारी हुए थे। पता किसने सत्यापित किया था। पूर्व में भी जो बांग्लादेशी पकड़े गए हैं उनके पास आधार कार्ड मिले थे। वे वोट तक देते थे। पूछताछ में खुलासे हुए थे। जिन लोगों को संदिग्ध मानते हुए चिन्हित किया गया उनके भी छावनी परिषद की वोटर लिस्ट में नाम हैं। वोट देते हैं।

बंगलों में नहीं रहते हैं आवंटी

छावनी क्षेत्र में करीब 125 बंगले हैं। करीब 80 प्रतिशत बंगलों में मूल आवंटी या उनके परिजन नहीं रह रहे हैं। बंगलों में रहने वाले दूसरे ही लोग हैं। अवैध निर्माणों की भरमार है। इन लोगों को किसने बसाया। यह भी जांच का विषय है।