FBI चीफ बनने से पहले ही ईरान के निशाने पर क्यों आए काश पटेल, ताबड़तोड़ साइबर अटैक
ईरानी साइबर हैकरों ने उनके संचार साधनों पर कई बार लगातार ताबड़तोड़ सायबर हमले किएा हैं। फिलहाल एफबीआई यह आंकलन करने में जुटी है कि ईरान समर्थित हैकरों के सायबर अटैक में पटेल से जुड़े डेटा या अन्य संपत्ति को कितना नुकसान पहुंचा है।
अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी नई सरकार में भारतीय मूल के काश पटेल को खुफिया एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन(FBI) का नया डायरेक्टर नामित किया है। वह ट्रम्प के राष्ट्रपति पद का शपथ ग्रहण करने के बाद अपना पदभार संभालेंगे लेकिन उससे पहले ही ईरान ने उन्हें अपने निशाने पर ले लिया है। ईरानी साइबर हैकरों ने उनके संचार साधनों पर कई बार लगातार ताबड़तोड़ सायबर हमले किएा हैं। फिलहाल एफबीआई यह आंकलन करने में जुटी है कि ईरान समर्थित हैकरों के सायबर अटैक में पटेल से जुड़े डेटा या अन्य संपत्ति को कितना नुकसान पहुंचा है।
CNN ने मामले से परिचित सूत्रों के हवाले से बताया है कि ट्रम्प द्वारा FBI का नेतृत्व करने के लिए चुने गए काश पटेल को हाल ही में सूचित किया गया था कि वह संभावित ईरान समर्थित साइबर हैकर्स के टारगेट पर हैं। FBI ने इस मामाले पर फिलहाल टिप्पणी करने से इनकार किया है।
डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को ही अपने पुराने सहयोगी पटेल को एफबीआई के शीर्ष पद के लिए नामित किया है। उन्होंने तब घोषणा की थी कि वे एफबीआई निदेशक क्रिस्टोफर रे को हटाने की योजना बना रहे हैं और उनकी जगह काश पटेल को नामित कर रहे हैं। पटेल कई वर्षों से ट्रम्प के कट्टर समर्थक रहे हैं और उनकी पहले कार्यकाल में कई भूमिकाओं में काम कर चुके हैं।
ट्रम्प के प्रवक्ता एलेक्स फ़िफ़र ने कहा, "काश पटेल आतंकवादी ईरानी शासन के खिलाफ ट्रम्प प्रशासन के पहले प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे और एफबीआई निदेशक के रूप में अमेरिका को ऐसे विरोधियों से बचाने के लिए राष्ट्रपति ट्रम्प की नीतियों को फिर से मजबूती से लागू करेंगे।"
पहले ही जारी की गई थी चेतावनी
ईरानी सायबर हैकरों की ये हरकत हालिया राष्ट्रपति चुनाव से पहले ट्रम्प के अभियान कर्मचारियों को निशाना बनाने वाली ईरानी साइबर गतिविधि के बारे में FBI और अन्य संघीय एजेंसियों की चेतावनियों के बाद आई है। सितंबर में न्याय विभाग के अभियोजकों ने ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के तीन सदस्यों पर ट्रम्प के करीबी लोगों सहित अमेरिकी अधिकारियों के खिलाफ व्यापक हैकिंग अभियान शुरू करने का आरोप लगाया था। अगस्त में, माइक्रोसॉफ्ट ने भी कहा था कि ईरान नवंबर के चुनाव को प्रभावित करने के अपने प्रयासों को बढ़ा रहा है, और एक मामले में उसने ईमेल फ़िशिंग हमले के साथ राष्ट्रपति अभियान को निशाना बनाया था।
निशाने पर क्यों पटेल
दरअसल, ट्रम्प और उनके सहयोगी,जो उनके पहले कार्यकाल के सदस्य रहे हैं, 2020 में बगदाद में अमेरिकी हवाई हमले में जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद से ईरान के निशाने पर हैं। अमेरिकी अधिकारी भी हाल के महीनों में ईरान के ऐसे साइबर हमलों के अभियानों के बारे में चेतावनी देते रहे हैं। इसी कड़ी में पटेल पर ईरानी हैकरों ने अटैक किया है।
44 वर्षीय पटेल ट्रम्प के पहले कार्यकाल में खुफिया और रक्षा भूमिकाओं में काम कर चुके हैं। पटेल ने 2017 में तत्कालीन ट्रंप प्रशासन के अंतिम कुछ हफ्तों में अमेरिका के कार्यवाहक रक्षा मंत्री के ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ के रूप में काम किया था। उन्हें ट्रम्प द्वारा राष्ट्रीय अभिलेखागार और अभिलेख प्रशासन का प्रतिनिधि भी नियुक्त किया गया था और उन्होंने मार-ए-लागो वर्गीकृत दस्तावेज़ मामले में संघीय ग्रैंड जूरी के समक्ष गवाही देने के लिए सम्मन का विरोध भी किया था।
न्यूयॉर्क में जन्मे पटेल का नाता गुजरात से है। हालांकि उनकी मां पूर्वी अफ्रीका में तंजानिया से और पिता युगांडा से हैं। वह 1970 में कनाडा से अमेरिका आ गए थे। पटेल ने पूर्व में एक साक्षात्कार में कहा था, ‘‘हम गुजराती हैं।’’ उनके नामित होने के बाद मौजूदा एफबीआई निदेशक क्रिस्टोफर रे को या तो इस्तीफा देना होगा या 20 जनवरी को ट्रंप के पदभार ग्रहण करने के बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया जाएगा।
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