Hindi Newsदेश न्यूज़Is the business world scared of Trump arrival Jaishankar said There will be give and take

ट्रंप के आने से घबराया है व्यापार जगत? जयशंकर बोले- लेन-देन होता रहेगा

  • जयशंकर ने अमेरिका-चीन विवाद और यूक्रेन संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा कि ग्लोबल साउथ महंगाई, कर्ज, मुद्रा की कमी और व्यापार में अस्थिरता का सामना कर रहा है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 3 Dec 2024 02:34 PM
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डोनाल्ड ट्रंप अगले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति का पदभार संभालने वाले हैं। उससे पहले भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर संभावित ट्रंप प्रशासन के प्रभाव को लेकर चिंताएं उठ रही हैं। अब इन चिंताओं को दूर करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच हमेशा कुछ न कुछ लेन-देन होता रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक मेलजोल में हाल के वर्षों में गहराई आई है। इससे आपसी सहयोग को और बढ़ाने के लिए अनुकूल माहौल बना है।

विदेश मंत्री ने सीआईआई पार्टनरशिप समिट में बोलते हुए कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे प्रशासन का आगमन व्यापारिक क्षेत्रों के लिए एक बड़ा बदलाव है। उन्होंने कहा, "एकमात्र सुरक्षित भविष्यवाणी यह है कि इसमें अनिश्चितता का कुछ स्तर रहेगा। विभिन्न देशों ने पहली ट्रंप सरकार से अनुभव लिए हैं और संभवतः इससे सीखकर दूसरे कार्यकाल के लिए अपनी रणनीतियां बनाएंगे।"

भारत-अमेरिका संबंधों में बढ़ी रणनीतिक गहराई

जयशंकर ने कहा, "जहां तक भारत का संबंध है, मैं यकीन से कह सकता हूं कि अमेरिका के साथ रणनीतिक मेलजोल समय के साथ केवल गहरा हुआ है। इससे सहयोग के लिए अधिक संभावनाएं बनी हैं। निश्चित रूप से, दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच हमेशा कुछ लेन-देन होते रहेंगे। लेकिन आर्थिक और तकनीकी क्षेत्रों में भरोसेमंद साझेदारी का मामला हाल के वर्षों में और मजबूत हुआ है।"

जयशंकर ने अमेरिक के राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल और भारत के लिए इससे जुड़े निहितार्थों पर कहा कि अमेरिका के साथ भारत का रणनीतिक तालमेल समय के साथ और गहरा हुआ है जो कई सहयोगी अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा, ‘‘दूसरे ट्रंप प्रशासन का आगमन भी स्पष्ट रूप से व्यापारिक हलकों में एक प्रमुख विचारणीय विषय है। जाहिर है, एकमात्र सुरक्षित भविष्यवाणी एक हद तक अप्रत्याशित ही है।’’

सुरक्षा और निवेश को लेकर सतर्कता जरूरी

उन्होंने कहा कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच ऐसे साझेदारी के ढांचे तैयार करने होंगे जो परस्पर लाभकारी माने जाएं। बिना चीन का नाम लिए जयशंकर ने कहा कि आर्थिक निर्णयों और निवेश को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा का ध्यान रखना जरूरी है। विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने चीन द्वारा अपनाई जा रही आक्रामक व्यापार प्रथाओं को लेकर बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच सोमवार को कहा कि निवेश समेत आर्थिक निर्णयों के दौरान “राष्ट्रीय सुरक्षा की शर्त” को भी ध्यान में रखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “यह पसंद हो या नहीं, हम तेजी से शस्त्रीकरण के युग में नहीं बल्कि (सुविज्ञ निर्णयों का) लाभ उठाने के युग में हैं। इसलिए, नीति निर्माताओं को निवेश सहित आर्थिक निर्णयों के मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखना होगा।’’

वैश्विक दक्षिण पर आर्थिक दबाव और भारत की भूमिका

जयशंकर ने अमेरिका-चीन विवाद और यूक्रेन संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा कि ग्लोबल साउथ महंगाई, कर्ज, मुद्रा की कमी और व्यापार में अस्थिरता का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा, "दुनिया कठिन दौर से गुजर रही है और ऐसे समय में अधिक मित्र और साझेदारों की जरूरत होती है।"

पड़ोस में हाल में हुए बदलावों का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि आज के समय में अर्थव्यवस्थाएं और समाज पहले से कहीं अधिक जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, "कोविड, यूक्रेन संघर्ष या वित्तीय संकट के दौरान हमने साथ मिलकर काम किया और इसका सामूहिक लाभ उठाया। हालांकि, आतंकवाद जैसी चुनौतियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सहयोग से हटने की लागत चुकानी पड़ती है।" जयशंकर ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि चुनौतियों के बावजूद भारत और अमेरिका के बीच मजबूत रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी के लिए अभी भी व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं।

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