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दुनिया में पानी खत्म होने की वजह बन सकता है AI, ढेरों यूजर्स नहीं जानते पूरा सच

सारी दुनिया में AI का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है और यूजर्स यह बात नहीं जानते कि AI यूजेस का पानी के इस्तेमाल से सीधा कनेक्शन है। आइए आपको इस बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं।

Pranesh Tiwari लाइव हिन्दुस्तानWed, 2 April 2025 07:03 PM
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दुनिया में पानी खत्म होने की वजह बन सकता है AI, ढेरों यूजर्स नहीं जानते पूरा सच

बीते दिनों आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जुड़े ट्रेंड तेजी से पॉप्युलर हो रहे हैं। हालांकि ज्यादातर यूजर्स यह बात नहीं जानते कि AI मॉडल्स को ऑपरेट करने के लिए ढेर सारे डाटा प्रोसेसिंग और बिजली की खपत होती है। क्या आप जानते हैं कि AI को अच्छे से चलाने के लिए ढेर सारे में पानी की भी जरूरत पड़ती है? यह जरूरत मुख्य रूप से उन डाटा सेंटर्स में महसूस की जाती है, जहां AI मॉडल्स को प्रशिक्षित और संचालित किया जाता है।

कैसे खर्च होता है पानी?

डाटा सेंटर्स को अच्छे से काम करने के लिए ठंडा रखना जरूरी होता है, क्योंकि हैवी डाटा प्रोसेसिंग के चलते वे बहुत ज्यादा गर्म हो जाते हैं। इन्हें ठंडा करने के लिए कूलिंग सिस्टम का यूज किया जाता है, जिसमें साफ पानी की अहम भूमिका होती है। कूलिंग टावर या अन्य कूलिंग सिस्टम्स की मदद से पानी को घुमाया जाता है, जिससे सर्वर की गर्मी को कम किया जा सके।

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उदाहरण के तौर पर, बड़े AI मॉडल्स को ट्रेन करने में कई दिनों या हफ्तों तक लगातार कंप्यूटर सिस्टम चलते रहते हैं, जिससे ढेर सारी गर्मी पैदा होती है। इस गर्मी को कंट्रोल करने के लिए पानी की खपत बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।

बिजली और पानी की दोनों की जरूरत

AI डाटा सेंटर्स में पानी के साथ-साथ बिजली की भी बड़ी मात्रा खर्च होती है। बिजली के यूज से ना सिर्फ कार्बन इमिशन बढ़ता है, बल्कि पानी की मांग भी बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कई थर्मल पावर प्लांट्स बिजली उत्पादन के लिए ढेर सारे पानी का यूज करते हैं। इस तरह AI के बढ़ते इस्तेमाल से ना केवल वाटर रिसोर्सेज पर दबाव पड़ रहा है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन को भी प्रभावित कर रहा है।

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भविष्य को लेकर चिंतित हैं एक्सपर्ट्स

अगर AI टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल इसी स्पीड से बढ़ता रहा तो आने वाले दिनों में जल संकट और भी गंभीर हो सकता है। खासकर उन क्षेत्रों में, जहां पानी की पहले से ही कमी है, वहां AI डाटा सेंटर्स बनाने से स्थिति और खराब हो सकती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर इस दिक्कत पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले कुछ साल में वाटर मैनेजमेंट को लेकर हालत खराब हो सकती है।

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