आराध्या पर 'फेक न्यूज' को लेकर गूगल को पड़ी लताड़, यूट्यूब को वीडियो हटाने के आदेश
हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि बच्चा चाहे सेलिब्रिटी हो या सामान्य, वह सम्मान और आदर के साथ ट्रीट किए जाने का हकदार है। बच्चे के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देना गैरकानूनी है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने अमिताभ बच्चन की पोती आराध्या बच्चन के स्वास्थ्य के बारे में कोई भी जानकारी पब्लिश करने या सर्कुलेट पर रोक लगा दी है। साथी ही, यूट्यूब को उसके प्लैटफॉर्म पर इससे जुड़े सभी कॉन्टेंट्स को हटाने का आदेश दिया है। जिन नौ यूट्यूब चैनल्स के खिलाफ शिकायत की गई थी, उनके अलावा कोर्ट ने अन्य चैनल्स को भी इस तरह की सामग्री पब्लिश या सर्कुलेट न करने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि बच्चा चाहे सेलिब्रिटी हो या सामान्य, वह सम्मान और आदर के साथ ट्रीट किए जाने का हकदार है। बच्चे के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देना कानून में पूरी तरह से अस्वीकार्य है। इस मामले में अगली सुनवाई 13 जुलाई को होगी।
जस्टिस सी हरि शंकर ने यूट्यूब का मालिकाना हक रखने वाली कंपनी गूगल को आराध्या के स्वास्थ्य के बारे में झूठी खबरें प्रसारित करने वाले सभी आपत्तिजनक वीडियो और यूआरएल को डी-लिस्ट और डी-एक्टिवेट करने का निर्देश देते हुए यह भी कहा कि बच्चे के खिलाफ ऐसा कोई भी आचरण असहनीय है। मामले की सुनवाई के दौरान गूगल के वकील ने अदालत से कहा कि हम अपने प्लैटफॉर्म पर स्क्रीन नहीं करते हैं, केवल अपलोड करते हैं। इस पर जस्टिस हरि शंकर ने नाराजगी जताते हुए कहा,"आप जनता को गलत सूचना देने की सुविधा प्रदान कर रहे हैं। यह कहना वैसे ही है जैसा है कि कोई अखबार कह दे कि मैं केवल कागज और स्याही उपलब्ध कर रहा हूं और आप कागज पर कुछ भी लिख सकते हैं। आप एक ऐसा मंच प्रदान कर रहे हैं, जिस पर भ्रामक जानकारी प्रदान की जा रही है। इसे कैसे बर्दाश्त किया जा सकता है?"
अदालत ने गूगल को लताड़ते हुए कहा, "कंपनी इस प्लैटफॉर्न से पैसे कमा रही है, इसलिए इसके यूजर्स के प्रति आपकी सामाजिक जिम्मेदारी है। आप ऐसी चीजों को अपने प्लैटफॉर्म पर पोस्ट करने की अनुमति नहीं दे सकते। आप स्वीकार करते हैं कि कुछ चीजों को लेकर आप जीरो टॉलरेंस रखते हैं। फिर इसे जीरो टॉलरेंस की कैटिगरी में क्यों नहीं रखते? इसका मतलब है कि आपकी नीति दोषपूर्ण है। आप कह रहे हैं कि आप कॉन्टेंट नहीं देख रहे हैं, तब तो आप चाइल्ड पोर्नोग्राफी की भी अनुमति दे देंगे? यहां मानहानि का मुद्दा नहीं है। नोटिस में आपको बताया गया है कि आपके प्लैटफॉर्म पर भ्रामक जानकारी है।"
हाई कोर्ट ने यूट्यूब को यह भी निर्देश दिया कि वह उन यूजर्स की जानकारी उपलब्ध कराए, जिनके अकाउंट से आपत्तिजनक कॉन्टेंट पोस्ट हुए हैं और उनके सब्स्क्राइबर्स कौन-कौन हैं। जज नौ यूट्यूब चैनलों के साथ-साथ दूसरे चैनल्स पर भी इस तरह के कॉन्टेंट या क्लिप मौजूद होने पर उन्हें ब्लॉक करने का आदेश दिया। पिछले दिनों आराध्या बच्चन की लाइफ और हेल्थ को लेकर एक खबर वायरल हुई थी, जो बाद में फेक बताई गई। इसको लेकर बच्चन परिवार ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।