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ट्रांसजेंडर को देखकर लोग सोचते हैं कि ये S.. कैसे करता है? दिबाकर बनर्जी ने बताई दोस्त की कहानी

  • दिबाकर बनर्जी का मानना है कि दुनियाभर के ट्रांसजेंडर्स एक ही सा दर्द फेस करते हैं। लोग उनके बारे में नहीं बल्कि उनकी सेक्शुऐलिटी के बारे में सोचते हैं। उन्हें सेक्शुअल ऑब्जेक्ट समझा जाता है।

Kajal Sharma लाइव हिन्दुस्तानThu, 18 April 2024 12:57 PM
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दिबाकर बनर्जी की फिल्मों का सब्जेक्ट अलग होता है। वह ज्यादा फिल्में नहीं बनाते लेकिन जब उनकी फिल्म आती है तो लोग चर्चा जरूर करते हैं। लव सेक्स और धोखा 2 रिलीज से पहले उन्होंने इसकी कास्ट और रिसर्च पर बात की। दिबाकर ने बताया कि एकता ने क्यों कहा था कि फिल्म रिलीज होने के बाद उन्हें छिपना पड़ेगा। साथ ही यह भी बताया कि ट्रांसजेंडर्स किन परेशानियों का सामना करते हैं।

ट्रांसफोबिक है समाज

दिबाकर बनर्जी सिद्धार्थ कनन के शो पर फिल्म के बारे में बात कर रहे थे। उनसे पूछा गया, लव सेक्स और धोखा 2 में ट्रांसवुमन को लेना आसान था, जबकि लोग एक्टर को ही ट्रांस बनाते रहे हैं? दिबाकर ने बताया, हमारी फिल्म में दोनों हैं, आपको पता भी नहीं है। एक ट्रांसजेंडर है और दूसरी ट्रांसजेंडर का रोल एक एक्टर ने प्ले किया है। एक ट्रांसजेडर को चुनना कोई दिक्कत नहीं थी। दिबाकर बोले, अगर 2 ट्रांसजेंडर लेते तो दिक्कत होती क्योंकि समाज ट्रांसफोबिक है।

एकता ने क्यों कही छिपने की बात

दिबाकर से पूछा गया कि एकता कपूर ने क्यों कहा था कि रिलीज के बाद छिपना पड़ेगा? दिवाकर ने जवाब दिया, जब आप बाप के खिलाफ आवाज उठाते हो तो आजकल इंडिया में थोड़ी सी प्रॉब्लम होती है। बाप बहुत बड़ा फिगर बन गया है। अगर आप ट्रांसजेंडर या क्वीर की बात करोगे तो बाप के खिलाफ जाए बिना वो बात हो ही नहीं पाएगी। क्योंकि एलजीबीटी, गे को मार्जिन में ढकेलने वाला बाप ही है। उसी ने कहा है कि तुम कुछ नहीं हो, या तुम गंदे हो, या तुम जहर हो, तुमसे परहेज करना चाहिए। औरत उतना नहीं करती, मर्द करता है। जब हम इस तरह की फिल्म बनाते हैं तो एक बड़ा ऑडियंस जो मर्द का ग्रुप होता है उनके अलग होने का डर होता है। डरे हुए मर्द से खतरनाक कुछ भी नहीं। इसलिए एकता को ये बात पता है।

एक सा है ट्रांसजेंडर्स का दर्द

दिबाकर ने कहा कि वह इतना नहीं डरते क्योंकि बड़े स्टार के साथ काम नहीं कर रहा है। बोनिता राज पुरोहित के बारे में कुछ बताइए। इस पर दिबाकर बोले उन्हें उनके बारे में कुछ नहीं पता। बस इतना पता है कि दुनिया में वो सारे जो इस दर्द से गुजर चुके हैं कि मैं एक औरत हूं लेकिन मर्द के शरीर में कैद हूं, वो उन्होंने फेस किया है। फिर उन्होंने फेस किया है ट्रांसफॉर्मेशन सर्जरी। फिर उन्होंने सारा फिजिकल और मेंटल ट्रॉमा फेस किया है। वो सबका कॉमन पेन है, जितने भी ट्रांसजेंडर हैं।

ट्रांसजेंडर होना रिस्क है

फिल्म के लिए क्या रिसर्च की, इस पर दिबाकर बोले, मैं अपनी ट्रांसजेंडर दोस्त से बात कर रहा था जो शूट के दौरान दोस्त बनीं। उनसे पूछा कि ट्रांसजेंडर का मतलब क्या है? इस पर वह बोलीं, ट्रांसजेंडर का मतलब सिर्फ रिस्क है। सुबह से शाम तक रिस्क। वो किसी एनजीओ में काम भी करती हैं। जब पैसे की कमी होती है तो प्रॉस्टिट्यूशन भी करना पड़ता है। ट्रांसजेंडर्स को बतौर सेक्शुअल चीज देखा जाता है। जैसे ही कोई ट्रांसजेंडर आता है, हम उसकी सेक्शुऐलिटी के बारे में पहले सोचते हैं।

ट्रांसजेंडर कैसे सेक्स करता है

दिबाकर ने कहा, मान लीजिए मैं एक ट्रांसजेंडर हूं, मैं सोच रहा हूं कि इसके दिमाग में चल रहा होगा कि मैं कैसे सेक्स करता हूं। या मैं कौन हूं, मेरा ऑपरेशन हुआ कि नहीं। जब कोई ट्रांसजेंडर सामने बैठा हो तो मर्द उसकी सेक्शुअल आइडेंटिटी पर ही सोचता और बात करता है।

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