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BSUSC : 5 साल से लटकी बिहार असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती अब फर्जी एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट के फेर में फंसी

  • बीएसयूएससी को असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया में विश्वविद्यालयों की ओर से जारी किए गए फर्जी अनुभव प्रमाण पत्रों की नई चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

Pankaj Vijay लाइव हिन्दुस्तान, अरुण कुमार, पटनाThu, 13 Feb 2025 03:49 PM
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BSUSC : 5 साल से लटकी बिहार असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती अब फर्जी एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट के फेर में फंसी

बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग की 5 सालों से लटकी असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया अब एक नए फेर में फंस गई है। बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग (बीएसयूएससी) को अब विश्वविद्यालयों द्वारा कथित रूप से जारी फर्जी अनुभव प्रमाण पत्रों की नई चुनौती से जूझना पड़ रहा है। विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'यह विवाद और भी गहराने वाला है क्योंकि कहा जा रहा है कि जाली प्रमाण पत्र ज्यादातर विश्वविद्यालयों के जरिए आयोग तक पहुंच गए हैं। यह कई मामलों में संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से या उनके बिना सटीक मुहर के साथ आए हैं। हस्ताक्षर कथित रूप से जाली हैं। यह सब जांच का विषय है।' अनुभव प्रमाण पत्र उम्मीदवारों के अंतिम चयन की संभावनाओं को बनाने या बिगाड़ने के लिए महत्वपूर्ण हैं। अनुभव प्रमाण पत्र के 10 अंक तय हैं।

बीएसयूएससी के अध्यक्ष गिरीश चौधरी ने भी पुष्टि की कि कुछ जाली अनुभव प्रमाण पत्र पकड़े गए हैं, लेकिन यह सत्यापित करना आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर है कि वे सक्षम विश्वविद्यालय प्राधिकरण (विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार) की मुहर और हस्ताक्षर के तहत आए थे या नहीं।

चौधरी ने कहा, 'मैंने शिक्षा विभाग और सभी विश्वविद्यालयों को पत्र लिखकर चयनित अभ्यर्थियों की सर्विस की पुष्टि से पहले उनके अनुभव प्रमाण पत्रों की सत्यता की जांच करने को कहा है, हालांकि मैंने उनकी ज्वाइनिंग पर रोक नहीं लगाई है, क्योंकि इससे वास्तविक अभ्यर्थियों पर भी असर पड़ेगा। मैंने विश्वविद्यालयों से धोखाधड़ी के प्रत्येक मामले में आगे की कार्रवाई के लिए एक्शन रिपोर्ट पेश करने को भी कहा है।' चौधरी ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि एक अभ्यर्थी को उसके जमा किए गए प्रमाण पत्र के आधार पर अनुभव के लिए अंक मिले थे, लेकिन जब उससे इसके बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि यह खो गया है। चूंकि उसे उसके जमा किए गए दस्तावेजों के आधार पर शॉर्टलिस्ट किया गया था और उसे अनुभव के लिए अंक मिले थे, इसलिए उसका साक्षात्कार लिया गया और उसका चयन भी हुआ, लेकिन उसके परिणाम को रोक दिया गया और एलएन मिश्रा विश्वविद्यालय (दरभंगा) से सत्यापन करने को कहा गया। सत्यापन में उसका अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया और उसकी उम्मीदवारी समाप्त कर दी गई।"

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उन्होंने कहा कि उन्होंने सर्विस को कंफर्म करने से पहले दस्तावेजों के गहरे सत्यापन के बारे में साफ साफ लिखा है। उन्होंने कहा, 'बीएन मंडल विश्वविद्यालय में भी चार ऐसे अभ्यर्थियों का पता चला है, जबकि उनके पास रजिस्ट्रार द्वारा हस्ताक्षरित अनुभव प्रमाण पत्र थे। रजिस्ट्रार को यह उचित सत्यापन के साथ करना होता है। हमने 8-10 मामलों में ऐसी विसंगतियां पाई हैं और उन्हें संबंधित विश्वविद्यालयों को भेजा है। हम इन मामलों को राज्य सतर्कता जांच ब्यूरो को भेजने में भी संकोच महसूस नहीं करेंगे क्योंकि इस तरह के कृत्यों के कारण पूरी प्रक्रिया प्रभावित होती है।'

मनमाने ढंग से अनुभव प्रमाण पत्र जारी किए गए

बीएन मंडल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एके रॉय ने कहा कि कई विश्वविद्यालयों में मनमाने ढंग से अनुभव प्रमाण पत्र जारी किए जाने की खबरें हैं। 'उन्होंने कहा, 'एक बार ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति हो जाने के बाद वे अपने रिकॉर्ड को सही करने या प्रक्रिया में देरी करने के लिए अन्य गलत तरीकों का भी उपयोग कर सकते हैं क्योंकि वे सिस्टम का हिस्सा होंगे। सबसे अच्छा तरीका यह होगा कि चयनित उम्मीदवारों की सूची विश्वविद्यालयों को भेजी जाए ताकि ज्वाइनिंग से पहले ही चयनित उम्मीदवारों के नियुक्ति पत्र और भुगतान विवरण के साथ अनुभव प्रमाण पत्रों की अच्छे से वेरिफिकेशन हो सके। अन्य दस्तावेजों का भी पहले से सत्यापन किया जाना चाहिए। यह एक फैक्ट है कि आयोग ऑरिजनल हस्ताक्षर और मुहर वाले जाली प्रमाण पत्रों की पहचान नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि यह संबंधित विश्वविद्यालयों को करना है।'

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कोसी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से जेडीयू एमएलसी और बीएनएमयू के सिंडिकेट सदस्य संजीव सिंह ने कहा कि व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि उम्मीदवारों की अंतिम सूची तैयार होने के तुरंत बाद विश्वविद्यालयों को अंतिम सत्यापन के लिए समयबद्ध तरीके से मेल के जरिए सूची भेजी जाए और रजिस्ट्रार और प्राचार्यों से हलफनामा दाखिल करने को कहा जाए। उन्होंने कहा कि एक बार गलत शिक्षक शामिल हो गए तो उन्हें हटाना हमेशा मुश्किल होगा और अगर उन्हें लंबी प्रक्रिया के बाद हटाया जाता है, जैसा कि राज्य में ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। दूसरे वास्तविक उम्मीदवार का मौका हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा। उम्मीदवारों की कोई वेटिंग लिस्ट नहीं है। पहले से सभी सावधानियां बरतने की जरूरत है, वरना यह किसी बिंदु पर एक और कानूनी लड़ाई में उतर जाएगा और पहले से ही मैनपॉवर की कमी से जूझ रहे राज्य विश्वविद्यालयों को फायदा पहुंचाने के बजाय नुकसान पहुंचाएगा। जवाबदेही तय की जानी चाहिए।

बीएसयूएससी ने राज्य विधानसभा चुनावों की घोषणा से ठीक पहले 23 सितंबर, 2020 को 52 विषयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 4,638 पदों पर भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। जब तक हाईकोर्ट ने कोटे को लेकर 2022 में नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई, तब तक 461 उम्मीदवारों की नियुक्ति की जा चुकी थी। 18 अप्रैल, 2024 को रोक हटा ली गई और अब तक 39 विषयों के लिए चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने अब तक 39 विषयों में 2707 असिस्टेंट प्रोफेसर की अनुशंसा कर सरकार को भेज दिया है।

शेष 13 विषयों में 1931 रिक्तियों के लिए साक्षात्कार होना बाकी है। इतिहास विषय का साक्षात्कार 19 फरवरी से शुरू हो जाएगा। यह 24 फरवरी तक आयोजित किया जाएगा। इसमें साक्षात्कार के लिए 1091 अभ्यर्थियों को आमंत्रित किया गया है। इतिहास विषय में 316 रिक्तियों को भरा जाना है। इतिहास विषय के लिए 5021 आवेदन प्राप्त हुए थे।

2000 और रिक्तियां आने की उम्मीद

बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग को मई तक लगभग दो हजार और रिक्तियां आने की उम्मीद है। शिक्षा विभाग ने सभी विश्वविद्यालयों से रिक्तियां मांगी है। इसपर तेजी से कार्य हो रहा है। शिक्षा विभाग ने आरक्षण रोस्टर के हिसाब से मार्च के पहले तक रिक्तियां मांगी है, ताकि चुनाव के पहले सहायक प्राध्यापकों की रिक्तियों को निकाल दिया जाए। वर्तमान में चल रही रिक्तियों में लगभग चार रिक्तियां बची हैं। शेष 13 विषयों के साक्षात्कार के बाद पता चलेगा इसमें और कितनी रिक्तियां शेष रहती हैं। सभी को जोड़कर विभाग एकबार फिर रिक्तियां निकालेगा। इसके अलावा ललित नारायण मिश्रा इंस्टीट्यूट में 39 सहायक प्राध्यापकों के लिए भी आवेदन लिए गए हैं। इसकी प्रक्रिया भी जल्द शुरू होगी।

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